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अल्पसंख्यक का दर्जा हासिल, राजनीति में हिस्सेदारी की आस

स्पेशल सेल पटना बिहार में जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने के बाद अब राजनीति में हिस्सेदारी की आवाज उठने लगी है. राज्य मंत्रिपरिषद ने राज्य के जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दे दिया है. इस तरह पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, दिल्ली के बाद बिहार में भी इस समुदाय को यह दर्जा […]

स्पेशल सेल

पटना बिहार में जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने के बाद अब राजनीति में हिस्सेदारी की आवाज उठने लगी है. राज्य मंत्रिपरिषद ने राज्य के जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दे दिया है. इस तरह पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, दिल्ली के बाद बिहार में भी इस समुदाय को यह दर्जा हासिल हो गया.

कम हो रही आबादी : 2001 की जनगणना के अनुसार राज्य में जैन समुदाय की आबादी 16085 थी. 2011 की जनगणना में धार्मिक समुदायों की आबादी का ब्योरा अब तक जारी नहीं किया गया है. हालांकि जैन संघ के महामंत्री प्रदीप जैन का कहना है कि राज्य में जैनियों की आबादी लगातार कम होती जा रही है. उनकी आबादी दस हजार के आसपास रह गयी है. इसकी बड़ी वजह बीते वर्षो के दौरान जैनियों का पलायन रहा है. उनके अनुसार बिहार में सबसे कम जैन समुदाय के लोग रह गये हैं. भागलपुर, गया और आरा में जैन समाज की आबादी अन्य जिलों की तुलना में ज्यादा है.

करना पड़ा लंबा इंतजार : जैन समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने में लंबा इंतजार करना पड़ा. राज्य में मुसलिम, बौद्ध, ईसाई और सिख समुदाय को पहले से ही यह दर्जा मिला हुआ है. जैन समुदाय अल्पसंख्यक का दर्जा हासिल करने के लिए कई वर्षो से आवाज उठाता रहा है. केंद्र सरकार ने इस साल 27 जनवरी को जैन समुदाय को अल्पसंख्यक के तौर पर अधिसूचित किया था.

ज्यादातर लोग कारोबार से जुड़े : इस समुदाय के ज्यादातर लोग कारोबार से जुड़े हैं. राजेश कहते हैं कि शुरू से ही इस समाज के लोगों का रूझान व्यापार की ओर रहा है. पढ़ाई-लिखाई में भी इस समुदाय के लोगों ने काफी नाम कमाया है.

राजनीति में मिले हिस्सेदारी : जैन संघ के महामंत्री प्रदीप जैन का कहना है कि लंबी प्रतीक्षा के बाद अल्पसंख्यक का दर्जा तो मिल गया. अब सरकार व राजनैतिक दलों को चाहिए कि वे इस समुदाय को राजनीति में हिस्सेदारी दें. दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधियों को विभिन्न सरकारी प्राधिकारों में हिस्सेदारी दी जाती है. लिहाजा, जैन समुदाय को भी भागीदारी मिलनी चाहिए.

भगवान महावीर का हुआ था जन्म

ऐसी मान्यता है कि जैन र्तीथकर भगवान महावीर का जन्म 2600 साल पहले यहीं हुआ था. श्वेतांबर मान्यता के अनुसार उनका जन्म लखीसराय के पास लछुआर में हुआ था. दिगंबर मान्यता है कि उनका जन्म वैशाली में हुआ था. हालांकि दोनों मान्यताओं के लोग इस बात पर एकमत हैं कि भगवान महावीर के निर्वाण की भूमि पावापुरी है. पावापुरी के अलावा वैशाली, भागलपुर, पटना, आरा, नवादा और राजगीर में जैन तीर्थंकरों से जुड़े कई प्राचीनकालीन मंदिर हैं. पटना सिटी में दादीबाड़ी जैन मंदिर के मीडिया प्रभारी राजेश चौररिया कहते हैं कि देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी तादाद में जैन समाज के लोग तीर्थाटन को यहां आते हैं. पर जैन मंदिरों में आधारभूत संरचना का अभाव खटकता है.

अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने से ये होंगे फायदे

शैक्षिक संस्थाओं को स्थापित करने में सरकार की ओर से सहूूलियत मिलेगी. हालांकि इस समुदाय की ओर से कई जिलों में स्कूल व धर्मशालाओं का संचालन होता रहा है.

स्कूल, कॉलेज, शोध संस्थान और प्रशिक्षण संस्थाएं खोलने में सरकार की ओर से मदद मिल सकेगी. अल्पसंख्यक का दर्जा हासिल होने के बाद इस समुदाय के बच्चों को अध्यापन व खेलकूद जैसी गतिविधियों में शरीक होने के लिए अनुदान मिल सकेगा.

अपना कारोबार शुरू करने के लिए कम ब्याज पर कर्ज भी उपलब्ध होगा. मंदिर, शैक्षिक संस्थाओं और ट्रस्ट का सरकार अधिग्रहण नहीं कर सकेगी.

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