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धान की फसल में बढ़ता जा रहा है रोग व कीड़ों का प्रकोप, मायूस हैं किसान

कृषि वैज्ञानिक ने निरीक्षण कर दिये आवश्यक निर्देश अंबा : जिले के विभिन्न क्षेत्रों में धान की फसल में कीड़ो का प्रकोप बढ़ने लगा है और साथ-साथ पौधों में रोग भी लगने लगे हैं. एक ओर सूखा की मार और दूसरी ओर रोग का प्रकोप से किसानों की चिंता बढ़ गयी है, जिससे किसान मायूस […]

कृषि वैज्ञानिक ने निरीक्षण कर दिये आवश्यक निर्देश

अंबा : जिले के विभिन्न क्षेत्रों में धान की फसल में कीड़ो का प्रकोप बढ़ने लगा है और साथ-साथ पौधों में रोग भी लगने लगे हैं. एक ओर सूखा की मार और दूसरी ओर रोग का प्रकोप से किसानों की चिंता बढ़ गयी है, जिससे किसान मायूस हैं. रोग लगने से पौधा का जड़ काला होकर सड़ रहा है और पौधे के पत्ते के दोनों किनारे सड़े व सूखे दिखाई दे रहे हैं.

कुटुंबा प्रखंड के रसुलपुर, रामपुर, लभरी, सुही, कुटुंबा, खपीआ व ओरडीह समेत कई गांवों के बधार में लगे धान के फसल में यह रोग अधिक देखा जा रहा है. राजेंद्र श्वेता व सोनम प्रजाति के धान में रोग का प्रकोप अधिक है. पौधों को प्रभावित होते देख किसानों ने इसकी सूचना विभाग के अधिकारी व कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को दी है. फसल में दो तरह के रोगों का असर दिख रहा है. फसल को देख कर कृषि विज्ञान केंद्र, सिरीस के समन्वयक डाॅ नित्यानंद ने बताया कि फसल में तना छेदक कीड़ों का प्रकोप है.

ये कीड़े तना में छेद कर रस चूस जाते है ,जिससे पौधा सूखने लगता है. इसके साथ हीं सीथब्लाईट बैटेरीयल रोग लगने की पुष्टि भी उन्होंने की और बताया कि इस रोग से पौधा जड़ से सड़ जाता है. उन्होंने इससे बचाव के उपाय को बताया और कहा कि दवा के छिड़काव कर इस रोग पर नियंत्रण संभव है.

मेड़ से शुरू होता है रोग: धान के फसल में लगने वाला यह रोग मेड़ के समीप से शुरू होता है. धीरे-धीरे यह रोग पूरे क्यारी में फैल जाता है. पौधे के जिस डाठ में सिथ ब्लाईट रोग लग जाता है ,उसमें बालियां नहीं निकलती है. इससे उत्पादन काफी प्रभावित होगा. यदि इसी तरह से प्रकोप बढ़ता रहा है पूरा फसल मारा जा सकता है.

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