तस्करों पर नकेल कसना एसएसबी जवानों को पड़ा महंगा पौआखाली.कादोगांव की घटना के लिए नेपाल में बसे भारतीय मूल के कथित तस्करों का सरगना मुख्य रूप से जिम्मेवार बताया जा रहा है. ये कथित तस्कर भारत और नेपाल के बीच बने बेटी रोटी के संबंधों का नाजायज तरीके से फायदा उठा कर ना सिर्फ तस्करी में लगे है वरन जरा सी भी कठोर कार्रवाई होने पर आक्रामक हो जाते है. सीमा पर स्थित एसएसबी को नीचा दिखाने में ये भारतीय मूल के नेपाली तस्कर कोई कसर नहीं छोड़ रहे है. गौरतलब है कि बीते रविवार को जिन 13 एसएसबी के जवानों को नेपाल के झापा जिला अंतर्गत केचना सशस्त्र प्रहरी बल के कैंप में नेपाल द्वारा अपने कब्जे में रखा गया था उस कैंप के बाहर कुछ ऐसे भारतीय मूल के नेपाली नागरिक जिनका पुराना संबंध तस्करों से रहा है या यूं कहे कि आज भी वैसे युवाओं की तस्करी के धंधे में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्तता जगजाहिर है. वे संगठित होकर भारत और एसएसबी के विरुद्ध अपने नारों से आग उगल रहे थे. इन सबके बीच की सबसे बड़ी बात यह कि वैसे तस्करों का पनाहगार दोनों ही मुल्कों के सीमावर्ती कुछ एक गांव व हाट बाजार है. इतना ही नहीं भारत में वैसे तस्करों के सिंडिकेट का संरक्षक सफेदपोश लोग है.
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तस्करों पर नकेल कसना एसएसबी जवानों को पड़ा महंगा
तस्करों पर नकेल कसना एसएसबी जवानों को पड़ा महंगा पौआखाली.कादोगांव की घटना के लिए नेपाल में बसे भारतीय मूल के कथित तस्करों का सरगना मुख्य रूप से जिम्मेवार बताया जा रहा है. ये कथित तस्कर भारत और नेपाल के बीच बने बेटी रोटी के संबंधों का नाजायज तरीके से फायदा उठा कर ना सिर्फ तस्करी […]
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