पुलिस व नक्सलियों के बीच पीस रहे लोग 40 हजार की आबादी जी रही नक्सलियों के भय मेंनक्सली खाना बनाकर खिलाने का बनाते हैं दबाव पुलिस मुखबिरी के नाम की जाती है प्रताड़ित (ग्राफीक्स लगा देंगे) औरंगाबाद (ग्रामीण) नक्सल प्रभावित औरंगाबाद जिले में 40 हजार से ऊपर की आबादी पुलिस व नक्सलियों के बीच पीस रही है. कभी उन्हें पुलिस का मुखबिर बता कर नक्सली प्रताड़ित करते हैं तो कभी नक्सलियों का मुखबिर बता कर पुलिस. इन दोनों के बीच जिदंगी घिर गयी है. मदनपुर, नवीनगर व देव के दक्षिणी इलाकों में भय का माहौल कायम है. आम लोगों व गरीबों के जिदंगी से या उनके विकास से किसी को कोई लेना देना नही है. जिदंगी किस पटरी पर और कैसे चल रही है ये वही जानते हैं जो प्रतिदिन इश्वर से सुरक्षित दिन की कामना करते हुये घर से बाहर निकलते हैं. पूर्व में ऐसे कई मामले सामने भी आये हैं जो नक्सली संगठन और पुलिस के बीच पीस चुके हैं. मदनपुर प्रखंड के दक्षिणी इलाके, जो नक्सलियों के लाल गलियारे के नाम से जाना जाता है, इस इलाके में जितना भय लोगों को नक्सलियों से है उतना ही भय पुलिस से भी है. सवाल यह उठता है कि उनकी जिदंगी को नरक बनानेवाले आखिर हैं कौन? पहाड़ों और घने जंगलों से घिरे गांवों के लोग इस जंग से परेशान हैं. भेलीबांध, भितरदोहरी, बेलमा, डूमरी, मुखेता, मुड़गारा, चरैया, सहजपुर, कनौदी, दलेल बिगहा, आजाद नगर, निमीडिह, चिलमी, ललटेनगंज, मठ पर, बादम, बघौरा, दलेलचक, वकीलगंज, धोबीवार, अंंबावार, जुड़ाही,करपतई व देवजरा ऐसे दो दर्जन से अधिक गांव हैं जहां कि जिदंगी नक्सलियों के रहमोकरम पर चलती है. इन इलाकों में बगैर नक्सलियों की मरजी के एक पता भी नहीं हिलता. अगर सूत्रों की माने तो इन गांवों का हिसाब किताब नक्सली संगठन ही किया करते हैं. यहां के लोग प्रतिदिन खुशनुमा जिदंगी की इश्वर से कामना करते हैं . इन्हें तब परेशानी होती है जब पुलिस और नक्सली आमने-सामने होते हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि कहीं पुलिस और नक्सली उन्हें मुखबिर बता कर पकड़ न ले. कई दफे ग्रामीणों को नक्सलियों को कोपभाजन का शिकार पूर्व में होना भी पड़ा है. नक्सली गरीबों के घर देते हैं दस्तक जंगलतटीय व पहाड़ी इलाकों में रहनेवाले आम लोगों की जिदंगी गरीबी के बीच गुजर-बसर हो रही है. जंगल से सूखी लकड़ी काटने और पेड़ से गिरे हुए पत्ते को पत्तल बनाकर बाजार में बेच कर जीवन की गाड़ी खींचना इनकी आदतों में शुमार है. लकड़ी व पत्तल बेच कर जो आमदनी होती है उससे परिवार के लिए चूल्हा जलता है. लेकिन, उस चूल्हे में तब दरार आ जाती है जब गरीबी को भी झटका मिलना शुरू हो जाता है. नक्सली संगठन के लोग इनके घरों में दस्तक देते हैं और इनसे अन्य काम तो कराते ही हैं, भोजन बनाने व खिलाने का फरमान भी जारी करते हैं. सवाल यह उठता है कि जो खुद गरीबी के बीच घिरा है वह एक साथ दर्जनों लोगों को कैसे भोजन करा सकते हैं. नक्सली संगठन गरीबों का हिमायती होने का दावा करती है. लेकिन, इसकी पोल भी खुलती नजर आती है. ढिबरा थाना क्षेत्र के पक्का पर गांव से गिरफ्तार हुए अर्जुन पासवान ने एसपी के पीसी में नक्सली संगठनों की तो पोल खोल ही दी, पुलिस पर भी आम लोगों को मुखबिर होने की बात बता दी. उसने कहा कि पुलिस और नक्सलियों के बीच हमलोग पीस रहे हैं. आम लोगों को पुलिस का मुखबिरी करने का भय दिखाया जाता है और जब पुलिस गांव में पहुंचती है तो नक्सलियों के मुखबिर होने का आरोप लगाया जाता है. पोस्टर चिपकाने की दी जाती है जिम्मेवारीजंगलतटीय इलाको में रहनेवाले आम लोगों की जिदंगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. नक्सली संगठन उन्हें बेहतर जीवन देने के एवज में कई जिम्मेवारी सौंपते हैं. नक्सली पोस्टर चिपकाने से लेकर खाना खिलाने की जिम्मेवारी उन्हें दी जाती है. संगठन के शिर्ष नक्सलियों से उनका सामना भी होता है. लकड़ी काटने के दौरान उन्हें मोबाइल तक दी जाती है ताकि गतिविधियों की सूचना नक्सलियों तक पहुंचायी जाये. लकड़हारे इस जीवन से तंग आ चूके हैं. लेकिन, परिवार की मजबूरी ने उन्हें सब कुछ करने पर मजबूर कर दिया है. इसी बीच अगर पुलिस पकड़ लेती है तो नक्सलियों का मोबाइल व उनके सामग्री बरामद हो जाते हैं और फिर उन्हें नक्सली का सहयोगी बता कर गिरफ्तार कर लिया जाता है. ऐसे में आम जनता बेहतर जीवन जीने की कल्पना कैसे कर सकती है. केंद्र व राज्य सरकार गरीबों के लिए कई योजनाएं चला रही है. लेकिन, इन योजनाओं का लाभ उनलोगों तक नहीं पहुंच रहा है. पुलिस की है कड़ी निगाह पुलिस अधीक्षक बाबू राम ने स्पष्ट कहा है कि पहड़तल्ली व जंगली इलाके के लोगों पर पुलिस की कड़ी निगाह है. खास कर वैसे लोगों पर जो नक्सलियों को किसी न किसी रूप में मदद करते हैं. पुलिस बेगुनाहों के साथ है. गुनाहगारोंं को कभी बख्शा नहीं जायेगा. नक्सलियों की मदद करनेवाले लोगों को चिह्नित किया जा रहा है.
BREAKING NEWS
Advertisement
पुलिस व नक्सलियों के बीच पीस रहे लोग
पुलिस व नक्सलियों के बीच पीस रहे लोग 40 हजार की आबादी जी रही नक्सलियों के भय मेंनक्सली खाना बनाकर खिलाने का बनाते हैं दबाव पुलिस मुखबिरी के नाम की जाती है प्रताड़ित (ग्राफीक्स लगा देंगे) औरंगाबाद (ग्रामीण) नक्सल प्रभावित औरंगाबाद जिले में 40 हजार से ऊपर की आबादी पुलिस व नक्सलियों के बीच पीस […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement