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विशेष मौकों पर ही किये जाते हैं याद
खास दिन के मेहमान बन कर रह गये हैं देश के नाम शहीद होने वाले सतीश शहीद के परिजनों को नहीं है कोई देखने वाला बांका : अंग प्रदेश की माटी अनेकों सपूतों की कुरबानी से पटा पड़ा है. आज भी शहीद के गांव के युवा उनके पद चिन्हों पर चलने को आतुर हैं लेकिन […]
खास दिन के मेहमान बन कर रह गये हैं देश के नाम शहीद होने वाले सतीश
शहीद के परिजनों को नहीं है कोई देखने वाला
बांका : अंग प्रदेश की माटी अनेकों सपूतों की कुरबानी से पटा पड़ा है. आज भी शहीद के गांव के युवा उनके पद चिन्हों पर चलने को आतुर हैं लेकिन यह सिशक उठती है जब उन शहीदों को एक दिन के लिए याद किया जाता है और उनके परिवार वालों को कोई देखने वाला नहीं है. 26 जनवरी आदि अवसर पर याद करना मात्र आज कल फोटो सेशन बन कर रह गया है.
ऐसे ही एक देश प्रेम अमर सतीश झा के जन्म दिन को याद करते हुए उनके गांव के अशोक झा कहते है. अंग प्रदेश के साथ देश का एक एक बच्च शहीद सतीश प्रसाद झा सहित क्षेत्र के अन्य लोगों की कुर्बानी के ऋणी हैं. जब महात्मा गांधी के आवाज पर उन्होंने 1942 की अगस्त क्रांति के दौरान अपने प्राणों की आहूती दे दी थी.
वहीं गांव की वर्षा, नाजनी, सोरैया कहती है आज अमर शहीद सतीश चंद्र झा का सपना अधूरा अधूरा सा लगता है. जब अपने ही समाज के लोग आपस में छोटी छोटी बातों को लेकर उलझ जाते हैं.
उनका सपना एक भारत समृद्ध भारत का था. आज वहीं ग्रामीण सुबोध चौधरी ने कहा की सतीश की कुबार्नी पर हम सब को नाज है. वे अपने खड़हरा गांव का ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया. वही गांव के राजेश झा कहते है कि अक्सर वे अपने बूजुर्गो से कहते सुनते है की अमर शहीद सतीश चंद्र बचपन से ही क्रांतिकारी प्रवृत्ति के थे. छात्र जीवन मे भी उनके सामने पड़ने के मामले मे अच्छे अच्छे नहीं टीक सकते थे.
एक दीन क्रांतीकारी प्रवृत्ति ने ही उन्हें पटना के सचिवालय के सामने झंडा फहराते हुए देश के लिए इतिहास के पन्नों मे अपना नाम दर्ज करवा गये. लेकिन आज वो प्रशासन और नेताओं की नजर में मात्र एक दिन के मेहमान बन कर रह गये है. जब नेता और प्रशासन के लोग उन्हें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर या फिर गणतंत्र दिवस के मौके पर फूल माला उनकी प्रतिमा पर चढ़ा कर अपनी कार्य की समाप्ति समझते है.
प्रतिमा पर काफी मोटी परत धूल की लिपटी हुई है. जिसे देखने की ना तो कोई नेता या प्रशासन के अधिकारी को फु रसत है. जबकि इस चेहारे से होकर रोज कोई ना कोई अधिकारी या नेताओं का गुजरना होता है.
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