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खतरे में इमारत, जोखिम में जान

किराया बकाया होने का बहाना बना कर टाला जा रहा मरम्मत का काम औरंगाबाद सदर : पुराना जीटी रोड स्थित जामा मस्जिद के समीप मदरसा मार्केट (एक) की इमारत जर्जर हो चुकी है. लंबे समय से बिल्डिंग का रख-रखाव नहीं होने से कई स्थानों पर छत और दीवारों में दरारें दिखनी शुरू हो गयी हैं. […]

किराया बकाया होने का बहाना बना कर टाला जा रहा मरम्मत का काम
औरंगाबाद सदर : पुराना जीटी रोड स्थित जामा मस्जिद के समीप मदरसा मार्केट (एक) की इमारत जर्जर हो चुकी है. लंबे समय से बिल्डिंग का रख-रखाव नहीं होने से कई स्थानों पर छत और दीवारों में दरारें दिखनी शुरू हो गयी हैं. अब गिरे कि तब गिरे कि स्थिति में पूरा मार्केट है.
स्थानीय दुकानदारों की मानें, तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है़ इस मामले को लेकर मदरसा मार्केट एसोसिएसन की ओर से कल्याण विभाग में कई बार शिकायत की जा चुकी है. बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. दुकानदारों की न तो मदरसा कमेटी सुन रही है और ना ही कल्याण विभाग के पदाधिकारी. स्थिति यह है कि कभी भी जर्जर इमारत कहीं से भी ढह सकती है और जान-माल की क्षति हो सकती है.
न रेलिंग, न छज्जा, पानी भी मयस्सर नहीं : दो तल्ला मदरसा मार्केट में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं. इस मार्केट में करीब 48 दुकानें हैं, जिससे सालाना दो से ढाई लाख रुपये किराये के तौर पर वसूला जाता है. लेकिन, सुविधाओं के नाम पर कुछ भी व्यवस्था नहीं दी जाती.
मार्केट कैंपस से ही खुलते हैं ऑटो : मदरसा मार्केट शहर के पुराने मार्केट में एक है. दुकानदार इस मार्केट के इमारत की आयु 50 वर्ष बताते हैं.
दुकानदारों के अनुसार तब से अब तक इस मार्केट में किसी तरह का मरम्मत कार्य नहीं कराया गया. तीन वर्ष पूर्व मार्केट के दूसरे तल्ले पर कुछ लोगों को मोटी रकम लेकर दुकान उपलब्ध करा दी गयी, लेकिन मार्केट की मुख्य समस्या पर किसी का ध्यान नहीं गया. मार्केट की सबसे बड़ी समस्या जर्जर छज्जा व रेलिंग है. इसके अलावे मार्केट में शौचालय, यूरिनल, पेयजल, दूसरे तल्ले पर जाने के लिए बाहर से सीढ़ी आदि समस्याएं मुख्य हैं. साथ ही, एक और बड़ी परेशानी दुकानदारों की ये है कि मार्केट के कैंपस से देव और शिवगंज के लिए ऑटो खुला करती है, जिससे दुकानदारी तो प्रभावित होती ही है. साथ ही, ग्राहकों के लिए पार्किंग की जगह तक नहीं बचती. सीढ़ी नहीं रहने से दूसरे तल्ले पर बैठे दुकानदार झक मारते रहते हैं.
मार्केट के सभी दुकानदार समय पर किराया देते हैं. बावजूद इसके मार्केट के रख-रखाव पर जिम्मेदार लोगों का ध्यान नहीं. जब भी किसी समस्या पर ध्यान आकृष्ट कराया जाता है, तो किराया बढ़ाने की बात कही जाती है. छत की स्थिति बदहाल हो गयी है.
परवेज आलम, दुकानदार
मदरसा कमेटी और कल्याण विभाग के पदाधिकारी मरम्मत और रखरखाव को लेकर किराया कम होने की बात कहते हैं. वर्षों से किराया वसूला जा रहा है. आज तक मेंटेनेंस पर एक रुपये भी खर्च नहीं किये गये. मार्केट का छज्जा कभी भी गिर सकता है.
बुलबुल, दुकानदार
दुकान की जमीन उपलब्ध कराते वक्त दुकानदारों से लाखों रुपये एडवांस के तौर पर कमेटी लेती है. उन रुपयों का लेखा-जोखा क्या है, कोई नहीं जानता. लेकिन जब मार्केट की मरम्मत की बात सामने आती है, तो किराया कम होने की बात कहते हैं.
फैयाज आलम, दुकानदार
बुनियादी चीजों की कमी की वजह से महिलाएं मार्केट में आना पसंद नहीं करतीं. मार्केट में वर्षा के दिनों में घुटने भर पानी जम जाता है. शौचालय और यूरिनल की कमी है. बावजूद इसके लोग किराया समय पर देते है. एडवांस के रुपये भी जमा हैं, पर मार्केट के मेंटेनेंस पर खर्च नहीं किया जाता.
निशांत कुमार, सचिव, मदरसा मार्केट कमेटी

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