टेक्नोलॉजी के युग में फोन से ही हो रहा है दुर्गा सप्तशती का पाठ
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हाइटेक हुए पंडी जी, मोबाइल से करा रहे पूजा-पाठ
टेक्नोलॉजी के युग में फोन से ही हो रहा है दुर्गा सप्तशती का पाठ परदेस में रहने वाले कई धार्मिक अनुष्ठान कर रहे मोबाइल के माध्यम से बांका : आधुनिक युग में तमाम गतिविधियां टेक्नोलॉजी से जुड़ती जा रही है. अब टेक्नोलॉजी के सहारे पूजा-पाठ जैसे धार्मिक अनुष्ठान भी किये जा रहे हैं. इतना ही […]
परदेस में रहने वाले कई धार्मिक अनुष्ठान कर रहे मोबाइल के माध्यम से
बांका : आधुनिक युग में तमाम गतिविधियां टेक्नोलॉजी से जुड़ती जा रही है. अब टेक्नोलॉजी के सहारे पूजा-पाठ जैसे धार्मिक अनुष्ठान भी किये जा रहे हैं. इतना ही नहीं मोबाइल में मंत्रों के स्वर व उसके भाव को भी लोग आत्मसात करने लगे हैं. तभी तो दूर बैठे पंडित परदेश में रह रहे श्रद्धालुओं के घरों में पूजा-पाठ व अन्य अनुष्ठान करा रहे हैं. जी हां, समाज हाइटेक होने के साथ मोबाइल से ही कई धार्मिक अनुष्ठान कराने में अब लोग रुचि लेने लगे हैं. हालांकि कुछ पंडित बताते हैं िक आजकल तांत्रिक भी मोबाइल के सहारे ही साधना का काम करने लगे हैं. हालांकि जादू-टोना जैसे अन्य गतिविधियों का वैज्ञानिक आधार नहीं है, लेकिन हाइटेक युग में पुरानी प्रथा के प्रति अंधविश्वास आज भी समाज को मजबूती से जकड़ा हुआ है. इसके कारण कई लोग झांसे में आ जाते हैं.
परदेस में पुरोहित को बुलाना आसान नहीं
ग्रामीणों के बीच पुरातन परंपरा के तहत कुल पुरोहित की प्रथा अब भी कायम है. एक कुल के लिए एक खास पंडित रहते हैं. यह व्यवस्था पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. अगर घर में पूजा-पाठ या किसी धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन होता है, तो संबंधित पंडित ही पूजा-पाठ कराते हैं. विडंबना यह है कि गांव के लोग परदेस में जाकर रहने लगे. लिहाजा, पूजा-पाठ के लिए पुरोहित को परदेस बुलाना संभव नहीं हो पाता है. ऐसी स्थिति में पंडित यहीं से पूरी पूजा करा देते हैं. वीडियो कांफ्रेंसिंग या कॉलिंग से पूजा-पाठ की गतिविधियों पर नजर रखते हैं. इतना ही नहीं, शारदीय व वासंतिक नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ भी मोबाइल से ही हो रहा है. परदेस में रहनेवालों का मानना है कि बाहर पुरोहित का प्रबंध करना मुश्किल काम है. ऐसी स्थिति में नियत समय में मोबाइल ही एकमात्र सहारा बच जाता है, क्योंकि संस्कृत मंत्रों का उच्चारण आज के हाइटेक युग में कई पढ़े-लिखे भी नहीं कर पाते हैं और मोबाइल से दूर बैठे पुरोहित के उच्चारण व उसके भाव प्रकट कर अनुष्ठान पूरा कराते हैं.
कहते हैं पंडित
मोबाइल क्रांति से पूजा-पाठ में सुविधा हुई है. पूजा की सूचना अब यजमान मोबाइल पर दे देते हैं. परिस्थिति बस कभी-कभी मोबाइल से ही पूजा संपन्न करा दी जाती है. शब्द व भाव को आयोजन स्थल तक निरंतर पहुंचाना लक्ष्य होता है, जिसमें मोबाइल आज बेहतर सुविधा के रूप में उभर कर आया है.
ओकप्रकाश झा, प्रसिद्ध पंडित
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