अररिया : ढ़ आने के समय तक जिले में लगभग 40 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी किसानों ने कर ली थी. जबकि अाच्छादन का लक्ष्य लगभग 96 हजार हेक्टेयर है. मिली जानकारी के अनुसार बाढ़ की तबाही से उबरने के बाद किसानों ने बड़ी मशक्कत के बाद दोबारा धान की रोपनी की, पर बिचड़े […]
अररिया : ढ़ आने के समय तक जिले में लगभग 40 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी किसानों ने कर ली थी. जबकि अाच्छादन का लक्ष्य लगभग 96 हजार हेक्टेयर है. मिली जानकारी के अनुसार बाढ़ की तबाही से उबरने के बाद किसानों ने बड़ी मशक्कत के बाद दोबारा धान की रोपनी की, पर बिचड़े के अभाव में हजारों किसान खेत में दोबारा धान नहीं लगा पाये.
जिन किसानों ने भी धान की रोपनी में सफलता पायी, वे भी चिंता में हैं. किसानों की परेशानी का सबब अगस्त में होने वाला वर्षापात है. जिला सांख्यिकी पदाधिकारी महेश प्रसाद के द्वारा उपलब्ध कराये गये आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में केवल 32 प्रतिशत ही बारिश हुई है.
बताया गया कि अगस्त में जिले में वर्षापात का औसत 347.20 एमएम है, पर इसके विरुद्ध केवल 32 प्रतिशत बारिश ही अगस्त में हो पायी. अगस्त में औसत से 68 प्रतिशत कम बारिश जिले में रिकार्ड की गयी है. किसानों का कहना है कि अगस्त में तो लगभग सुखाड़ की स्थिति रही. अब सितंबर की बारिश ही फसलों की जान बचा सकती है. इस मामले में डीएम हिमांशु शर्मा ने भी बुधवार को अपनी चिंता व्यक्त की थी. प्रेस कांफ्रेंस में वर्षापात को लेकर अपनी चिंता जताते हुए उन्होंने कहा था कि अगस्त में बहुत कम बारिश हुई है. पर अभी सुखाड़ की स्थिति नहीं है. अगर अगले दो माह में अच्छी बारिश होगी तो फसलों की तबाही बच जायेगी.