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गांवों में पाये जाने वाले औषधीय पौधों, मिट्टी व जानवरों की तैयार होगी सूची, छात्रों को शोध करने में होगी सुविधा

विभांशु, बांका : जिले के गांवों में उगने वाले औषधीय व अन्य पौधों, मिट्टी की प्रकृति, फल, फूल के साथ जानवरों के आंकड़े तैयार किया जायेगा. गांवों में कई पौधों की जड़ें व पत्तियां व जानवर पाये जाते हैं जिसका देसी इलाज में उपयोग किया जाता है. ऐसे ही विशेष जैव विविधताओं की सूची तैयार […]

विभांशु, बांका : जिले के गांवों में उगने वाले औषधीय व अन्य पौधों, मिट्टी की प्रकृति, फल, फूल के साथ जानवरों के आंकड़े तैयार किया जायेगा. गांवों में कई पौधों की जड़ें व पत्तियां व जानवर पाये जाते हैं जिसका देसी इलाज में उपयोग किया जाता है. ऐसे ही विशेष जैव विविधताओं की सूची तैयार करने के लिए जिले के पंचायतों व शहरी निकाय में जैव विविधता प्रबंधन समिति का गठन किया जायेगा. वन विभाग ने इस संबंध में डीएम व डीएफओ को लिखित रूप से दिशा-निर्देश भी दिया.

जानकारी के मुताबिक बिहार राज्य जैव विविधता पार्षद के अंतर्गत पंचायत, प्रखंड व जिला पार्षद के साथ शहरी निकाय में जैव विविधता प्रबंध समिति का गठन किया जाना है. साथ ही जन जैव विविधता पंजी के निर्माण भी सुनिश्चित किया जाना है. जैव विविधता प्रबंधन समिति का गठन के लिए पार्षद की ओर से आवेदन मंगाये जा रहे हैं.
इसमें जैव विविधता के क्षेत्र में काम करने वाले शैक्षणिक संस्थान, शोध संस्थान, शोधार्थी, गैर सरकारी संस्थान आवेदन कर सकते हैं. जिसकी अंतिम तिथि 20 अगस्त तक निर्धारित की गयी है. जिले में मुख्य रूप से 185 पंचायतों व दो नगर निकाय में इसका गठन किया जायेगा. इसके लिए सामूहिक बैठक भी की जायेगी.
सभी पेड़-पौधे व जानवरों का तैयार होगा आंकड़ा
पंचायत स्तर पर गठित जैव विविधता प्रबंध समिति का कार्य अति महत्वपूर्ण है. मुख्य रूप से पंजी का संधारण व इसके अंतर्गत कार्यक्रमों को चलाने की मुख्य भूमिका पंचायत स्तर पर गठिति समिति की ही होगी. पंजी में पंचायतों के सभी तरह के जानवर, मिट्टी की प्रकृति, फल, फूल, देसी इलाज, वहां उगने वाले हर तरह के पेड़-पौधे, जड़ी-बुटी का विवरण दर्ज किया जायेगा. साथ ही इसके निमित्त सभी नियमों की जानकारी ग्रामीण पंचायत के सभी जनप्रतिनिधि व आम जनता को मुहैया कराया जायेगा.
ग्रामसभा आयोजित कर प्रबंध समित का होगा गठन
जैव विविधता प्रबंध समिति गठन से पंचायत स्तरीय राजस्व को भी नया आयाम मिलेगा. दरअसल, रासायनिक दवा कंपनी दवा बनाने में जड़ी-बूटी का इस्तेमाल करते हैं. कंपनियां टुकड़ों-टुकड़ों में कहीं से कुछ भी जड़ी बूटी खरीद ले रही है, इसका पैसा कुछ लोगों को जाता है. लेकिन वास्तविक राशि सही हाथों में नहीं जा पाती है.
यही नहीं जड़ी-बूटी का जो मूल्य होता है उसके अनुसार शत प्रतिशत कीमत भी नहीं मिल पाती है. अब जैव विविधता प्रबंध समिति के अनुसार जड़ी-बूटी का सरकारी दर निर्धारित किया जायेगा. खरीद-बिक्री का फैसला पंचायत स्तरीय जैव विविधता समिति करेगी. पैसा सीधे पंचायत के खाते में जायेगी.
जैव विविधता प्रबंध समिति गठन होना है. उच्च स्तरीय निर्देश के आलोक में जल्द ही विभागीय प्रक्रिया शुरू की जायेगी. समिति गठन से कई सारे लाभ मिलेंगे. खासकर पंचायत प्रबंध समिति अपने जैव संपदा का सदुपयोग कर राजस्व में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं. इसका विधिवत प्रचार-प्रसार भी किया जायेगा.
राजीव रंजन, डीएफओ, बांका

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