हसपुरा (औरंगाबाद) : हसपुरा हाइस्कूल खंडहर में तब्दील होने के कगार पर है. आजादी के पहले 1943 में हसपुरा हाइस्कूल स्थापित हुई थी. अब विद्यालय के सभी कमरे जजर्र तो हैं ही साथ ही कई कमरे गिर कर ध्वस्त हो गये हैं. जिले में हसपुरा हाइस्कूल की एक पहचान थी.
अब सब कुछ मिटता सा नजर आ रहा है. जबकि, अभी भी यहां बच्चों की संख्या काफी है. यहां इंटर की पढ़ाई के लिए शिक्षक भी बहाल हैं. पर, स्कूल को इंटर का कोड नहीं मिलने से शिक्षक रहते नामांकन की प्रक्रिया नहीं शुरू हो रही है. प्रखंड क्षेत्र के शिक्षाविद जगतानंद कर्ण बताते हैं कि पहले इस हाइस्कूल में शिक्षा पाने वालों ने खास पहचान बनायी. विद्यालय से शिक्षा ग्रहण कर डॉक्टर, इंजीनियर, अधिवक्ता सहित दर्जनों क्षेत्र के लोग सरकारी पद पर कार्यरत हैं. लेकिन, इतना सब कुछ देने वाला विद्यालय आज अपनी जजर्रता पर आंसू बहा रहा है और भवन के अभाव में बच्चे खुले मैदान में परीक्षा देने को भी मजबूर हैं. वर्ष 2008 में विद्यालय के भवन निर्माण के लिए 42 लाख रुपये आये थे.
पर, राजनीति दावं पेच व पूर्व प्रधानाध्यापक प्रहलाद राम के अकर्मण्यता से रुपये लौट गये. रखरखाव के अभाव में कंप्यूटर, पुस्तकालय में पुस्तक बरबाद होने के कगार पर हैं. पानी की भी सुविधा पर्याप्त नहीं है. कहने को शौचालय है. विद्यालय में बिजली सुविधा भी नहीं है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक कुलदीप चौधरी ने बताया कि शिक्षा विभाग से इंटर की पढ़ाई के लिए पत्र लिख कर कोड की मांग की गयी है. संसाधन की कमी है. उपलब्ध होते ही सब कुछ ठीक हो जायेगा.