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सीटी स्कैन घोटाला : विदेशी कंपनी पर मामला दर्ज वर्तमान प्रिंसिपल भी नामजद

एनएमसीएच : सीटी स्कैन घोटाला पटना : एनएमसीएच में 2008 में जर्मन कंपनी से खरीदी गयी सिटी स्कैन मशीन मामले में निगरानी ब्यूरो ने सीटी स्कैन सप्लाइ करनेवाली विदेशी कंपनी सीएमएच और उसके बिहार में मौजूद एजेंट के अलावा वर्तमान प्राचार्या और तत्कालीन अधीक्षक डॉ शिव कुमार प्रसाद और तत्कालीन उपाधीक्षक डॉ संतोष कुमार को […]

एनएमसीएच : सीटी स्कैन घोटाला
पटना : एनएमसीएच में 2008 में जर्मन कंपनी से खरीदी गयी सिटी स्कैन मशीन मामले में निगरानी ब्यूरो ने सीटी स्कैन सप्लाइ करनेवाली विदेशी कंपनी सीएमएच और उसके बिहार में मौजूद एजेंट के अलावा वर्तमान प्राचार्या और तत्कालीन अधीक्षक डॉ शिव कुमार प्रसाद और तत्कालीन उपाधीक्षक डॉ संतोष कुमार को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. एनएमसीएच में वर्ष 2008 में खराब और बिना काम की सीटी स्कैन मशीन डेढ़ करोड़ में खरीद ली गयी थी. इतना ही नहीं मशीन लगने के बाद एक दिन भी नहीं चली, लेकिन इसके मेंटेनेंस से संबंधित भुगतान वर्ष, 2014 तक होता रहा और इस मद में करोड़ों रुपये की हेराफेरी हुई. पटना हाइकोर्ट के निर्देश पर निगरानी ब्यूरो ने इस मामले में कुछ दिन पहले ही एफआइआर दर्ज करने के साथ पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है.
पहले कंपनी और वर्तमान प्रिंसिपल पर शुरुआत में एफआइआर दर्ज नहीं की गयी थी, लेकिन दौरान घोटाले में इनकी संलिप्तता पाये जाने पर इन्हें भी नामजद अभियुक्त बनाया गया है. निगरानी ब्यूरो की टीम प्राचार्या और तत्कालीन उपाधीक्षक से कभी भी पूछताछ कर सकती है. सीएमएच नामक जिस कंपनी पर मामला दर्ज किया गया है. उसका मुंबई में मुख्यालय है. इस कंपनी से भी मामले में पूछताछ की जा सकती है. निगरानी की टीम मुंबई जाकर इस मामले की छानबीन कर सकती है. बिहार में इस कंपनी के तत्कालीन एजेंट की तलाश भी की जा रही है. निगरानी इस मामले से जुड़े तमाम पहलुओं पर जांच करने में जुटा है. एनएमसीएच में सीएमएच नामक जिस कंपनी से सीटी स्कैन की खरीद की गयी थी, वह मशीन काफी पुरानी थी. इस मशीन का रंगरोगन करके इसकी सप्लाई कर दी गयी थी. मशीन पूरी तरह खराब होने के कारण कभी शुरू ही नहीं हुई.
पटना. शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले बिहार राज्य पाठ्य पुस्तक निगम में हुई गड़बड़ी मामले की जांच के लिए निगरानी ब्यूरो ने एक विशेष टीम का गठन कर दिया है. शुक्रवार को गठित इस टीम में चार डीएसपी को रखा गया है तथा इसका नेतृत्व एक एसपी को दिया गया है. इस मामले में जांच के बाद जो लोग दोषी पाये जायेंगे, उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की जायेगी. फिलहाल इस मामले की जांच शुरू हो गयी है. वर्ष 2007 से 2014 के बीच बिहार राज्य पाठ्य पुस्तक निगम में सरकारी स्कूल में बंटने वाली पुस्तकों की छपाई, ढुलाई और वितरण में बड़े स्तर पर धांधली हुई थी. इसकी जांच की पहल निगम की तत्कालीन एमडी दिलीप कुमार ने की थी.

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