– नवीनगर में हैं कई ऐतिहासिक धरोहर व धार्मिक स्थल
– करिवरवारी नदी का नाम ही बाद में हुआ कररबार नदी
– देवी शक्ति ने पानी की कमी को दूर करने के लिए प्रवाहित की नदी
– पुलस्त ऋषि के कहने पर यहां ठहरी थीं एक रात
– गजेंद्र सिंह –
नवीनगर : नवीनगर प्रखंड में कई ऐतिहासिक धरोहर व धार्मिक स्थल है. पुनपुन नदी उद्गम स्थल से लेकर शक्तिपीठ गजानन माता गजनाधाम के साथ-साथ सिखों का अति प्राचीन गुरुद्वारा या फिर करिवरवारी नदी व एक सोखा बाबा का भव्य व आकर्षक मंदिर से लेकर शहीद सोहदा बाबा का वर्षो पुराना मजार है, जो सभी अपने-आप में एक अलग स्थान रखता है.
यही कारण है कि इस नवीनगर को विभिन्न धर्मस्थलों का संगम भी कहा जाता है. आइये आज हम इन्हीं संगमों में समाहित एक नदी करिवरवारी को जानते है.
स्नान कर करते थे दर्शन
साक्षात प्रकृति की गोद में स्थित गजानन माता गजनाधाम मंदिर के समीप स्थित यह नदी फिलहाल अपने जीर्णोद्धार की बाट जोह रही है. हाल की स्थिति यह है कि यह नदी पूरी तरह मिट्टी से भर गयी है. इसमें एक बूंद पानी नहीं है. जबकि, वर्षो पहले शक्तिपीठ गजनाधाम में आने वाले भक्त इसी नदी में स्नान कर शुद्ध होकर गजानन माता का दर्शन पूजा करते थे.
इस नदी के पानी से आसपास के दर्जनों गांवों के खेतों की सिंचाई होती थी. गजनाधाम महंत अवध बिहारी दास की माने तो देवी शक्ति असुरों के संहार करने के बाद पुलस्त ऋषि के आग्रह पर अपनी शक्ति सेना के साथ ऋषि के आश्रम में विश्रम की थीं. यहां पहले से ही पानी का घोर अभाव था.
इस संकट को दूर करने के लिए देवी माता ने गजानन का रूप धारण कर अपने सूड़ से भूमि को खोद कर जल प्रवाहित किया. जो एक नदी का रूप धारण कर लिया. इसका नाम करिवरवारी पड़ा. समय परिवर्तन के साथ इसी करिवरवारी नदी का अपभ्रंश नाम कररबार नदी पड़ गया.
इस नदी से संबंधित स्थानीय के साथ-साथ अन्य कई लोगों ने जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक का ध्यान आकृष्ट कराया. इसके बावजूद कोई लाभ नहीं हुआ. नदी में पूरी तरह मिट्टी भर जाने व पानी सूख जाने से मां के भक्तों को परेशानी के साथ-साथ आसपास के दर्जनों गांव के किसानों की सिंचाई भी ठप पड़ गयी है. एक बार फिर गांव के लोगों ने अखबार के माध्यम से प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए नदी से खुदाई कर मिट्टी निकालने की मांग की है.