औरंगाबाद सदर : शहर के गेट स्कूल खेल मैदान में रविवार की रात मगही कवियों की शानदार महफिल जमी. मगही विराट महाकवि सम्मेलन का आयोजन प्रगतिशील मगही समाज ने किया. कार्यक्रम का उदघाटन औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह व मुख्य अतिथि अमेरिका से पहुंचे आचार्य विमलानंद अवधूत ने दीप प्रज्वलित कर किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांसद ने कहा कि मगही भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए कई बार संसद में आवाज उठायी गयी है.
उन्होंने कहा कि मैंने स्वयं लोकसभा में दो-दो बार इसके लिए आवाज उठायी है. मगही भाषा को सम्मान तभी मिलेगा,जब इसे आठवीं अनुसूची में शामिल किया जायेगा. वहीं आचार्य विमलानंद अवधूत ने कहा कि मगही को उपेक्षित रखने की राजनीतिक साजिश हो रही है, लेकिन कोई ये न भूले कि मगही सूतल शेर हे, बस जागे भर के देर हे. उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश की अपनी भाषा सुरक्षित नहीं उसका कोई भविष्य नहीं. उन्होंने कहा कि जो भाषा भगवान कृष्ण के समय से बोली जा रही है
और जिसकी आयु 3500 वर्ष से भी अधिक है, उसे हिंदी की उपभाषा बतायी जा रही है, जबकि हिंदी के अभी 200 वर्ष भी ठीक से पूरे नहीं हुए. कार्यक्रम में उपस्थित अन्य वक्ताओं ने भी मगही के उत्थान के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने की बात कही. कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी कविता पाठ कर श्रोताओं को भाव विभोर किया. इस दौरान करीब 24 कवियों ने कार्यक्रम में मुख्य रूप से हिस्सा लिया. विशिष्ट अतिथि के रूप में मगध विश्वविद्यालय के मगही भाषा विभागाध्यक्ष डा भरत सिंह, प्रगतिशील मगही समाज के सरयू यादव, चंद्रदेव प्रसाद, विंदेश्वरी प्रजापति, सावित्री देवी, रणविजय सिंह, विनय गुप्ता, अर्चना कुमारी, प्रमोद गुप्ता, कवि नागेंद्र दुबे, आफताब राणा, संतोष यादव, कुसुम देवी, कुमारी शकुंतला सहित अन्य कई लोग उपस्थित थे.