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कच्ची सड़क है या खेत

कच्ची सड़क है या खेत फोटो 26 केएसएन 14सड़क को दिखाते ग्रामीण.-भारत-नेपाल सीमा को जोड़ने वाली मुख्य सड़क आज भी कच्ची-कच्ची सड़क पर चलने को विवश बंदरझुला पंचायतवासी प्रतिनिधि, पौआखालीभारत-नेपाल सीमावर्ती इलाकों के पिछड़ेपन को लेकर सियासतदा नेता प्रशासन कितना संवेदनहीन हैं इसका उदाहरण वहां की ग्रामीण सड़कों को देखने से ही प्रतीत हो जाती […]

कच्ची सड़क है या खेत फोटो 26 केएसएन 14सड़क को दिखाते ग्रामीण.-भारत-नेपाल सीमा को जोड़ने वाली मुख्य सड़क आज भी कच्ची-कच्ची सड़क पर चलने को विवश बंदरझुला पंचायतवासी प्रतिनिधि, पौआखालीभारत-नेपाल सीमावर्ती इलाकों के पिछड़ेपन को लेकर सियासतदा नेता प्रशासन कितना संवेदनहीन हैं इसका उदाहरण वहां की ग्रामीण सड़कों को देखने से ही प्रतीत हो जाती है. ठाकुरगंज प्रखंड के बंदरझुला पंचायत और मालीन गांव पंचायत की सीमा पर अवस्थित चर्चित भट्टा चौक जो भारत नेपाल सीमा से चंद ही मीटर अंदर स्थित है. वहां तक पहुंचने के लिए कन्हैयाजी हाट होकर गुजरने वाली सड़क इस दौर में भी कच्ची है. करीब दो किमी सड़क है जो कहीं-कहीं जर्जर ईंट सोलिंग में तब्दील है तो अधिकांश सड़क कच्ची ही है. यह पहले भट्टा चौक फिर भेंडरानी गांव, जाराबाड़ी गांव, गिल्हाबाड़ी एसएसबी कैंप जाने का मुख्य पथ है. किंतु इस पथ और उसकी महत्ता पर आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है. भट्टा चौक से गिल्हाबाड़ी एसएसबी कैंप तक कच्ची सड़क की हालात बेहद ही खराब है. वहां के स्थानीय निवासी मो असलम, तैयब अली, परवेज आलम, असरारूल हक हारूण आदि लोगों ने बताया कि यह सड़क बरसात के दिनों में चलने लायक नहीं रहती है. सड़क पर घुटने भर व कीचड़ होकर लोगों आते जाते है. तीन वार्ड के लोग इस सड़क पर रोजाना आने-जाने को विवश है. सबसे आश्चर्य कि एसएसबी वालों को कैंप तक अपनी वाहनों को ले जाने लाने में कठिनाई होती है. कई बार वाहन फंस जाने से आवागमन घंटों बाधित भी रहता है. नेपाल आने जाने का भी यह इस इलाके में मुख्य सड़क है. लेकिन घोर प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रही इन सड़कों को लेकर सरकार या उनके नुमाइंदे को तनिक भी चिंता नहीं है.

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