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हल्दी की खेती में मेहनत कम, आमदनी अधिक

हल्दी की खेती में मेहनत कम, आमदनी अधिक (फोटो नंबर-1) परिचय-हल्दी का पौध दिखाते किसान हसपुरा (औरंगाबाद)प्रखंड के मलहारा गांव में कई किसानों ने हल्दी की खेती किया है. किसान बताते हैं कि कम मेहनत में हल्दी से अच्छी आमदनी होती है. हल्की मिट्टी वाले खेत इसके लिए काफी उपजाऊ माना जाता है. हल्दी को […]

हल्दी की खेती में मेहनत कम, आमदनी अधिक (फोटो नंबर-1) परिचय-हल्दी का पौध दिखाते किसान हसपुरा (औरंगाबाद)प्रखंड के मलहारा गांव में कई किसानों ने हल्दी की खेती किया है. किसान बताते हैं कि कम मेहनत में हल्दी से अच्छी आमदनी होती है. हल्की मिट्टी वाले खेत इसके लिए काफी उपजाऊ माना जाता है. हल्दी को तैयार होने में आठ माह समय लगता है. इसे आषाढ़ आर्द्रा व रोहण नक्षत्र में लगाया जाता है. हल्दी की खेती कर रहे किसान राम प्रवेश साव, शिव शंभु साव, दुर्गा साव, राम प्रवेश महतो, प्रभु साव, मानकी साव, हरदयाल महतो, उपेंद्र वर्मा, विजय सिंह, कुसुम देवी ने बताया कि हल्दी का उपयोग सभी घरों में मसाले के रूप में किया जाता है. अच्छी फसल लगने पर प्रति कटठा 80 से 90 किलो इसकी उपज होती है. हल्दी को खेत से उखाड़ने के बाद 20 रुपये प्रतिकिलो व सूखा कर हल्दी पूर्ण रूप तैयार हो जाता है तो 60 से 70 रुपये प्रति किलो बाजार में बिक्री होती है. हल्दी उपजाने मे पटवन व खाद भी कम लगता है. हल्दी वाले खेत में उखाड़ने के बाद आलू या अन्य सब्जी लगा सकते हैं. किसानों ने बताया कि सरकारी सहायता कभी नहीं मिलती. प्रखंड कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार, प्रखंड कृषि समन्वयक सुरेंद्र कुमार सिंह, राज कुमार सिंह, संजय कुमार, अरविंद सिंह,सोहन प्रसाद ने बताया कि हल्दी व अदरख की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण देकर बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे किसानों को लाभ मिल रहा है. किसान अगर समूह में खेती करें तो उन्हें काफी लाभ मिल सकता है. पटवन से लेकर खाद, बीज, कीटनाशक दवा के छिड़काव में भी बचत होगा.

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