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दो साल के बाद भी सिर्फ एक ट्रेन के भरोसे ही यात्री करते हैं सफर

कटोरिया : दो वर्ष पूर्व ठीक आज के ही दिन यानि 22 जून 2016 बुधवार को बांका-देवघर रेलखंड पर रेल परिचालन का शुभारंभ हुआ था. पूर्व सांसद पुतुल कुमारी के नेतृत्व में सीटी बजाते हुए जब पहली बार बांका-अंडाल पैसेंजर ट्रेन सीटी बजाते हुए कटोरिया स्टेशन पर पहुंची थी, तो लोग खुशी से झूमने लगे […]

कटोरिया : दो वर्ष पूर्व ठीक आज के ही दिन यानि 22 जून 2016 बुधवार को बांका-देवघर रेलखंड पर रेल परिचालन का शुभारंभ हुआ था. पूर्व सांसद पुतुल कुमारी के नेतृत्व में सीटी बजाते हुए जब पहली बार बांका-अंडाल पैसेंजर ट्रेन सीटी बजाते हुए कटोरिया स्टेशन पर पहुंची थी, तो लोग खुशी से झूमने लगे थे. समूचा स्टेशन ‘प्यारे दादा अमर रहे, दिग्विजय सिंह अमर रहे’ के नारों से गूंज उठा था. इस सुखद व स्वर्णिम पल के दो वर्ष बीत जाने के बावजूद बांका-देवघर रेलखंड पर एकमात्र पैसेंजर ट्रेन का ही परिचालन हो रहा है.

ट्रेन की संख्या में बढ़ोतरी नहीं होने के कारण क्षेत्र के लोगों में काफी मायूसी छायी हुई है. सबों की जुबान से सिर्फ एक ही बात निकलती है कि यदि आज दादा यानि दिग्विजय सिंह हमारे बीच होते, तो बांका-देवघर रेल लाइन भाया कटोरिया से होकर लंबी दूरी की कई ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ रहता. इस रेलखंड पर ट्रेन की संख्या में बढ़ोतरी की दिशा में अब तक क्षेत्र के किसी भी जनप्रतिनिधियों ने आवाज बुलंद नहीं की. परिणामस्वरूप लंबी दूरी व एक्सप्रेस ट्रेन का सपना अब तक साकार नहीं हो पा रहा. 22 जून 2016 से आज तक एकमात्र बांका-अंडाल पैसेंजर ट्रेन का ही परिचालन हो पाया.
कटोरिया से दो लाख प्रतिमाह का राजस्व
बांका-देवघर रेल लाइन पर सालों भर एकमात्र पैसेंजर ट्रेन चलती है. बावजूद इसके कटोरिया स्टेशन से रेलवे को बेहतर राजस्व की प्राप्ति हो रही है. सिर्फ कटोरिया स्टेशन से प्रतिमाह पौने दो लाख से दो लाख तक राजस्व की प्राप्ति टिकट बुकिंग से हो रही है. इसके बावजूद इस रेलखंड पर ट्रेन की संख्या की बढ़ोतरी की दिशा में रेलवे के वरीय अधिकारी कोई महत्वपूर्ण फैसला नहीं ले रहे.
मेले के दौरान चली थीं दो स्पेशल ट्रेनें
वैसे गत श्रावणी मेला के दौरान मेला स्पेशल दो ट्रेन चलायी गयी. जिसमें हाफ-पेयर के तहत गौरखपुर एक्सप्रेस को गौरखपुर से सुल्तानगंज-बांका होते हुए देवघर तक चलाया गया. लेकिन इस ट्रेन की वापसी झाझा-किउल से होकर होती रही. सुल्तानगंज से जसीडीह तक एक एक्सप्रेस ट्रेन भी श्रावणी मेला के दौरान चली थी. लेकिन दोनों में से किसी भी ट्रेन का ठहराव कटोरिया स्टेशन पर नहीं था.
स्टेशन मास्टर के भरोसे व्यवस्था
रेल सेवा शुरू होने के दो सालों बाद भी कटोरिया स्टेशन पर कर्मियों की संख्या नहीं बढ़ायी गयी है. यह स्टेशन एकमात्र स्टेशन मास्टर उज्ज्वल सिंह के ही भरोसे संचालित हो रहा है. हालांकि एक पोर्टर (सहायक) की नियुक्ति पिछले दिनों से हुई है. ज्ञात हो कि कटोरिया में स्टेशन मास्टर का एक, सहायक स्टेशन मास्टर के चार एवं पोर्टर के तीन पद सृजित हैं. इसमें सहायक स्टेशन मास्टर के सभी चार व पोर्टर के दो पद रिक्त ही हैं.

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