पुराने व जर्जर बांस पर खींचा है बिजली का तार
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बांस पर खिंची जर्जर तार में अटकी सांस खास बातें
पुराने व जर्जर बांस पर खींचा है बिजली का तार तार या खंभा टूटने की स्थिति में हादसे की रहती है आशंका नाला, बिजली व जल जमाव की समस्या से त्रस्त हैं वार्ड वासी जलनिकासी की नहीं है व्यवस्था होल्डिंग नहीं देने पर मिलती है कार्रवाई की धमकी वार्ड में बसते हैं पांच सौ दलित […]
तार या खंभा टूटने की स्थिति में हादसे की रहती है आशंका
नाला, बिजली व जल जमाव की समस्या से त्रस्त हैं वार्ड वासी
जलनिकासी की नहीं है व्यवस्था
होल्डिंग नहीं देने पर मिलती है कार्रवाई की धमकी
वार्ड में बसते हैं पांच सौ दलित परिवार
नाला निर्माण के बाद भी नहीं मिली समस्या से निजात
वार्ड में भट्ठा रहने से होता है वायु प्रदूषण
Àरजोखर हाट में शौचालय व पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से परेशानी
शेड नहीं रहने से परेशान होते हैं खरीदार
वार्ड की संख्या बदलती रही पर नहीं बदली तसवीर
अरिरया : वार्ड नंबर पांच के वासियों ने बताया कि वर्ष 1962 से ही हमारा वार्ड नप के अधीन है. हमलोग प्रति वर्ष नप को होल्डिंग कर के रूप में अच्छी खासी रकम देते हैं.
वार्ड संख्या पांच एक अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र हैं जहां दलितों की संख्या भी है. वार्ड के पार्षद भी दलित समुदाय के हैं. वार्ड वासियों ने बताया कि इस वार्ड में लगभग पांच सौ परिवार रहते हैं. सुविधा नहीं मिलने से आक्रोशित वार्ड वासियों ने सामूहिक रूप से कुछ वर्ष पहले होल्डिंग कर देने से इनकार कर दिया था.
वार्ड वासियों की मांग थी कि नप के द्वारा पहले नाला का निर्माण हो, हाट में शेड का निर्माण विधिवत रूप से कराया जाय, बिजली, पेयजल, शौचालय की व्यवस्था को दुरुस्त किया जाय उसके बाद ही हमलोग होल्डिंग कर का भुगतान नप को करेंगे. लेकिन वार्ड वासी की समस्या को नजरअंदाज करते हुए नप के कर्मियों ने दंडात्मक कार्रवाई का डर दिखा कर सूद समेत मनमाने राशि की वसूली की.
ऐसा आरोप वार्ड के दर्जनों वार्ड वासियों ने नप के विरुद्ध लगाया. 85 वर्षीय वार्ड वासी मकसूद आलम ने बताया कि वर्ष 1962 से अब तक उनके वार्ड की संख्या जरूर बदली, लेकिन तसवीर नहीं बदली. पहले वार्ड संख्या था दो, फिर बना तीन, अब बना गया पांच. लेकिन हालात ज्यों के त्यों हैं. आखिर हम से किस बात की सुविधा देने का वायदा कर नप होल्डिंग कर लेता है.
इससे तो अच्छा होता कि इस वार्ड को नप से हटा ही दिया जाता. कम से कम टैक्स देने से लोगों का छुटकारा मिल जाता.
रजोखर हाट में उग आया है जंगल : वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए एक लाख नौ हजार रुपये में रजोखर हाट का बंदोबस्त किया गया है.
78 डिसमिल के रकवा वाले इस हाट का एक तरफ का भाग अतिक्रमण की चपेट में हैं तो दूसरी तरफ हाट की जमीन पर बड़ा-बड़ा जंगल उगा हुआ है. नतीजा यह है कि वार्ड में लगने वाला यह हाट अपने मूल स्थान से हट कर कुछ नप की जमीन पर तो कुछ निजी जमीन पर लगाया जा रहा है. स्थानीय नूर आलम ने बताया कि वार्ड में जल जमाव एक बड़ी समस्या है.
नाला का निर्माण अगर होता तो आज लोगों को घरों में व दरवाजों पर गड्ढा नहीं बनाना पड़ता. आज लोगों के घरों के नीचे से पानी को निकाला जा रहा है. वार्ड वासियों के दर्द को सुनने वाला कोई भी पदाधिकारी नहीं है. हाट में दुकान करने वाले 70 वर्षीय मो इसराइल ने बताया कि प्रति माह वे हाट संवेदक को तीन सौ रुपये की राशि भुगतान करते हैं.
छह रुपये प्रति रोज जेनेरेटर संचालक को भुगतान करते हैं. लेकिन नप के द्वारा न तो हाट में शौचालय बनाया गया है न ही पेयजल की कोई व्यवस्था की गयी है. शौच लगने पर महिला, बूढ़े हो या बच्चे सभी खेतों में जाने को विवश हैं. लेकिन नप प्रशासन कोई भी सुविधा देने के मामले में उदासीन बना हुआ है.
वहीं मो जावेद इदरीस ने बताया कि घर का हाल हो या हाट का, कमोबेश समस्या एक जैसी है. न पीने का शुद्ध पानी मयस्सर है न ही सफाई की सुविधा.
वार्ड में बिजली का तार दे रहा है दुर्घटना को आमंत्रण : वार्ड संख्या पांच के वासी अगर नप को होल्डिंग कर का भुगतान करते हैं तो यह लाजिमी है कि उनको मिलने वाली सुविधा भी कमोबेश नप वासियों की तरह हो. लेकिन वार्ड संख्या पांच का तो हाल ही बुरा है.
यह कहते हुए मो लालू ने बताया कि वार्ड में न पीने को स्वच्छ पानी, जल निकासी के लिए नाला की व्यवस्था तक नहीं है. बिजली का तार भी बांस के खूंटे पर खींचा जाता है. पुराना बिजली का खंभा टूट कर गिर चुका है. हम लोग बांस के सहारे बिजली का तार अपने घर तक पहुंचाते हैं. आखिर हमारी इन समस्या को कौन दूर करेगा.
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