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मृत्यु भोज की जगह गरीबों को बाटेंगे वस्त्र, पर्यावरण संरक्षण को लगायेंगे पौधे

हेमंत कुमार हीरा, अररिया : हिंदू संस्कार में मृत्यु भोज करने में लाखों रुपयों की जायदाद बिक जाती है. साथ ही अगर गरीब व्यक्ति हो तो कर्ज चुकाने में सालों भी लग जाता है. लेकिन बदलते समय के साथ लोगों में भी काफी बदलाव का पहल दिख रहा है. अब मृत्यु भोज की खर्च की […]

हेमंत कुमार हीरा, अररिया : हिंदू संस्कार में मृत्यु भोज करने में लाखों रुपयों की जायदाद बिक जाती है. साथ ही अगर गरीब व्यक्ति हो तो कर्ज चुकाने में सालों भी लग जाता है. लेकिन बदलते समय के साथ लोगों में भी काफी बदलाव का पहल दिख रहा है. अब मृत्यु भोज की खर्च की जगह उनके परिवार गरीब लोगों के बीच कपड़ा व पर्यावरण बचाने के लिए पौधा लगायेंगे. इस तरह की पहल अररिया आश्रम रोड स्थित महिला सामाजिक संगठन के अध्यक्ष सुष्मिता ठाकुर अपनी सास निर्मला ठाकुर की मृत्यु हो जाने के बाद सामाजिक तौर पर बैठक कर निर्णय लिया गया है.

बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि मृत्यु भोज की खर्च की जगह जिले में गरीब निस्सहाय के बीच गर्म कपड़े का वितरण किया जायेगा. इसके अलावा मृतक के नाम पर कई पौधे भी लगाये जायेंगे, जिससे आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित पर्यावरण मिल सके. बताया जाता है कि मृत्यु भोज की प्रथा गरीब परिवार को भीतर से तोड़ देती है.
कई बार इसके लिए लिये गये कर्ज का भार दूसरी पीढ़ी भी उठाती है. इसलिए लोग जहां तक खर्च करने में संभव हो उस पैसे से गरीब जरूरत मंद को कपड़ा दिया जाएगा. साथ ही मृतक के नाम पर पौधा लगाने का भी एक अनोखा पहल का निर्णय लिया गया है.
सक्षम के अनुसार होगा खर्च: महिला सामाजिक संगठन के अध्यक्ष सुष्मिता ठाकुर ने बताया कि एक ऐसा साहसिक निर्णय लिया है, जो न केवल अंधविश्वास की बेड़ियों को तोड़ने वाला है, बल्कि भोज के नाम पर कर्ज के बोझ से भी छुटकारा मिलेगा.
साथ ही अब समय काफी बदल चुका है. अब बेटी भी अपने मां-बाप का कंधा देने लगा है. इसलिए समय के साथ बहुत कुछ बदला है. इसलिए हम लोगों ने यह सहमति से निर्णय लिया है कि मेरी सास की निधन होने के बाद मृत्यु भोज नहीं किया जाये.
हालांकि मृतक की आत्मा की शांति के लिए गरीब लोगों के बीच गरम कपड़ा व पर्यावरण हम लोगों का सुरक्षित रहे. इसके लिए उनके नाम पर पौधे भी लगाये जायेंगे, जिससे हमारे आने वाली पीढ़ी को शुद्ध वातावरण का पर्यावरण मिल सके.
अपने घर से मृत्यु भोज खत्म करने का पहल होगा शुरू: बताया जाता है कि महिला सामाजिक संगठन द्वारा कई वर्षों से लोगों के बीच में यह जागरूकता फैलाया जा रहा है कि मृत्यु भोज पर होने वाली खर्च का सही उपयोग किया जाए.
जबकि पारंपरिक रुप से होने वाले मृत्यु भोज पर पाबंदी लगाने हेतु जागरुकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है. बताया जाता है कि महिला सामाजिक संगठन के अध्यक्ष सुष्मिता ठाकुर की सास हाल में ही उनका निधन हो गया था.
जिसके बाद उन्होंने अपने घर से ही मृत्यु भोज उठाने का निर्णय लिया. हालांकि समाज उन्हें बुरा ना कहे इसके लिए उन्होंने समाज के लोगों को बुलाकर अपने प्रस्ताव को रखा, और समाज ने भी उन्हें मृत्यु भोज की जगह गरीब के बीच वस्त्र व मृतक के नाम पर पौधे लगाने का निर्णय को सही कहा.
मृतक के नाम पर लगेंगे पौधे, समाज ने भी पहल को दिया साथ
बताया जाता है कि पूर्वज के द्वारा की जा रही कार्यों को अगर कुछ बदलाव करना चाहते हैं तो इसके लिए कई कदम को उठाना पड़ता है. कुछ इस तरह ही एक सामाजिक कार्य को करने के लिए पूर्वज द्वारा किए जा रहे काम का बहिष्कार किया है.
बताया जाता है कि कई बुद्धजीवियों ने एक बैठक कर मृत्यु भोज नहीं करने का समर्थन दिया है. बैठक मे सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया की मृत्यु भोज पर होने वाले खर्च से हो रही विपन्नता से बचने के लिए इस पर रोक जरूरी है. इसलिए मृतक के नाम पर पौधे लगाये जायेंगे.
साथ ही अगर खर्च उठाने में सक्षम हो तो गरीब के बीच जरूरत के सामान भी वितरण किया जायेगा. बैठक में नरेश मोहन ठाकुर, रेशम लाल पासवान,भाजपा नेता राजा मिश्रा, रणधीर कुमार,बबलू मंडल,लक्ष्मी ठाकुर, ललन झा, वकील देव नारायण सेन, मिलन सेन,दुर्गा प्रसाद,बिट्टू सिंह,अरुण कुमार समित दर्जनों समाज के लोग उपस्थित थे.

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