फारबिसगंज : स्थानीय शिक्षण संस्थान दिजद्वेनी स्मारक उच्च विद्यालय के परिसर में रविवार को साहित्यिक संस्था इंद्रधनुष साहित्य परिषद के द्वारा मांगन मिश्र मार्त्तण्ड की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
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साहित्य से ओझल होता ग्राम्यांचल विषय पर संगोष्ठी
फारबिसगंज : स्थानीय शिक्षण संस्थान दिजद्वेनी स्मारक उच्च विद्यालय के परिसर में रविवार को साहित्यिक संस्था इंद्रधनुष साहित्य परिषद के द्वारा मांगन मिश्र मार्त्तण्ड की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी का आयोजन साहित्य से ओझल होता ग्राम्यांचल विषय पर आधारित था. संगोष्ठी के दौरान अपने संबोधन में विनोद कुमार तिवारी ने कहा […]
संगोष्ठी का आयोजन साहित्य से ओझल होता ग्राम्यांचल विषय पर आधारित था. संगोष्ठी के दौरान अपने संबोधन में विनोद कुमार तिवारी ने कहा कि साहित्य ही है जो गांव की सुधि लेता रहा है. विश्व प्रसिद्ध महान आंचलिक कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु, प्रेमचंद, नागार्जुन जैसे कालजयी रचनाओं ग्राम्यांचल से अपना रचना संसार का आधार बनाया था.
जबकि मांगन मिश्र मार्त्तण्ड ने कहा कि ग्राम्यांचल का साहित्य से ओझल होना स्वाभाविक है. क्योंकि उपन्यास, कहानियां तथा नाटकों पर शहरी महानगरीय, हावी होता जा रहा है परिवेश अन्य साहित्यकारों में राज नारायण प्रसाद, हेमंत यादव शशि, डॉ अनुज प्रभात, हर्ष नारायण दास ने अपने संबोधन में कहा कि ग्राम्यांचल साहित्य से इसलिए भी ओझल होता जा रहा है कि आज गांवों का तेजी से शहरी करण हो रहा है. उदारी करण और भू-मंडली करण की चकाचौंध गांव को अपने चपेट में लेता जा रहा है. इसका प्रभाव आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक व्यवस्था पर भी पड़ रहा है.
संगोष्ठी में कृत्यानंद राय, शिव नारायण चौधरी, भुवनेश्वर दास, गोविंद नारायण दास,एमएस आलम, बच्चे लाल पाठक, राजू कुमार विद्यार्थी, श्रीवास सिंह, सीताराम दास, सुनील दास, लक्ष्मी प्रसाद साह सहित अन्य उपस्थित थे.
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