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बाल विवाह व दहेज प्रथा की बुराइयों को बताया
कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए सामूहिक पहल को बताया जरूरी गांवों में जाकर लोगों को जागरूक करेगी कला जत्था की टीम कुटुंबा : बाल विवाह कानूनन अपराध ही नहीं मानसिक शोषण भी है. एक नाबालिग लड़की के लिए बहू की जिम्मेदारी निभाना बहुत ही मुश्किल कार्य है. पुरुषों के लिए भी पत्नी की सभी […]
कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए सामूहिक पहल को बताया जरूरी
गांवों में जाकर लोगों को जागरूक करेगी कला जत्था की टीम
कुटुंबा : बाल विवाह कानूनन अपराध ही नहीं मानसिक शोषण भी है. एक नाबालिग लड़की के लिए बहू की जिम्मेदारी निभाना बहुत ही मुश्किल कार्य है. पुरुषों के लिए भी पत्नी की सभी आवश्यकताओं को पूरा करना कठिन है. बाल विवाह से बचपन खो जाता है. साथ ही, खेलने और सीखने की इच्छाशक्ति समाप्त हो जाती है.
ये बातें साक्षरताकर्मियों की बैठक में वक्ताओं ने कही. जिला साक्षरता के सचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने कहा कि बाल विवाह और दहेज प्रथा पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए हम सभी को आगे आना होगा. उन्होंने सभी लोगों को दहेज से उत्पन्न होने वाली परेशानियों के बारे में लोगों को बताया.
बीइओ परशुराम प्रसाद ने कहा की दहेज को रोकने के लिए सरकार के साथ समाज को प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा कि प्रखंड के सभी पंचायतों में कला जत्था की टीम गीत-संगीत के माध्यम से लोगों को प्रेरित करेगी. दहेज के कारण ही दुल्हनों को प्रताड़ित किया जाता है. उन्होंने बापू आपके द्वार कार्यक्रम में तेजी लाने को कहा. बीइओ ने 15 नवंबर तक सभी टोला सेवक, तालिमी मरकज तथा प्रेरकों को शौचालय बनवाने को कहा.
कार्यक्रम की अध्यक्षता केआरपी सुखदेव प्रसाद सिंह ने की. रामप्रसिद्ध सिंह केशरी, प्रदीप सिंह आदि ने ओडीएफ के महत्व को समझाया. इस मौके पर लेखापाल मनोज कुमार, प्रेरक ब्रजेश कुमार सिंह, चंचला कुमारी, उमेश राम, कविता कुमारी, वीणा साहू, टोला सेवक गोपी चंद बैठा, शंभू शरण चौधरी आदि थे.
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