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रात में मरीजों की बढ़ जाती है परेशानी

बांका: सदर अस्पताल इस वक्त खुद वेंटीलेटर पर है. इसको ऑक्सीजन की आवश्यकता है. इस अस्पताल को चलने के लिए 141 कर्मियों की आवश्यकता है, लेकिन मात्र 39 कर्मी ही तैनात हैं. इस अस्पताल को तत्कालीन पशुपालन मंत्री सह वर्तमान विधायक राम नारायण मंडल ने बांका लाया था. विधायक बार-बार अस्पताल में चिकित्सकों की बहाली […]

बांका: सदर अस्पताल इस वक्त खुद वेंटीलेटर पर है. इसको ऑक्सीजन की आवश्यकता है. इस अस्पताल को चलने के लिए 141 कर्मियों की आवश्यकता है, लेकिन मात्र 39 कर्मी ही तैनात हैं. इस अस्पताल को तत्कालीन पशुपालन मंत्री सह वर्तमान विधायक राम नारायण मंडल ने बांका लाया था. विधायक बार-बार अस्पताल में चिकित्सकों की बहाली का मामला उठाते रहे हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी है.

इस स्थिति में सबसे अराजकता की स्थिति तो रात में होती है, जब इस सौ शैय्या अस्पताल में मात्र चार से पांच कर्मी ही रहते हैं. शुक्रवार की रात एक चिकित्सक, एक कंपाउंडर, एक ए ग्रेड नर्स और एक स्वीपर के अलावा कोई भी अस्पताल में डय़ूटी पर नहीं था. अस्पताल में प्रसव कराने आयी महिलाओं की स्थिति उस वक्त भयावह हो जाती है, जब उनको रात में पीड़ा होती है, उस वक्त कोई महिला चिकित्सक उपलब्ध नहीं रहती हैं.

कितने कर्मचारी होने चाहिए : सदर अस्पताल में एक अधीक्षक का एक पद, एक उपाधीक्षक का पद, फिजिशियन के दो पद, जेनरल सजर्न के दो पद, स्त्री रोग विशेषज्ञ के दो पद, चर्म रोग विशेषज्ञ का एक पद, शिशु रोग विशेषज्ञ के दो पद, मूर्छक के दो पद, इएनटी का एक पद, नेत्र रोग विशेषज्ञ का एक पद, हड्डी रोग विशेषज्ञ का एक पद, रेडियोलॉजिस्ट के दो पद, सामान्य चिकित्सक एवं महिला चिकित्सक के नौ पद, दंत चिकित्सक का एक पद, आयुष चिकित्सक के दो पद, पब्लिक हेल्थ मैनेजर का एक पद, पैथालॉजिस्ट का एक पद, ऑप्थेलमिक असिस्टेंट का एक पद, प्रयोगशाला प्रावैधिक के आठ पद, मिश्रक के पांच पद, मेट्रॉन के दो पद, परिचारिका के 55 पद, लिपिक के दो पद, एक्स-रे टेक्निशियन के तीन पद सहित कुल मिलाकर 141 पद हैं.
जो पद हैं खाली: सदर अस्पताल में अधीक्षक, उपाधीक्षक, फिजिशियन, चर्म रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ का एक पद, मूर्छक का एक पद, नेत्र रोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, सामान्य चिकित्सक एवं महिला चिकित्सक के 7 पद, दंत चिकित्सक, आयुष चिकित्सक का एक पद, पब्लिक हेल्थ मैनेजर, पैथालॉजिस्ट, ऑप्थेलमिक असिस्टेंट, प्रयोगशाला प्रावैधिक,( तीन अनुबंध पर कार्यरत ), मिश्रक, मेट्रॉन, , परिचारिका के 50 पद, एक्स-रे टेक्निशियन के दो पद सहित कुल मिला कर 102 पद खाली हैं.
अस्पताल में गंदगी बरकरार
सदर अस्पताल में कर्मियों की कमी की वजह से हरेक जगह पर गंदगी का अंबार लगा रहता है. इमरजंेसी, जेनरल वार्ड, प्रसव कक्ष, महिला वार्ड सहित अन्य स्थानों पर गंदगी फैली रहती है.सदर अस्पताल में कर्मियों की कमी की वजह से रोगियों का समुचित इलाज नहीं हो पाता है. दिन से लेकर रात तक अस्पताल पहुंचे रोगियों को इलाज के लिए तरसना पड़ता है. सबसे दिक्कत तो रात में होती है, जब अस्पताल में कर्मी उपस्थित नहीं रहते है. गंभीर रूप से बीमार रोगियों को कर्मियों की कमी की वजह से बाहर भेज दिया जाता है.
दो महीने के भीतर सात चिकित्सक सेवानिवृत्त हो चुके हैं. पहले से ही यहां पर कर्मियों सहित चिकित्सकों की कमी है. पटना की बैठक में बार-बार मामले को उठाया जा रहा है. इस बार की बैठक में भी मामले को उठाया जायेगा. जितेंद्र कुमार, प्रभारी सीएस
डॉक्टर और कर्मियों की कमी है. प्रदेश सरकार कुंभकर्णी निद्रा में है. कई चिकित्सकों यहां से बाहर भेज दिया गया, लेकिन उनकी भरपाई नहीं की गयी. बचे चिकित्सकों से ही किसी तरह काम चलाया जा रहा है. सरकार को चाहिए कि वह इस समस्या को प्राथमिकता के आधार पर निबटाये. राम नारायण मंडल, विधायक, बांका

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