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बंगाल के तीन िमलरों पर दर्ज हुआ था मामला

चार करोड़ 76 लाख के सीएमआर का गबन अररिया : जिले में बहुचर्चित सीएमआर गबन के मामले में निगम के सख्त निर्देश के बाद हालांकि सभी आरोपी मिलरों के विरुद्ध कानूनी शिकंजा कसने की कवायद को डीएम एसएफसी के द्वारा पूरा कर लिया गया है. कानूनी कार्रवाई की जद में जिले के तीन मिलरों से […]

चार करोड़ 76 लाख के सीएमआर का गबन

अररिया : जिले में बहुचर्चित सीएमआर गबन के मामले में निगम के सख्त निर्देश के बाद हालांकि सभी आरोपी मिलरों के विरुद्ध कानूनी शिकंजा कसने की कवायद को डीएम एसएफसी के द्वारा पूरा कर लिया गया है. कानूनी कार्रवाई की जद में जिले के तीन मिलरों से पहले बंगाल के तीन मिलर भी हैं. बंगाल के ये मिलर वैसे आरोपी है जो अररिया पहुंचे और आठ करोड़ आठ लाख 12 हजार 790 रुपये के सीएमआर का गबन कर डाला.
आज भी सिर्फ इनके पास निगम के सीएमआर के एवज में चार करोड़ 76 लाख रुपये की राशि बकाया है. अब सवाल यह उठता है कि बंगाल के इन तीन बड़े मिलरों के द्वारा वर्ष 2012-13 में अररिया पहुंच कर धान अधिप्राप्ति का काम किया गया उनके द्वारा धान अधिप्राप्त के एवज में 3824 .082 मैट्रिक टन सीएमआर नहीं दिया गया. बावजूद इनके धान का भुगतान कैसे और क्यों कर दिया गया. हालांकि राज्य खाद्य निगम का जिला कार्यालय इस मामले में जो भी तथ्य रखे उसमें कही न कही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों के थाली में परोसे जा रहे अनाज के लूटरों को बचाने की बू आती है.
सुरक्षित रािश भी नहीं करायी थी आरक्षित
अनिकेत मनीष राईस मिल व बाबा विश्वकर्मा राईस मिल के द्वारा सुरक्षित राशि के रूप में एक भी रुपये जमा नहीं किया गया था. इन दोनों मिलरों से निगम के द्वारा नीलाम वाद व दबाव के बाद जो राशि जमा की गयी है वह कहा जाये तो ऊंट के मूंह में जीरा के सामान है. अब सवाल उठता है कि सीएमआर गबन के इन तीन माफिया से सीएमआर की राशि कब तक कानून वसूल पायेगी. जबकि प्राथमिकी की कार्रवाई को किये एक माह का समय बीत चुका है. सवाल यह उठता भी है कि आठ करोड़ रुपये के सीएमआर का काम करने दे तो दिया गया. आखिर बगेर सुरक्षित राशि लिये व आनन -फानन में पश्चिम बंगाल के इन तीन मिलरों को किस परिस्थति में काम करने की अनुमति दी गयी. जबकि इनके द्वारा पोस्ट डेटेड चेक की राशि भी जमा नहीं की गयी है.
अनिकेत मनीष राईस मिल व बाबा विश्वकर्मा राईस मिल के द्वारा सुरक्षित राशि के रूप में एक भी रुपये जमा नहीं किया गया था. इन दोनों मिलरों से निगम के द्वारा नीलाम वाद व दबाव के बाद जो राशि जमा की गयी है वह कहा जाये तो ऊंट के मूंह में जीरा के सामान है. अब सवाल उठता है कि सीएमआर गबन के इन तीन माफिया से सीएमआर की राशि कब तक कानून वसूल पायेगी. जबकि प्राथमिकी की कार्रवाई को किये एक माह का समय बीत चुका है. सवाल यह उठता भी है कि आठ करोड़ रुपये के सीएमआर का काम करने दे तो दिया गया. आखिर बगेर सुरक्षित राशि लिये व आनन -फानन में पश्चिम बंगाल के इन तीन मिलरों को किस परिस्थति में काम करने की अनुमति दी गयी. जबकि इनके द्वारा पोस्ट डेटेड चेक की राशि भी जमा नहीं की गयी है.
मार्च माह में हुई है बंगाल के तीन मिलरों पर प्राथमिकी दर्ज, अब तक नहीं मिली है पुलिस को खास सफलता
7227.739 मैट्रिक टन सीएमआर में पश्चिम बंल के तीन मिलरों को देना था 3824.082 मैट्रिक टन सीएमआर
वर्ष 2012-13 में धान अधिप्राप्ति मद में सीएमआर गबन के मामले में छह मिलरों पर हो चुका है प्राथमिकी दर्ज
पांच करोड़ 80 लाख के सीएमआर का हुआ है गबन, जिसमें बंगाल के तीन मिलर के पास बांकी है चार करोड़ 76 लाख रुपये
गोलछा उद्योग राईस मिल, अशोक ट्रेडिंग व जय लक्ष्मी उद्योग के पास है बकाया है साढ़े 95 लाख

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