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अविरल जलधारा के पास बनेगा सूर्य मंदिर

हुनर. गूगल पर आर्किटेक्ट ने तैयार किया सूर्य मंदिर का प्रारूप अंबा : आर्किटेक्ट अरूण कुमार सिंह ने कुटुंबा के पिपरा गांव में बनने वाले भव्य सूर्य मंदिर का प्रारूप गूगल मैप के जरिए तैयार कर निर्माण समिति को सौंपा है. इसे तैयार करने में श्री सिंह ने उक्त स्थल का सैटेलाइट निरीक्षण गूगल के […]

हुनर. गूगल पर आर्किटेक्ट ने तैयार किया सूर्य मंदिर का प्रारूप

अंबा : आर्किटेक्ट अरूण कुमार सिंह ने कुटुंबा के पिपरा गांव में बनने वाले भव्य सूर्य मंदिर का प्रारूप गूगल मैप के जरिए तैयार कर निर्माण समिति को सौंपा है. इसे तैयार करने में श्री सिंह ने उक्त स्थल का सैटेलाइट निरीक्षण गूगल के माध्यम से किया और उपलब्ध भूमि के अनुरूप मंदिर का डिजाइन तैयार किया है. बतरे नदी के किनारे पर बनने वाले मंदिर के समीप ही एक अविरल जलश्रोत निरंतर बहता रहता है. ग्रामीण पिछले वर्ष उक्त स्थल पर खुदाई कर वहां कुंड की स्थापना करने का मन बनाया. कुंड स्थापना और सूर्य मंदिर निर्माण के बाद उक्त स्थल एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा.
छठ व्रत के दौरान उक्त स्थल पर झारखंड एवं बिहार के दक्षिणी भाग के छठ व्रती को एक मनोरम व स्वच्छ स्थान पर पर्व मनाने का साधन मिल जाएगा. यह स्थान संडा बाजार व झारखंड के हरिहरगंज बाजार से मात्र तीन किलोमीटर पर स्थित है. सूर्य मंदिर व परिक्रमा स्थल के विकास के लिए गांव वालों ने निर्माण कार्य का शुभारंभ आगामी 14 जनवरी से मंकर संक्रांति के मौके पर कराने का निर्णय लिया है, जिसके लिए आवश्यक तैयारी की जा रही है. आर्किटेक्ट ने मंदिर निर्माण में 35 से 40 लाख की लागत आने का अनुमान लगाया है.
मंदिर निर्माण का संकल्प महात्मा के इशारे पर
विगत 18 मार्च 2016 को ग्राम देवी की पांचवीं प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ के दौरान जल यात्रा में शामिल संत आशीष कुमार बापू अविरल जलश्रोत देख उसे सूर्य कुंड के रूप में विकसित करने के लिए गांव वालों से कहा. गांव व आस-पास के गांव के लोग इस कार्य को करने का बीड़ा उठाया. इस कार्य के लिए निरंतर चंदा की रकम इक्कठा करने का काम जारी है. संत की घोषणा के वक्त ही ग्रामीण आठ लाख 90 हजार रूपये का चंदा दे दिया था. पिछले दिन घ्वजारोहण किया गया था तथा नवरात्र के अवसर पर मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास कराया गया.
कैसा होगा मंदिर का स्वरूप
प्राप्त नक्शा व चित्र के अनुसार मंदिर 75 फीट लंबा, 37.5 फीट चौड़ा तथा 51 फीट की उंचाई का होगा. स्थल को पर्यावरण व आकर्षण की दृष्टि से 22 लाख 83 हजार रूपये की लागत से 16 हजार पौधे लगाये जाने का लक्ष्य है. पौधे प्रयोग की जाने वाली लकड़ी व 27 धार्मिक अनुष्ठान में उपयोग होने वाले उदेश्य के तहत लगाये जाएंगे.
हुआ था शिलान्यास
गत दिनों मौजा मटपा टोले सोनारखाप कुटुम्बा के खाता संख्या-03 प्लॉट नंबर-1325 एवं खाता संख्या 121 प्लॉट नंबर 1308 में स्थित कब्रिस्तान की भूमि पर असामाजिक तत्व द्वारा अवरोध उत्पन्न करने संबंधी आवेदन प्राप्त हुआ था.खेसरा नंबर 1308 खाता नंबर 121 पर हिन्दू समाज भू स्वामी की सहमति के बाद सूर्य मंदिर सह अविरल तालाब व नवग्रह वन निर्माण हेतु स्थल पूजन घ्वजारोहण कर सूर्य मंदिर का शिलान्यास किया था. सीओ ने बताया कि खाता नंबर 03 प्लॉट नंबर 1325 कुल रकबा 01.06 एकड़ पर पूर्व से कब्रिस्तान है ,जिसमें 0.75 एकड़ का रिटर्न बाबू वसंत नारायण सिंह बगैरह ग्राम बलिया को प्राप्त है. मौजा मटपा खाता नंबर 121 प्लॉट नंबर 1308 कुल रकबा 14.88 एकड़ गैरमजरूआ मालिक किस्म परती कदीम कैडेस्टरेल सर्वे खतियान में दर्ज है. उक्त खाता खेसरा की जमीन मटपा के जमींदारी बाबू रामस्वरूप सिंह हिस्सा एक व बाबू उदित नारायण सिंह व बाबू वसंत नारायण सिंह बलिया को 09.42 एकड़ का रिटर्न प्राप्ति की बात है. खाता खेसरा 1308 से विगवा देवी जौजे बनवारी चौहान मटपा ने केवाला संख्या 729 दिनांक 27 जनवरी 1981 को 03.23 एकड़ तथा इसी तिथि को कुन्ती देवी जौजे करमू चौहान केवाला संख्या 728 से 03.23 एकड़ एवं के वाला संख्या 1153 ,20 जून 1972 में बसंत नारायण सिंह व उदित नारायण सिंह ने मधुरानी देवी पति कुलदीप मिश्र व किशोरी देवी पति परमेश्वर मिश्र को खता नंबर 121 खेसरा नंबर 1308 में रकबा 02.21 एकड़ प्राप्त होने की बात बतायी है.
अवैध कब्जे से मुक्त करायी गयी भूमि पर होगा काम
लंबे अरसे से पिपरा गांव के बतरे नदी पर अविरल जलधारा वाले स्थान पर स्थित भूमि पर दो समुदाय अलग-अलग दावा जता रहे थे. मुस्लिम समुदाय इसे सरकारी भूमि समझ इस पर कब्जा जमा रहे थे. वहीं हिंदू समुदाय का कहना था कि यह भूमि उनकी है. इस पर रस्साकशी होने पर प्रशासन का हस्तक्षेप हुआ और जब भूमि का दस्तावेज खंगाला गया तो वह दो हिंदू धर्मावलंबी का निजी जमीन निकला. प्रशासनिक अधिकारी एसडीओ सुरेन्द्र प्रसाद व सीओ ठुईंयां उरांव उक्त स्थल की मापी कराकर उसे जमीन के हकदार के हाथों सौंप दिया. अब उस भूमि पर जमीन मालिक की सहमति से भव्य सूर्य मंदिर बनाने का कार्य किया जा रहा है.

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