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जगतपुर दुर्गा स्थान : अष्टमी से दशमी तक जलते हैं सैकड़ों दीप, 2045 तक मंदिर के मूर्ति व सजावट की हो गयी है अग्रिम बुकिंग

जगतपुर दुर्गा स्थान : अष्टमी से दशमी तक जलते हैं सैकड़ों दीप, 2045 तक मंदिर के मूर्ति व सजावट की हो गयी है अग्रिम बुकिंग फोटो 7 बांका 2 जगतपुर दुर्गा स्थान की तसवीर – मंदिर का 125 वर्ष पुराना है इतिहास जिउतिया व्रत से की जाती है कलश स्थापना, हो गया चंडी पाठ शुरू […]

जगतपुर दुर्गा स्थान : अष्टमी से दशमी तक जलते हैं सैकड़ों दीप, 2045 तक मंदिर के मूर्ति व सजावट की हो गयी है अग्रिम बुकिंग फोटो 7 बांका 2 जगतपुर दुर्गा स्थान की तसवीर – मंदिर का 125 वर्ष पुराना है इतिहास जिउतिया व्रत से की जाती है कलश स्थापना, हो गया चंडी पाठ शुरू मंदिर में जले दीप से होती है प्रतिमा के पास रोशनी दीप जलने से मंदिर का तापमान करीब 50 डिग्री तक पहुंच जाता है अष्टमी से ही मुहल्ले सहित दूर-दराज से पहुंचे भक्तों द्वारा जलाये जाते हैं अखंड दीप प्रतिनिधि, बांकाशहर से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर जगतपुर मुहल्ला बसा हुआ है. जगतपुर स्थित दुर्गा मंदिर में दशहरा के शुभ अवसर पर धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती है. दुर्गा पूजा के अवसर पर उक्त मंदिर प्रांगण में मेले का आयोजन भी किया जाता है. जगतपुर दुर्गा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. वहां के निवासी आशीष कुमार, मानिक रंजन ने बताया कि मंदिर का 125 वर्ष पुराना इतिहास है. यहां बंगाल रीति रिवाज से पूजा होती है. वहीं अष्टमी से दशमी तक करीब 200 से अधिक जलाये गये अखंड दीपक अपने लौ से मंदिर को रोशनी देते हैं. उन्होंने बताया कि जिउतिया पर्व के सुबह ही उक्त मंदिर में कलश की स्थापना की जाती है. साथ ही उसी दिन से चंडी पाठ और विधिवत पूजा आरंभ हो जाती है. मां के दरबार में जो भक्त आस्था और विश्वास के साथ पूजा अर्चना करते हैं उनकी मुरादें पूरी हो जाती है. आस्था, उमंग और सद्भाव का पर्व दशहरा में दूर देश में रहने वाले लोग भी यहां आकर देवी मां के पास माथा टेक कर आशीर्वाद ग्रहण करते हैं. यहां के मेढ़पति गोपाल चंद्र सिन्हा,माधव चंद्र सिन्हा, केशव चंद्र सिन्हा, पशुपति सिन्हा आदि हैं. इनके द्वारा ही पूजा का शुभारंभ किया जाता है. इस साल 13 अक्तूबर से नवरात्रि पूजा आरंभ होगी. इसे लेकर तैयारी काफी जोर शोर के साथ की जा रही है. मंदिर के रंग रोगन का कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है. बताते हैं कि भक्त जन मंदिर में मूर्ति व साज-सज्जा के खर्च हेतु अपना नाम कई वर्ष पहले ही बुक कर लेते हैं. मुहल्लेवासी ने कहा कि आगामी 2045 तक साज, मूर्ति खर्च के लिए भक्त अपना नाम पहले की बुक करा लिये हैं. काफी संख्या में भक्त द्वारा मंदिर में अखंड दीप जलाने से यहां का तापमान करीब 50 डिग्री हो जाता है. यहां कि ऐसी मान्यता है कि जो लोग मंदिर में जले दीप के समीप कुछ समय के लिए सांस लेते हैं उनका शारीरिक कष्ट दूर हो जाता है.

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