पिछले विधानसभा चुनाव में अररिया की छह सीटों में से चार पर राजग के उम्मीदवार विजयी हुए थे. चार में से तीन सीटें भाजपा के खाते में गयी थी. एक सीट राजद और एक कांग्रेस के पाले में गयी थी. इसबार समीकरण बदल गया है. सीमांचल के अररिया जिले में पांचवे चरण में पांच नवंबर में मतदान होने वाला है. छह सीटों में ज्यादातर पर कांटे की लड़ाई है. कुछ जगहों पर बागियों के कारण किसी का खेल बिगड़ रहा है. जिले में पप्पू यादव की पार्टी पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी उतारे हैं. पढ़िए अररिया की ताजा चुनावी रिपोर्ट
अररिया कार्यालय
विधानसभा चुनाव 2015 के आखिरी चरण में जिले के छह विधान सभा क्षेत्रों में पांच नवंबर को चुनाव होना है. वर्ष 2010 के चुनाव में जिले की छह विधानसभा क्षेत्रों में से चार नरपतगंज, रानीगंज, फारिबसगंज व सिकटी पर भाजपा ने कब्जा जमाया था. अररिया सीट पर लोजपा व जोकीहाट में जदयू ने चुनाव जीता था. जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र को छोड़ सभी सीटिंग विधायकों का टिकट कट गया है, जहां नरपतगंज, रानीगंज, फारिबसगंज व सिकटी में भाजपा ने प्रत्याशी बदल दिया है.
अररिया विधानसभा सीट से लोजपा के टिकट पर चुनाव जीते जाकिर अनवर ने बाद में जदयू की सदस्यता ले ली थी. इस बार जाकिर अनवर भी जदयू की टिकट से बेदखल हो गये. क्योंकि सीट शेयरिंग में अररिया की सीट कांग्रेस के खाते में चली गयी.
इस बार जाकिर अनवर फारिबसगंज से जन अधिकार पार्टी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं. रानीगंज से भाजपा विधायक परमानंद ऋ षिदेव इस बार पार्टी के निर्णय के खिलाफ बागी के तौर पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया है, जबकि फारिबसगंज के भाजपा विधायक पद्मपराग राय वेणु ने टिकट कटने के बाद जदयू की सदस्यता ले ली है.
आनंदी प्रसाद यादव चुनाव मैदान से अलग हैं. यानी जिले के नरपतगंज, रानीगंज व सिकटी से महागंठबंधन के नेता आज भाजपा के प्रत्याशी हैं. इनमें सिकटी से भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार मंडल लोकसभा चुनाव 2014 में जदयू के प्रत्याशी थे, जबकि सिकटी से भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार शत्रुघ्न कुमार सुमन व रानीगंज से अचिमत ऋ षिदेव आज सिकटी व रानीगंज से जदयू के प्रत्याशी हैं.
कहा जाये, तो अररिया जिले में पूरी पार्टी का रिफ्रेसमेंट हो गया है. कल तक जो लोग महागंठबंधन का राग अलाप रहे थे आज वो भाजपा में हैं और महागंठबंधन पर व्यंग्य तजने वाले लोग आज उनके प्रत्याशी हैं. जिले की पूरी राजनीति बदली-बदली सी नजर आ रही है.
इनपुट : जितेंद्र कुमार सिंह
सीधी लड़ाई में कई पेच
जिले का नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र से डुमर लाल बैठा को छोड़ आज तक जो भी विधायक बने सभी यादव जाति के लोग ही बने. इनमें अतिपिछड़ी व सवर्ण वोटर हमेशा से निर्णायक की भूमिका में रहे हैं.
इस विधानसभा सीट से भाजपा से चार बार विधायक रहे जनार्दन यादव व महागंठबंधन से राजद के प्रत्याशी अनिल यादव के बीच फिर कड़े संघर्ष के आसार हैं. वर्ष 2005 के फरवरी विधानसभा चुनाव में राजद के अनिल यादव ने भाजपा के जनार्दन यादव को मात्र 369 मतों से हराया था. जन अधिकार पार्टी के प्रिंस विक्टर तीसरा कोण बन सकते हैं.
बागियों से बढ़ी परेशानी
भाजपा से बागी प्रत्याशी-परमानंद ऋ षिदेव
रानीगंज विधान सभा क्षेत्र में भाजपा की टिकट पर एक बार फिर पूर्व विधायक व पूर्व सांसद रामजी दास
ऋ षिदेव मैदान में हैं. हालांकि इस बार के लिए भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदार अचिमत
ऋषिदेव को जदयू ने अपना प्रत्याशी बनाया है. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के परमानंद ऋ षिदेव ने राजद के शांति देवी को लंबे मार्जिन से हराया था. इस बार यह सीट सीट शेयरिंग में जदयू के खाते में गयी है. जदयू से अचिमत ऋ षिदेव मैदान में हैं जो भाजपा के सशक्त कार्यकर्ता रहे हैं. इसके साथ ही भाजपा के पूर्व विधायक परमानंद ऋ षिदेव ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया है.
दोनों गंठबंधनों ने नये लोगों को उतारा मैदान में
यह सीट आजादी के बाद से ही कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. लेकिन वर्ष 1990 के चुनाव में फारिबसगंज में पहली बार बदलाव आया. जब भाजपा के टिकट पर मायानंद ठाकुर ने सरयुग मिश्र को शिकस्त दी. फिर 1995 के चुनाव में माया नंद ठाकुर दोबारा चुनाव जीते.
लेकिन वर्ष 2000 के चुनाव में जाकिर हुसैन खान बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए मायानंद ठाकुर को हराया. इस बार जाकिर अनवर जन अधिकार पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं. वर्ष 2005 के फरवरी व अक्तूबर में हुए दोनों चुनाव में भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मी नारायण मेहता जीते थे.
लेकिन वर्ष 2010 में भाजपा से पद्म पराग राय वेणु विधायक बने. इस बार महागंठबंधन व भाजपा दोनों ने नये लोगों को टिकट देकर मतदाताओं को चकमा दे दिया, जहां महागंठबंधन से कृत्यानंद विश्वास राजद के टिकट पर मैदान में हैं वहीं भाजपा ने मंचन केसरी को टिकट दिया है, जबकि दो पूर्व विधायक लक्ष्मी नारायण मेहता बसपा व जाकिर अनवर जन अधिकार पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
सीधे मुकाबले के आसार
अररिया विधानसभा क्षेत्र 1951 में अपने अस्तित्व में आया. इस विधान सभा क्षेत्र में अररिया प्रखंड व अररिया नगर परिषद का क्षेत्र शामिल है. इस विधान सभा क्षेत्र से वर्ष 2010 में जाकिर अनवर लोजपा से विधायक बने थे. जबकि भाजपा के नारायण झा दूसरे नंबर थे. इस बार भाजपा से यह सीट सीट शेयरिंग में लोजपा के खाते में चला गया है. लोजपा ने अजय झा को प्रत्याशी बनाया है. जबकि महा गंठबंधन से कांग्रेस के प्रत्याशी आबिदुर्रहमान मैदान में हैं.
इस विधानसभा क्षेत्र से कुल 21 प्रत्याशियों ने नामांकन किया है. यहां जन अधिकार पार्टी, एनसीपी व सपा ने भी अपने उम्मीदवार उतारा है. यानी तीसरा कोण कौन बनेगा यह अभी समय बतायेगा. मगर अभी तक माना जा रहा है कि लोजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार बन रहे हैं.
निर्दलीय से मुकाबला रोचक
यह विधानसभा क्षेत्र मुसलिम बाहुल्य है. यह पूर्व केंद्रीय मंत्री व अररिया के वर्तमान सांसद तसलीमुद्दीन का गृह क्षेत्र है. 1980 व 1990 को छोड़ तसलीमुद्दीन 1969 से लगातार 1995 तक जोकीहाट से विधायक रहे हैं. इसके बाद 2005 को छोड़ शेष चुनाव में उनके पुत्र विधायक रहे.
यहां से महागंठबंधन ने जदयू के सरफराज को फिर प्रत्याशी बनाया है तो एनडीए ने हम की टिकट पर जेबा खातून उतारा है. जनअधिकारी पार्टी ने कौशर जिया को टिकट दिया है.भाजपा नेता रंजीत यादव स्वतंत्र उम्मीदवार हैं.
इस बार कांटे का मुकाबला
जिले का सिकटी विधानसभा क्षेत्र पहली बार 1977 में अपने अस्तित्व में आया. इस विधानसभा क्षेत्र में अतिपिछड़ी जातियों की अधिकता है. इस सीट पर जहां यादव व मुसलिम एक ओर निर्णायक भूमिका निभाते हैं वहीं ब्राह्मण भी महत्वपूर्ण साबित होते रहे हैं. इसके साथ ही इसे भाजपा का गढ़ भी माना जाता है.
इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार मंडल व भाजपा नेता शत्रुघ्न कुमार सुमन जदयू की टिकट पर आमने-सामने हैं. जन अधिकारी पार्टी से बाल कृष्ण झा मैदान में हैं. वे तीसरा कोण बनाने का प्रयास करेंगे. इसके साथ ही एनसीपी के टिकट पर अजीमुद्दीन अपना भाग्य आजमा रहे हैं.