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संचालन पर ध्यान नहीं

एमएसडीपी . जिले में 11 करोड़ की लागत से बने हैं 16 छात्रावास जिले में एमएसडीपी योजना से अलग-अलग 14 उच्च विद्यालयों में बालक व बालिकाओं के लिए छात्रावास का निर्माण किया गया है. साथ ही आइटीआइ फारबिसगंज में भी बालक व बालिकाओं के लिए 152-152 बेड वाले दो अलग-अलग हॉस्टल बनाये गये हैं. अधिकांश […]

एमएसडीपी . जिले में 11 करोड़ की लागत से बने हैं 16 छात्रावास
जिले में एमएसडीपी योजना से अलग-अलग 14 उच्च विद्यालयों में बालक व बालिकाओं के लिए छात्रावास का निर्माण किया गया है. साथ ही आइटीआइ फारबिसगंज में भी बालक व बालिकाओं के लिए 152-152 बेड वाले दो अलग-अलग हॉस्टल बनाये गये हैं. अधिकांश बन कर तैयार भी हो चुके हैं. 10 करोड़ से अधिक खर्च हो चुका है, पर एक भी छात्रावास अब तक चालू नहीं हो पाया है.
परवेज आलम
अररिया : केंद्र प्रायोजित अल्पसंख्यक बहू क्षेत्रीय विकास योजना यानी एमएसडीपी के तहत पिछले सात-आठ सालों में चयनित व क्रियान्वित योजनाओं को लेकर तरह-तरह के सवाल उठते रहे हैं.
देखा जाये तो अधिकांश सवाल सीधे तौर पर खारिज भी नहीं किये जा सकते हैं. क्योंकि सरकारी विद्यालय में बेंच डेस्क की आपूर्ति व शुद्ध पेयजल के लिए लगाये गये टेरा फिल्टर योजना में कथित अनियमितता व घपले-घोटाले की चर्चा अब भी थमी नहीं है. एपीएचसी व स्वास्थ्य उप केंद्रों के लिए भवन निर्माण में अनावश्यक विलंब किया गया. इसी कड़ी में विभिन्न उच्च विद्यालयों में निर्मित बालक व बालिका छात्रावास को रखना भी गलत नहीं होगा.
अव्वल तो ये कि छात्रावासों के निर्माण कार्य पूरा करने में ही खासा समय लिया गया. अब भी कुछ छात्रावास अधूरे पड़े हैं. पर जो वर्षों पहले बन कर तैयार हो चुके हैं, उन्हें भी चालू नहीं किया जा सका है.
जिला अल्पसंख्यक कार्यालय द्वारा माह नवंबर 2015 में तैयार रिपोर्ट कहती है कि आइटीआइ, फारबिसगंज में बालक व बालिकाओं के लिए अलग-अलग छात्रावास के निर्माण पर चार करोड़ 96 लाख से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है.
कमोबेश पूरी राशि जून 2011 से जनवरी 2014 तक विमुक्त कर दी गयी थी. दूसरी तरफ पलासी भरगामा, फारबिसगंज व जोगबनी के चार उच्च विद्यालय में इसी योजना के कुल एक करोड़ 75 लाख 56 हजार से अधिक खर्च कर बालक छात्रावास निर्माण होना था. तीन का काम पूरा हो चुका है. इसकी राशि मार्च 2012 से लेकर सितंबर 2014 के बीच विमुक्त कर दी गयी थी.
रिपोर्ट के मुताबिक जिले के अन्य 10 उच्च विद्यालयों में बालिका छात्रावास योजना का चयन कर निर्माण शुरू किया गया. सात छात्रावासों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. निर्माण कार्य पर अब तक तीन करोड़ 86 लाख से अधिक की राशि का व्यय हो चुका है. राशि की विमुक्ति फरवरी 2011 से जून 2014 के बीच अलग-अलग किस्तों में की गयी थी.
रिपोर्ट कहती है कि एक दो को छोड़ कमोबेश बांकी छात्रावास बन कर तैयार हैं. अधिकारी भी मानते हैं कि इन्हें चालू हो जाना चाहिए. पर अब तक एक भी छात्रावास चालू नहीं हो पाया है. विभागीय अधिकारी जल्द चालू करवाने का भरोसा दे रहे हैं.
कहते हैं अधिकारी
जो बन चुके हैं, उन छात्रावास का चलना जरूरी है. संचालन के लिए सरकार से कुछ नये दिशा-निर्देश मिले हैं. उन्हें देखा जा रहा है. कोशिश होगी कि विद्यालय ही छात्रावास को अपने हाथ में लेकर चलाये. वरना अल्पसंख्यक कार्यालय को अपने स्तर से संचालन कराना होगा. टेंडर निकालना होगा. इस सिलसिले में जल्द ही प्रयास शुरू किया जायेगा.
रिजवान अहमद, जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी

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