बांकाः इस बार का लोक सभा चुनाव पिछले दोनों चुनाव से काफी भिन्न है. पूर्व के दोनों चुनावों में अलग बयार चल रही थी. 2009 में भाजपा और जद यू साथ में चुनाव मैदान में थे. जबकि राजद और कांग्रेस दोनों अलग-अलग चुनावी मैदान में थे. परंतु जद यू के प्रत्याशी के तौर पर पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह को टिकट नहीं दिया गया था. जिसके बाद स्व सिंह संसदीय क्षेत्र के मतदाता के सम्मान के तौर पर चुनाव मैदान में थे. 2010 का चुनाव स्व सांसद के असामयिक निधन के बाद हुआ था. जिसमें उनकी पत्नी पुतुल कुमारी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लोगों के बीच आयी थी. चुनाव मैदान में उतरने के बाद दादा के सम्मान में कांग्रेस, जद यू, भाजपा, सीपीआइ ने अपने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे.
पिछले चुनाव में निवर्तमान सांसद को भाजपा, जद यू, कांग्रेस, सीपीआइ आदि पार्टियों का समर्थन प्राप्त था. दिग्विजय सिंह के गुजर जाने से उनके पीछे सहानुभूति वोट भी थे. अकलियत के एक गुट का वोट भी उनके साथ था. वहीं दूसरी ओर अगर बात करें तो राजद अपने दम पर चुनाव मैदान में था. परंतु इस बार के चुनाव में काफी कुछ अलग है. भाजपा और जद यू दोनों अलग हो चुकी है. सांसद निर्दलीय नहीं है. कांग्रेस और राजद मिल कर चुनाव लड़ रहे है. सीपीआइ और जद यू आपस में तालमेल रख कर चुनाव मैदान में है.
भाजपा, लोजपा और रालोसपा इस बार एक साथ मैदान में है. भाजपा के टिकट पर निवर्तमान सांसद पुतुल कुमारी चुनाव मैदान में है तो राजद और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर जय प्रकाश नारायण यादव लड़ाई लड़ रहे है. जद यू और सीपीआइ के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर संजय कुमार चुनाव मैदान में है. हालांकि कार्यकर्ताओं के खींच तान से प्राय : सभी पार्टी जूझ रही है. सभी प्रत्याशी अपने अपने जीत के दावे कर रही है. सभी का अपना अपना घोषणा पत्र और अपने अपने मतदाता है.
सभी प्रत्याशी विकास के नाम पर चुनाव मैदान में तो है लेकिन मतदाता को अपने पक्ष में करने के लिए कुछ कुछ अलग राप जरूर अलाप रहे है. एक ओर जहां निवर्तमान सांसद दादा के अधूरे सपने, संसदीय क्षेत्र के विकास और नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रही है. वहीं राजद के प्रत्याशी जय प्रकाश नारायण यादव लालू जी के सम्मान को लेकर सभी मतदाता को एकजुटता के साथ एक बार मौका देने की बात कर रहे हैं तो जदयू और सीपीआइ केंद्र सरकार की विफलता, अकलियतों की हितैसी, बिहार का विकास और बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के नाम के लिए वोट मांग रही है. जनता किस प्रत्याशियों के वादे को ध्यान में रख कर आने वाले 24 अप्रैल को मतदान करती है वह तो 16 मई को पता चलेगा लेकिन इतना तो जरूर है कि जनता सब जानती है.