मार्च के महीने की शुरुआत होते ही गर्मी में इजाफा हो गया है. वहीं ठंड के बाद अचानक गर्मी बढ़ने से कीट-पतंगों का प्रकोप बढ़ने की आशंका है. इसे लेकर जिला कृषि विभाग के अंतर्गत पौधा संरक्षण विभाग ने किसानों को सावधानी बरतने के सुझाव दिये हैं. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो, गर्मी बढ़ने से कीट-पतंग का प्रकोप बढ़ जाता है. इससे लार्वा बढ़ता ही चला जाता है. बाढ़ग्रस्त क्षेत्र व जल-जमाव वाले क्षेत्रों में भी कजरा पिल्लू व सैनिक कीट का प्रकोप बढ़ा है. इसे लेकर पौधा संरक्षण विभाग के पदाधिकारी और कर्मचारियों ने क्षेत्रों का निरीक्षण किया और किसानों को आवश्यक सुझाव दिये है.
रबी फसल व मक्का में कीड़े लगने की शिकायत
भागलपुर में पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक अरविंद कुमार ने बताया कि गर्मी बढ़ने पर कीट-पतंग बढ़ते हैं. खासकर पिछात मसूर व चना जैसे रबी फसल में फल्ली छेदक कीड़े होने की संभावना बन सकती है. इसके लिए किसान खेत में फेरोमोन ट्रैप-गंध पास लगा सकते हैं. इससे फल्ली छेदक के नर कीड़े को नियंत्रित किया जा सकता है. इसके अलावा अन्य उपाय के रूप में पक्षी आश्रय लगा सकते हैं. यहां पर पक्षी आयेंगे, तो वे कीड़े को खा जायेंगे. इससे यदि नियंत्रित नहीं होगा, तभी रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं.
मकई में मिला सैनिक कीट-फॉल आर्मी का प्रकोप
दियारा क्षेत्र व टाल क्षेत्र में मकई में सैनिक कीट अर्थात फॉल आर्मी मिला है. पौधा संरक्षण विभाग के पदाधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि घोघा, सबौर, ममलखा, नाथनगर दियारा क्षेत्र में इसकी शिकायत मिली है. किसान इसके लिए प्रेफेनोफॉस 40 प्रतिशत ईसी एवं साइपर मैत्रिन 4 प्रतिशत के मिश्रण को एक से डेढ़ एमएल प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं. क्लोरपायरी फोस 50 प्रतिशत एवं साइपर मैत्रिन 5 प्रतिशत के मिश्रण को एक से डेढ़ एमएल प्रति लीटर दे सकते हैं. इसका प्रयोग गेहूं में भी कर सकते हैं. इससे कजरा पिल्लू एवं सैनिक कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है. दोनों कीट का प्रकोप बाढ़ के कारण व टाल एरिया में पानी जमाव के कारण बढ़ा है.
Published By: Sakshi Shiva