बदहाली. लाखों खर्च के बाद भी कूड़े का नहीं हो पा रहा समुचित निस्तारण
Advertisement
कचरे से भरा शहर का हर कोना
बदहाली. लाखों खर्च के बाद भी कूड़े का नहीं हो पा रहा समुचित निस्तारण विराटपुर, शाहपुर व नावाडीह में स्थिति नारकीय औरंगाबाद सदर : शहर का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं जो बिलकुल साफ हो. जिस ओर नजर दौड़ायी जाये, उधर कचरा ही दिखता है. शहर के पहले वार्ड से लेकर आखिरी वार्ड तक नगर […]
विराटपुर, शाहपुर व नावाडीह में स्थिति नारकीय
औरंगाबाद सदर : शहर का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं जो बिलकुल साफ हो. जिस ओर नजर दौड़ायी जाये, उधर कचरा ही दिखता है. शहर के पहले वार्ड से लेकर आखिरी वार्ड तक नगर पर्षद क्षेत्र की स्थिति कूड़ों के कारण बदतर है. अगर शहर से कूड़ा उठ भी रहा है, तो उसे शहर के ही किसी कोने में फेंक दिया जा रहा है. शहर के रमेश चौक स्थित सुधा दूध काउंटर, सब्जी मंडी, धरनीधर रोड, पुरानी जीटी रोड के किनारे कुछ जगहों पर विराटपुर, शाहपुर व नावाडीह आदि जगहों पर कचरा पसरे रहता है.
इन जगहों की स्थिति बेहद आपत्तिजनक होती है. अगर इन जगहों से कचरा उठ भी जाये, तो शहर के ही किसी कोने में डंप कर दिया जाता है. इससे शहरवासियों को काफी परेशानी हो रही है. नगर पर्षद द्वारा सफाई पर खर्च किये जा रहे लाखों रुपये यूं ही बरबाद हो रहे है. वहीं नगर पर्षद के पास खुद का डंपिंग जोन नहीं होने के कारण कचरे का निस्तारण समुचित तरीके से नहीं हो पा रहा.
सफाई के लिए तरस रहे लोग : नगर पर्षद द्वारा पूर्व में शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर एक एजेंसी कार्य कर रही थी. जिस पर प्रत्येक माह पांच से छह लाख रुपये खर्च हो रहे थे. अब नगर पर्षद में सफाई व्यवस्था के लिए दो एजेंसियों को बहाल किया गया है. जिस पर मासिक खर्च पहले से दोगुना गिर रहा है, यानी अब सफाई पर प्रत्येक माह 12 से 13 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं. फिर भी लोग सफाई व्यवस्था को लेकर खुश नहीं दिखते. शहर के बिराटपुर राजर्षि विद्यामंदिर और ईदगाह के समीप नगर पर्षद कचरे को डंप करने का अपना अड्डा बना लिया है. ऐसे में लोगों को नगर पर्षद की सफाई व्यवस्था रास नहीं आ रही.
सफाई व्यवस्था पर हर माह खर्च हो रहे " 13 लाख
लंबे समय से अटका है डंपिंग जोन का मामला
नगर पर्षद क्षेत्र में रह रहे लोगों की अक्सर ये शिकायत रहती है कि शहर में कूड़े के निस्तारण की समुचित व्यवस्था नहीं की गयी है. शहर से उठाये गये कचरे को एक स्थान से उठा कर शहर के ही दूसरे स्थान पर उड़ेल दिया जा रहा है. ऐसे में एक तरफ शहर साफ हो रहा है, तो दूसरी तरफ शहर गंदा होता चला जा रहा है.
हालांकि, नगर पर्षद से इसे मानने को तैयार नहीं, लेकिन लोगों का कहना है कि नगर पर्षद से जब शिकायत की जाती है, तो विभाग से जवाब मिलता है कि कुछ जगहों को लेबल करने के लिए शहर के कचरा गिराया जा रहा है, लेकिन शहरवासी इस जवाब से संतुष्ट नहीं है. नगर पर्षद एक लंबे समय से डंपिंग जोन के मामले को टालते आया है. ऐसे में जहां शहर में खाली जगह दिखी, उसी को नगर पर्षद डंपिंग जोन मान लेती है. इसके कारण शहर के लोगों को परेशानी हो रही है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
नगर पर्षद द्वारा डंपिंग जोन के लिए जगह के चयन का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन, शहर में इस तरह की कोई जगह नहीं दिख रही. नगर पर्षद ने जिला पदाधिकारी से भी सहयोग मांगा है. अगर डंपिंग जोन के लिए शहर से सटे कोई उचित जगह मिल जाये, तो लोगों की परेशानी दूर हो जायेगी.
विमल कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, औरंगाबाद
नगर पर्षद बोर्ड की बैठक में भी उठ चुका है मामला
नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 22 के पार्षद राज किरण तिवारी उर्फ सिंटू बताते हैं कि पूर्व में हुए नगर पर्षद बोर्ड की बैठक में डंपिंग जोन के लिये प्रस्ताव रखा गया था. शहर के राजर्षि विद्या मंदिर और ईदगाह के समीप फेंके जा रहे कचरों पर आपत्ति जतायी गयी थी. लेकिन, यहां फिर से कचरे फेंके जा रहे है. जब तक नगर पर्षद डंपिंग जोन की परमानेंट व्यवस्था नहीं करेगी, लोगों की परेशानी दूर नहीं होगी. इन जगहों पर अब लोग निवास करने लगे हैं. ऐसे में यहां कचरा फेंकना परेशानी का कारण बन रहा है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement