27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आस्था का केंद्र है ऐतिहासिक सूर्य मंदिर

आस्था का केंद्र है ऐतिहासिक सूर्य मंदिर दाउदनगर (अनुमंडल)अनुमंडल मुख्यालय के मौलाबाग ब्लॉक रोड स्थित ऐतिहासिक सूर्य मंदिर व इसके पास के तालाब श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बना हुआ है. प्रत्येक वर्ष कार्तिक व चैत्र माह में हजारों श्रद्धालु यहां आकर तालाब में स्नान कर अस्ताचलगामी व उदीयमान सूर्य को अर्घ अर्पित करते हैं. […]

आस्था का केंद्र है ऐतिहासिक सूर्य मंदिर दाउदनगर (अनुमंडल)अनुमंडल मुख्यालय के मौलाबाग ब्लॉक रोड स्थित ऐतिहासिक सूर्य मंदिर व इसके पास के तालाब श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बना हुआ है. प्रत्येक वर्ष कार्तिक व चैत्र माह में हजारों श्रद्धालु यहां आकर तालाब में स्नान कर अस्ताचलगामी व उदीयमान सूर्य को अर्घ अर्पित करते हैं. लेकिन यहां पर सुविधाओं का अभाव ही झेलना पड़ रहा है. शेड के अभाव में लोगों को खुले आसमान के नीचे रहना पड़ता है, जो ठंड के मौसम में कठिनाई भरा होता है. इसके अलावे साफ -सफाई की समस्या भी व्याप्त रहती है. हालांकि कुछ दिन पहले तक इसकी देखरेख सूर्य मंदिर विकास समिति द्वारा की जाती रही है. इस समिति द्वारा यहां पर सिंचाई विभाग की खाली पड़ी जमीन पर जन सहयोग से मैरेज हॉल सह सामुदायिक भवन बनाने का प्रयास किया गया था. जिसका शिलान्यास का शिलापट्ट भी लगा हुआ है. लेकिन सिंचाई विभाग के आपत्ति के कारण यह नहीं बन सका. रोशनी के लिए सोलर लाइट लगाये गये है. पर, यहां पर सबसे बड़ी समस्या श्रद्धालुओं को ठहरने की है. अब एसडीओ की अध्यक्षता में सूर्य मंदिर न्यास समिति की देखरेख में सूर्य मंदिर की व्यवस्था है. पौराणिक रहा है इतिहास : जनश्रुतियों के अनुसार , इस ऐतिहासिक सूर्य मंदिर का निर्माण 1800 ई के आसपास सेठ दुर्गा दास ने करवाया था. बाद के दिनों में सन 1968 के आसपास सूरज प्रसाद अग्रवाल व दमड़ी पटवा ने संयुक्त रूप से इसका जीर्णोद्धार कराते हुए निर्माण कराया . पुन: मंदिर का जीर्णोद्धार सन 92 में प्रदीप अग्रवाल ने कराया तथा तत्कालीन पदाधिकारी सिकंदर शर्मा ने सूर्य मंदिर के बगल में हनुमान मंदिर का निर्माण कराया. सूर्य मंदिर तालाब की भी ऐतिहासिकता का पता इसकी बनावट व अवशेषों से चलता है. तालाब कमरे के आकार में पुराना अवशेष अभी भी दिखाई देता है. कहा जाता है कि संभवत: यहां स्नान के बाद महिलाओं व पुरुषों के कपड़े बदलने का कक्ष रहा होगा, जो अलग-अलग बने हैं और ज्यादा पानी रहने के कारण हमेशा डूबा रहता है. समिति के सचिव डाॅ संजय कुमार सिंह के अनुसार ब्रिटिश काल में 1914 में हुए सर्वे में भी इस सूर्य मंदिर का जिक्र है. तालाब की गहराई का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता .

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें