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ढाई सालों बाद नन बैंकिंग कंपनियों का खुला कार्यालय

ढाई सालों बाद नन बैंकिंग कंपनियों का खुला कार्यालय –रोजवैली, रैमल व वेल्फेयर कंपनी के जब्त किये गये सामान –कंप्यूटर, फाइल, दस्तावेज, टेबुल-कुरसी, पासबुक हुए बरामदफोटो 27 बीएएन 60 सील बंद ताला खुलवाते अधिकारीप्रतिनिधि, कटोरिया स्वप्न दिखा कर क्षेत्र के लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाली तीन नन बैंकिंग कंपनियों के कटोरिया स्थित […]

ढाई सालों बाद नन बैंकिंग कंपनियों का खुला कार्यालय –रोजवैली, रैमल व वेल्फेयर कंपनी के जब्त किये गये सामान –कंप्यूटर, फाइल, दस्तावेज, टेबुल-कुरसी, पासबुक हुए बरामदफोटो 27 बीएएन 60 सील बंद ताला खुलवाते अधिकारीप्रतिनिधि, कटोरिया स्वप्न दिखा कर क्षेत्र के लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाली तीन नन बैंकिंग कंपनियों के कटोरिया स्थित कार्यालय का सील लगभग ढाई सालों बाद न्यायालय के आदेश पर खोला गया़ इसमें रोज वैली होटल एंड इंटरटेनमेंट लिमिटेड, रैमल रियल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड व वेलफेयर बिल्डिंग एंड इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय शामिल हैं. मौके पर मौजूद दंडाधिकारी सह बीडीओ प्रेमप्रकाश, थानाध्यक्ष प्रवेश कुमार भारती व अनुसंधानकर्ता सह अवर निरीक्षक विजय कुमार सिंह की उपस्थिति में कटोरिया बाजार के देवघर रोड स्थित आकाश मार्केट से तीनों नन बैंकिंग कार्यालयों से जब्त सामानों व दस्तावेजों को थाना ले आया गया़ जब्त सामानों में कंप्यूटर सेट, फाइल, दस्तावेज, पासबुक, टेबुल-कुरसी, आलमीरा आदि शामिल हैं. ज्ञात हो कि गत मई 2013 में डीएम व एसडीओ के निर्देश पर वरीय उप समाहर्ता प्रभात कुमार ने आकाश मार्केट स्थित रोज वैली, रैमल व वेल्फेयर नन बैंकिंग कंपनियों के कार्यालयों को जांच के बाद सील कर दिया था़ इसके बाद सीओ के बयान पर थाना में कांड संध्या 81/13 धारा 406, 467, 468, 471, 420, 201 भादवि के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी़ कांड के अनुसंधानकर्ता ने मुख्य दंडाधिकारी बांका से नन बैंकिंग कंपनियों के कार्यालयों का सील बंद ताला खुलवाने के लिए मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति की मांग की थी़ ताकि कांड के अनुसंधान में महत्वपूर्ण तथ्यों का पता लगाया जा सके़ —क्यों सील हुए थे नन बैंकिंग कार्यालयकिसी भी कंपनी को बिहार के किसी भी जिले में काम करने के पूर्व संबंधित जिलाधिकारी को कंपनी की संपूर्ण क्रियाकलापों, क्रियाकलाप के क्षेत्र, कंपनी के सभी प्रतिष्ठानों का कार्यालय का पत्र, सभी ऑफिसधारक, वरीय पदाधिकारियों के नाम आदि अनिवार्य रूप से देना है़ साथ ही राज्य के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी से व्यापार का पंजीकरण या अनुमति प्राप्त करना है, लेकिन उक्त नन बैंकिंग कंपनियों ने उक्त वर्णित प्रावधानों का उल्लंघन किया था़ कंपनी ने अपने जमाकर्ताओं से केवाइसी फार्म भी नहीं भरवा रही थी, जो वित्तीय नियम के अनुसार अनिवार्य है़ कटोरिया में कंपनी ने अप्रैल 2012 से डिवेंचर, एमआइएस, आरडी, एफडी के नाम पर जमाकर्ताओं से झूठे प्रलोभन देकर धन राशि जमा ले रही थी़ तीन सालों में ही जमाधन के दोगुना होने का भी लालच दिया गया था़ –जमाकर्ताओं के डूब गये पैसेकटोरिया सहित जिले के अन्य प्रखंडों में वर्ष 2013 में कुकुरमुत्ते की तरह ननबैंकिंग कंपनियों ने कार्यालय खोल कर लोगों से पैसे जमा करवा रही थी़ विभिन्न कंपनियों द्वारा धोखाधड़ी से कटोरिया क्षेत्र में करोड़ों रुपये का निवेश करा लिया गया था़ वैसे जब यह मामला राज्य सरकार व जिला प्रशासन के संज्ञान में आया, तो वह हरकत में आयी़ अभियान चलाकर नन बैंकिंग कंपनियों के कार्यालयों को सील कर दिया गया, लेकिन जिन भोली-भाली जनता ने अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई जमा किये थे, वे अब डूबते ही नजर आ रही है़

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