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60वीं जयंती पर विशेष : सचमुच अनोखा था दादा का व्यक्तित्व

फोटो है : फोटो संख्या 13 बीएएन 60 स्व दिग्विजय सिंहप्रतिनिधि, कटोरिया’दादा’ के नाम से लोकप्रिय पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1989 में बांका से किया. दादा ने कभी भी चरित्र व व्यक्तित्व से समझौता नहीं किया. वे स्वाभिमान की लड़ाई सदा लड़ते रहे. बांका की बेबसी, लाचारी, बेरोजगारी, अन्याय […]

फोटो है : फोटो संख्या 13 बीएएन 60 स्व दिग्विजय सिंहप्रतिनिधि, कटोरिया’दादा’ के नाम से लोकप्रिय पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1989 में बांका से किया. दादा ने कभी भी चरित्र व व्यक्तित्व से समझौता नहीं किया. वे स्वाभिमान की लड़ाई सदा लड़ते रहे. बांका की बेबसी, लाचारी, बेरोजगारी, अन्याय व अनीति के विरुद्ध सदा संघर्ष करते रहे. सचमुच दादा का व्यक्तित्व अनोखा था. अनोखा इसलिए कि जब वे थे, तो जनसैलाब उमड़ता था. जब वे नहीं थे, तब भी 27 जून 2010 को उनकी अंतिम यात्रा में वही जनसैलाब उमड़ा. इसमें ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, दिग्विजय तेरा नाम रहेगा’ का नारा लगाने वालों में राजनीतिक दलों के भेदभाव मिट गये थे. चूंकि एक आशा का नाम था दिग्विजय, एक भरोसा का नाम था दिग्विजय, एक आस्था व एक विश्वास थे दिग्विजय. हर दिल अजीज. जाति, धर्म व संस्कार से ऊपर, एक अनूठा व्यक्तित्व. जो कभी न झूका, न कभी रुका, चला तो चलता ही चला गया. बांका ही नहीं, बिहार ही नहीं, इस देश का एक अद्वितीय सपूत था दिग्विजय. जिसने सपना देखा था उत्कृष्ट व्यक्तित्व का, संतुलित विकास का व परिपक्व राजनीति का. जाति, कौम, बिरादरी, धर्म व संप्रदाय से परे यह तो एक अनन्य चिराग था. जिसकी ज्योति लाखों दिलों व मानस में समाविष्ट है, समाविष्ट रहेगी.

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