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निशाने पर थे जिले के एसपी बाबूराम भी !

प्रतिशोध : नक्सलियों को रही है जिला पुलिस के जवानों की तलाश औरंगाबाद कार्यालय : मरी नाला के समीप नक्सलियों से पुलिस की जो मुठभेड़ हुई, वह पूर्व नियोजित थी. नक्सलियों ने पहले से ही जाल बिछा रखा था, जिसमें पुलिस फंस गयी. मिली जानकारी के मुताबिक, औरंगाबाद एसपी बाबूराम नक्सलियों के मुख्य निशाने पर […]

प्रतिशोध : नक्सलियों को रही है जिला पुलिस के जवानों की तलाश

औरंगाबाद कार्यालय : मरी नाला के समीप नक्सलियों से पुलिस की जो मुठभेड़ हुई, वह पूर्व नियोजित थी. नक्सलियों ने पहले से ही जाल बिछा रखा था, जिसमें पुलिस फंस गयी. मिली जानकारी के मुताबिक, औरंगाबाद एसपी बाबूराम नक्सलियों के मुख्य निशाने पर थे. माना जा रहा है कि जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में हुई कुछ नक्सल विरोधी कठोर कार्रवाई से नक्सली पहले से ही नाराज थे. वे जिला पुलिस के जवानों को किसी तरह नुकसान पहुंचाना चाह रहे थे.
इसके लिए कई बार पोस्टर चिपका कर नक्सलियों ने फरमान भी जारी किया था. नक्सली चाहते थे कि किसी प्रकार एसपी और उनके साथ के पुलिस जवानों को जाल में फंसाया जाये. लेकिन, नक्सलियों के लिए यह काम आसान भी नहीं था, क्योंकि औरंगाबाद जिले के जंगली इलाके से पुलिस नक्सलियों को खदेड़ चुकी थी या फिर नक्सली इस क्षेत्र को छोड़ कर पुलिस को चकमा देना चाह रहे थे. जो जानकारी प्राप्त हुई है,
उसके अनुसार, पिछले एक सप्ताह से नक्सली औरंगाबाद-गया जिलों के जंगलतटीय इलाका डूमरीनाला के पास डेरा डाले हुए थे. इसमें कई शीर्ष नक्सली वहां पर पहुंचे थे. उनकी योजना थी कि पुलिस को घेरा जाये. नक्सली जानते थे कि औरंगाबाद के एसपी अक्सर जंगल में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ का नेतृत्व करते हैं. उन्हें घेरने का एक ही तरीका है कि नक्सली एक जगह पर जमे रहें और पुलिस आये और उसे घेर लें. नक्सलियों की इस मंशा को इस बार पढ़ने या जानने में पुलिस नकाम रही. यों कहा जाये कि पुलिस का सूचना तंत्र इस बार फेल रहा.
नक्सली ऑपरेशन के लिए तैयारियां की जाती हैं. लेकिन, जो तैयारी थी उसी के साथ एसपी बाबूराम ऑपरेशन के लिए निकल गये. जानकारी के अनुसार, पुलिस की संख्या एक सौ से डेढ़ सौ के करीब थी. जंगल के रास्ते होते जब पुलिस डुमरीनाला के पास पहुंची, तो इसकी भनक नक्सली संगठन को लग चुकी थी. लिहाजा, पुलिस को अपने जाल में फंसाने के लिए नक्सलियों ने अपने कुछ साथियों को आगे किया. बताया जाता है कि दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हुई. ऑपरेशन में ही शामिल एक जवान की बात मानें, तो शुरुआत में ही तीन जवान शहीद हो गये.
इसके बाद पुलिस ने नक्सलियों पर गोलीबारी तेज कर दी और नक्सली पीछे भागने लगे. पुलिस उन्हें खदेड़ती हुई वहां पहुंच गयी, जहां नक्सलियों ने पुलिस के लिए जाल बिछा रखा था. वहां की स्थिति यह थी कि चारों तरफ से पहाड़ व ऊंची जगह पर नक्सली अपना मोरचा ले रखे थे और नीचे बिछाये हुए उनके लैंडमाइंस थे. जैसे ही पुलिस जवान लैंडमाइंस के समीप पहुंचे, नक्सलियों ने विस्फोट कर दिया, जिसमें पुलिस के कई जवान अपनी जान गंवा बैठे. हालांकि, पुलिस के कुछ जवानों ने भी वहां पर जान की परवाह नहीं करते हुए चार नक्सलियों को ढेर कर दिया. पुलिस का वहां से निकलना काफी कठिन था. शाम हो चुका थी. अंधेरा छाने लगा था. इससे फिर नक्सलियों को आगे कुछ कार्रवाई करने का मौका नहीं मिला.
डुमरीनाला में पुलिस व नक्सलियों के बीच मुठभेड़ का मामला
घायल जवानों की मदद के लिए पहुंचा सेना का हेलीकॉप्टर.
एक जवान को देखा था उड़ते
नक्सली मुठभेड़ के बाद आमस लौटे सीआरपीएफ के एक जवान ने ऑपरेशन की घटना को बताते हुए रो पड़ा. उस जवान ने कहा कि जब हम आगे बढ़ते हुए डुमरीनाला के पास पहुंचे, तो अचानक एक लैंडमाइंस विस्फोट हुआ, उस विस्फोट में हम अपने पीछे खड़े एक साथी को उड़ते हुए देखा, तो मेरा हृदय दहल उठा. लेकिन, साहस नहीं छोड़ा. अगर हिम्मत हार जाते, तो और बड़ा नुकसान उठाना पड़ता.
नक्सलियों की टोह में सुरक्षाबल.
देर रात तक जंगल में ही फंसे रहे एसपी बाबूराम
डुमरीनाला के समीप हुई पुलिस-नक्सलियों के बीच मुठभेड़ के बाद वहां से शव निकालने में पुलिस जुटी हुई थी. हेलीकॉप्टर से भी शवों को उठाया जा रहा था. मिली जानकारी के अनुसार, मंगलवार को भी देर रात तक एसपी बाबूराम जंगल में ही थे. वह वहीं रह कर शवों को निकलवाने का प्रयास कर रहे थे. यह भी जानकारी मिली है कि नक्सलियों के ठिकाने से मिले भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थों को भी पुलिस जंगल से निकालने का प्रयास कर रही है. रात करीब 11 बजे एसपी देव होते हुए औरंगाबाद वापस पहुंचे.

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