जोगबनी : भारत नेपाल सीमा के नो मेंस लैंड पर धरना पर बैठे मधेशी आंदोलनकारियों और नेपाल पुलिस के बीच रविवार को फिर एक बार झड़प हुई.
इस दौरान नेपाल पुलिस प्रदर्शनकारियों को पीटते हुए भारतीय सीमा में प्रवेश कर गयी, जिन्हें सीमा पर तैनात एसएसबी के जवानों ने नेपाल की सीमा में जाने का निर्देश दिया.
इसी क्रम में आंदोलनकारियों के हत्थे चढ़े नेपाल पुलिस के सहायक सब इंस्पेक्टर को एसएसबी के जवानों ने प्रदर्शनकारियों के चंगुल से भी छुड़ाया. मिली जानकारी के अनुसार रविवार को सीमावर्ती क्षेत्र जोगबनी में आंदोलनकारियों और नेपाल पुलिस के बीच रुक-रुक कर हो रहे झड़प से माहौल तनावपूर्ण रहा.
रविवार को एक बार फिर रेणु देवी यादव और पूर्व विदेश मंत्री उपेंद्र यादव की पत्नी पार्वती देवी यादव के नेतृत्व में इकट्ठा होकर मधेशी आंदोलनकारी नो मेंस लैंड पर शांतिपूर्वक धरना पर बैठे, लेकिन नेपाल पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों को बलपूर्वक हटाने का प्रयास किया गया. इस दौरान नेपाल पुलिस के द्वारा रोड़ेबाजी की गयी. इसके साथ ही गुलैल से भी मारा गया.
इसके विरोध स्वरूप मधेशी आंदोलनकारी भी नेपाल पुलिस पर पथराव करने लगे. एसएसबी द्वारा शनिवार को दी गयी चेतावनी के बावजूद नेपाल पुलिस फिर एक बार भारतीय सीमा में प्रवेश कर आंदोलनकारियों को मारने लगी. इस दौरान नेपाल पुलिस के सहायक सब इंस्पेक्टर आंदोलनकारियों के हत्थे चढ़ गये.
जिसे एसएसबी ने आंदोलनकारियों से बचा कर वापस नेपाल भेज दिया. इसके बावजूद नेपाल पुलिस ने एसएसबी पर पिटाई का आरोप लगाया. जबकि एसएसबी ने उन्हें मारा नहीं बल्कि बचाया था. इस घटना के बाद नेपाल के मोरंग जिलाधिकारी गणेश राज कार्की व पुलिस अधीक्षक तारणी प्रसाद लम्बसाल घटना स्थल पर पहुंचे.
वहीं एसएसबी के द्वितीय सेनानायक नीरज चंद्र व डीएसपी अजीत सिंह ने भी घटना स्थल पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया. द्वितीय सेनानायक नीरज चंद्र व जोगबनी थानाध्यक्ष केशव मजूमदार नेपाल जाकर नेपाल के पुलिस अधीक्षक व जिलाधिकारी से वार्ता की. इससे पहले शनिवार को हुई घटना में नेपाल पुलिस के जवानों ने नो मेंस लैंड पर फल की दुकान में काम करने वाले भारतीय युवक पवन सिंह को उठा कर ले गयी थी.
जोगबनी थानाध्यक्ष और भारतीय अधिकारियों के प्रयास के बाद रविवार को उसे मुक्त किया गया. इस घटना के बाद सीमावर्ती क्षेत्र जोगबनी में तनाव काफी बढ़ गया है. मधेशी आंदोलनकारियों जहां अपनी मांगों पर अड़े हैं वहीं नेपाल प्रशासन भी आंदोलन को दबाने का पूरा प्रयास कर रहा है.