पटना: बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा बहुत मायने रखता है. डॉ रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट में बिहार फिट बैठता है. रिपोर्ट के आधार पर हम मानते हैं कि बिहार को विशेष राज्य जैसी सुविधा मिल जायेगी. हालांकि, यह और भी उचित होता कि मानक तय करने में प्रति व्यक्ति आय को आधार माना जाता. लेकिन , कमेटी की राय प्रति व्यक्ति उपभोग के आधार पर बनी है. मैंने अपनी ओर से प्रति व्यक्ति आय को आधार बनाये जाने का तर्क रखा था. हां, कमेटी के टर्म ऑफ रेफरेंस में विशेष राज्य का दर्जा का जिक्र नहीं है. लेकिन, रिपोर्ट के आधार पर मानक तय किया गया है. मानक के आधार पर नये सिरे से विशेष राज्य के दर्जा का पैमाना निर्धारित होना है. बिहार मानव सूचकांक के सभी पैमाने पर बॉटम पर है.
बिहार पहले से ही कहता रहा कि पिछड़ेपन के आधार तय करने के लिए जो मौजूदा मानक है, उसमें बदलाव की जरूरत है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस संबंध में अपनी बातें कई बार केंद्र के समक्ष रखीं. अंतर मंत्रलयी समूह ने जब बिहार की मांग को खारिज कर दिया था, उसी समय से वर्तमान मानदंडों को किनारे कर पिछड़े राज्यों के लिए नये सिरे से मानक निर्धारित करने की बिहार ने मांग उठायी थी. मुख्यमंत्री ने इसकी अगुवाई की. इसी कड़ी में जदयू ने चार नवंबर, 2012 को पटना में अधिकार रैली की. 17 मार्च, 2013 को दिल्ली में जो रैली हुई, वह अब तक की सबसे बड़ी राजनीतिक रैली कहा जा सकती है. इसके पहले भी प्रधानमंत्री के समक्ष सवा करोड़ लोगों के दस्तखत से ज्ञापन सौंपा गया.
जहां तक रघुराम राजन कमेटी की बात है, तो बिहार से संबंधित तथ्य रखे गये हैं. इसमें प्रति व्यक्ति आय, स्वास्थय मानकों में शिशु मृत्यु दर, साक्षरता दर विशेष कर महिला साक्षरता, स्कूलों में उपस्थिति, तेंडुलकर कमेटी के आधार पर गरीबी रेखा का निर्धारण, शहरीकरण का प्रतिशत, प्रति व्यक्ति बिजली उपलब्धता , पीने का पानी, सैनिटेशन, बैंकिंग उपलब्धता, टेलीफोन सुविधा और सड़क व रेल कनेक्टिविटी को भी आधार मानने की सलाह दी है. इस आधार पर बिहार दूसरे राज्यों से बहुत पीछे है. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही विशेष राज्य का दर्जा निर्धारित होना है. बिहार लैंड लॉक्ड प्रदेश है. कुछ वर्षों से अपने बलबूते राज्य विकास दर में अव्वल आया है. आगे के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा आवश्यक है.
-क्या बिहार तैयार है इसके लिए
बिहार इसके लिए तैयार है. राज्य के विकास के लिए पहली शर्त है कि उसे विशेष राज्य का दर्जा दिया जाये. कमेटी के मानक के आधार पर केंद्र सरकार को विशेष राज्य का दर्जा देना ही चाहिए. सरकार ने निजी भूमि बैंक की जो व्यवस्था करने का फैसला लिया है, उसे इसी कड़ी में देखना चाहिए. हां, और भी आगे करने की जरूरत है. प्राइवेट सेक्टर के निवेशकों के लिए और भी रास्ता खोलना होगा. इंस्पेक्टर राज खत्म करना होगा. निवेशकों के लिए आधारभूत सुविधाएं बढ़ानी होगी. विधि व्यवस्था में निरंतर सुधार जारी रखनी होगी. अपराध, विशेष कर साइबर अपराध पर पुलिस की सजगता बढ़ाने की जरूरत है. इंडस्ट्रीयल क्षेत्र में अपराध पर काबू पाना होगा. कारण, निवेश करनेवालों को जब तक यह सब सुविधा नहीं मिलेगा, तब तक उन्हें आकर्षित नहीं किया जा सकेगा.
(अर्थशास्त्री डॉ शैबाल गुप्ता डॉ राजन कमेटी के सदस्य रहे हैं. डॉ गुप्ता फिलहाल लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स के कार्यक्रम के सिलसिले में लंदन में हैं. यह बातचीत उनसे लंदन जाने के ठीक पहले ब्यूरो प्रमुख ने की.)