कोई साफ – सफाई की व्यवस्था नहीं है. भगवान मधुसून की रथयात्र में पहले जहां एक पखवारा से ही तैयायिां प्रारंभ हो जाती थी, वहीं अब इस मंदिर की व्यवस्था को कोई देखने वाला भी नहीं है. श्रद्घालुओं के लिए सबसे बड़ी समस्या पेयजल की होती है. करीब पचास हजार श्रद्घालु इसमें शामिल होने के लिए आते हैं. लेकिन उन्हें प्यासे ही वापस लौटना पड़ता है.
लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि कम से कम दो टैंकर पानी की व्यवस्था की जाये. मालूम हो कि भगवान मधुसूदन मंदिर के संचालन के लिए मंदिर प्रबंध समिति का गठन किया गया है, लेकिन वह समिति सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया है. दूसरी सबसे प्रमुख समस्या यहां की यह है कि मंदिर के समीप भोली बाबा आश्रम है आश्रम से भक्तों की टोली भजन गाते हुए मंदिर तक आती है और उसके बाद रथयात्र आरंभ होता है, लेकिन उस सड़क की हालत इतनी खराब हो गयी है कि इस मार्ग से पैदल चलना काफी मुश्किल है. इस मार्ग में रहने वाले भंडारी पंडा, बबन झा, कौशल झा आदि ने बताया कि इस सड़क को बनवाने के लिए कितना ही बार जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को कहा गया, लेकिन आज तक यह सड़क में मोरंग तब नहीं डाला गया जिससे रथयात्र एवं बौंसी मेला में आने वाले लोगो को काफी परेशानी होती है. प्रशासनिक उदासीनता एवं अन्य परेशानियों के बावजूद रथयात्र मेला अपने आप ही लोगों को खींच लाती हैं.