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शराब धंधेबाजों के सामने पुलिस फेल

औरंगाबाद सदर : शराब के खिलाफ कड़े प्रतिबंध के बाद भी कोई दिन ऐसा नहीं, जब जिले में शराब पीते, बेचते या तस्करी के मामले सामने नहीं आ रहे हों. आये दिन किसी न किसी को गिरफ्तार किया जाता है या पुलिस भारीमात्रा में देशी व विदेशी शराब जब्त कर रही है. पड़ोसी राज्यों से […]

औरंगाबाद सदर : शराब के खिलाफ कड़े प्रतिबंध के बाद भी कोई दिन ऐसा नहीं, जब जिले में शराब पीते, बेचते या तस्करी के मामले सामने नहीं आ रहे हों. आये दिन किसी न किसी को गिरफ्तार किया जाता है या पुलिस भारीमात्रा में देशी व विदेशी शराब जब्त कर रही है. पड़ोसी राज्यों से शराब के खेप सीमावर्ती क्षेत्रों से होते हुए जिले तक पहुंच रही है.
इधर, पुलिस व उत्पाद विभाग का दावा है कि शराब के धंधेबाजों के खिलाफ पूरी कड़ाई बरती जा रही है. लेकिन, अधिकारी ये नहीं बता पा रहे कि पूरी सख्ती के बावजूद हर रोज शराब और शराबी आखिरकार पकड़े कैसे जा रहे हैं?
अब भी खूब बिक रही शराब : शराबबंदी कानून के लागू हुए एक वर्ष चार महीने बीत जाने के बावजूद लोगों तक शराब की उपलब्धता कहां से और कैसे हो रही है, इसकी जवाबदेही से प्रशासनिक तंत्र बच नहीं सकता. शहरी इलाकों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में शराब का निर्माण और ब्रिकी बड़े पैमाने पर जारी है. महुआ शराब अब भी बनायी जा रही है. खासकर के नक्सल प्रभावित इलाके महफूज ठिकाने बन गये हैं
अनोखे तरीके अपना रहे तस्कर : अवैध शराब के कारोबार में लगे तस्कर शायद दिन-रात इसी माथापच्ची में लगे रहते है कि कौन सा अनोखा व नया तरीका अपनाया जाये, जिससे पुलिस से बचा जा सके.
इन दिनों कुछ ऐसे मामले भी सामने आये, जिसमें यह देखा गया कि तस्कर कुछ नये तरीके से शराब की तस्करी कर रहे हैं. गाड़ी की बॉडी को काट कर उसमें स्पेशल बॉक्स बना कर शराब का धंधा हो रहा है. मुफस्सिल थाना क्षेत्र में भी एक ऐसा ही मामला पूर्व में उजागर हुआ था, जिसमें दवा की 1900 पेटियों में शराब पकड़ी गयी थी. इसके अलावे झारखंड से आनेवाली सब्जी की खेप, दूध के कंटेनर और स्कूल वैन में भी शराब की तस्करी करने का मामला सामने आ चुका है.
हाल के दिनाें में पकड़ी गयी कई बड़ी खेप : पुलिस यह मानती है कि शराब के अवैध कारोबार से तस्कर बड़ी चालाक है. वे खुद तस्करीवाले वाहन की सवारी नहीं करते. यही कारण है कि वे बच निकल रहे हैं, अन्यथा ऐसे कई मामलों में वाहन चालक व सहयोगी पकड़े गये हैं.
पिछले एक महीने में शराब के दर्जनों बड़े मामले सामने आये. कुटुंबा थाना द्वारा छह जुलाई को 210 बोरे में 6300 लीटर दारू पकड़ी गयी थी. नौ जुलाई को रिसियप पुलिस ने एक 40 वर्षीय महिला को पीएनबी बैंक रिसियप के पास से 200 एमएल के 85 पाउच के साथ गिरफ्तार किया था. 12 जुलाई को मदनपुर पुलिस द्वारा आंजन गांव से 120 पाउच बरामद किये गये थे. 17 जुलाई को अंबा पुलिस ने 40 बोतल विदेशी शराब के साथ दो युवक की गिरफ्तारी की गयी थी और एक बाइक बीआर 26जे -2899 जब्त की गयी की गयी थी.
25 जुलाई को मदनपुर थाना की पुलिस ने कुशहा ताड़ से 1850 पाउच देशी शराब बरामद किये थे. 29 जुलाई को ठेले में बॉक्स बना कर शराब की तस्करी करने वाले का पर्दाफास अंबा पुलिस ने की थी. इसमें 400 देशी पाउच पकड़ा गया था. 30 जुलाई को अंबा पुलिस द्वारा एक दर्जन से अधिक लोगों को शराब के मामले में जेल भेजा गया था. 31 जुलाई को रिसियप पुलिस ने झारखंड निर्मित देशी दारू के 200 एमएल 105 पाउच पकड़े थे. एक अगस्त को अंबा पुलिस द्वारा एक पिकअप शराब पकड़ा गया था, जिसमें मकई भी लदा हुआ था.
वहीं नौ अगस्त को अंबा पुलिस ने शराब बनाते हुए एक महिला को गिरफ्तार किया था. 10 अगस्त को रिसियप पुलिस द्वारा एक ट्रैक्टर पकड़ा गया था,जिससे 1450 पाउच 200 एमएल के देशी दारू पकड़े गये थे. इस मामले में सात लोगों की गिरफ्तारी की गयी थी. आठ अगस्त को मदनपुर थाना की पुलिस ने रानीगंज गांव से 925 पाउच देशी शराब पकड़ी गयी थी. 11 अगस्त को 180 पीस पाउच मदनपुर थाना की पुलिस ने आंजन गांव से बरामद किया था. 17 अगस्त को उत्पाद विभाग की टीम ने पिकअप पर लदा तकरीबन तीन हजार पाउच पकड़ा था तथा मदनपुर थाना की पुलिस ने दधपी मोड़ से 1150 पाउच देशी शराब बरामद किया था. 26 अगस्त की रात अंबा पुलिस द्वारा एक पिकअप वैन पर पांच हजार देशी पाउच पकड़ा गया तथा मदनपुर पुलिस ने भी 40 लीटर शराब बरामद किया है.
पुलिस के सामने से निकल भाग रहे तस्कर !
अधिकांश मामलों में देखा यह जा रहा है कि पुलिस के हाथ शराब की खेप या गाड़ियां तो अा रही हैं, लेकिन तस्कर उनके हाथ नहीं आ रहे.
उत्पाद विभाग भी इस कार्य में विफल है. ऐसे में एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या पुलिस प्रशासन व आबकारी विभाग के सूचना तंत्र कमजोर हो गये हैं या फिर तस्करों के साथ इनकी भी सांठगांठ काम कर रही है. इस संबंध में जब पुलिस पदाधिकारी का पक्ष लेने की कोशिश की जाती है, तो वह भी बात बनाते सिर्फ नजर आते है. इनका बहुत सीधा -साधा जवाब होता है कि पुलिस सख्ती से शराबबंदी को सफल बनाने में लगी है. यही वजह है कि शराब के बड़े-बड़े खेप पकड़े जा रहे है. हालांकि, कई मामलों में पुलिस का दावा होता है कि धंधेबाज अंधेरे का फायदा उठा कर भाग निकले. ऐसे मामलों में पुलिस व उत्पाद विभाग का रवैया संदेह के घेरे में भी है, क्योंकि पिछले दिनों जानबूझ कर शराब के मामले में फंसाने व पैसे लेकर छोड़े जाने की शिकायतें भी आती रही हैं.
मेन रोड पर जांच, साइड से हो रहा धंधा
जानकारी के अनुसार झारखंड राज्य से सटे सीमावर्ती क्षेत्र के इलाके कुछ ऐसे हैं, जिन्हें तस्कर वैकल्पिक रास्ते के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. आम तौर पर ऐसे रास्तों पर न तो कभी पुलिस की गश्ती देखी जाती है और न ही उत्पाद विभाग के पदाधिकारी ही इन रास्तों के बारे में जान रहे होते हैं.
ऐसे में शराब के अवैध कारोबार में लगे लोग इन रास्तों को महफूज समझते हैं. हालांकि, इस मामले में कहीं न कहीं पुलिस व उत्पाद विभाग की लापरवाही साफ झलकती है या फिर ये दोतरफा काम कर रहे हैं. एक तरफ पर मुख्य सड़क पर जांच अभियान चला कर सरकार व लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि पुलिस व उत्पाद विभाग शराबबंदी को लेकर काफी सख्त है और दूसरी तरफ ये वैकल्पिक रास्ते का दरवाजा खुला छोड़ दिये हैं.
धंधेबाजों के खिलाफ पुलिस सख्त
शराबबंदी को लेकर औरंगाबाद पुलिस काफी सख्त है.लापरवाही बरतनेवाले पुलिस पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई हो रही है. रही बात तस्करी की, तो शराब के व्यवसाय से जो भी जुड़े हैं वे सभी तस्कर हैं. अवैध शराब के कारोबार करते पकड़े जाने वाले धंधेबाजों को बख्शा नहीं जा रहा. पूर्व में हुई कार्रवाई का वारंट भी जल्द जारी किया जायेगा और कुर्की भी की जायेगी. अवैध कारोबार पर पुलिस की विशेष नजर है.
डाॅ सत्यप्रकाश ,पुलिस अधीक्षक ,औरंगाबाद

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