पटना: नरेंद्र मोदी सरकार ने गरीबों के लिए दो रुपये किलो गेहूं व तीन रुपये किलो का चावल भेजा, लेकिन बिहार सरकार की नाकामी के कारण लोगों को महंगा अनाज खरीदना पड़ रहा है.
राज्य सरकार न राशन-कार्ड बनवा पा रही है, न जमाखोरी रोक पा रही है. गरीबों के हिस्से का अनाज कालाबाजार में पहुंच रहा है. सरकार महंगाई रोकने में विफल रही है. रविवार को फेसबुक पर भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील मोदी ने कहा है कि राज्य के जिस विभाग पर सस्ता अनाज उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी है, उसके मंत्री ईमानदार अफसर को हटाने में अपनी ताकत लगा रहे हैं. इससे अधिकारियों का मनोबल टूट रहा है. नीतीश कुमार रिमोट से सरकार चला रहे हैं.
वे बतायें कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने महंगाई रोकने के लिए क्या कदम उठाये? पश्चिम बंगाल की सरकार ने आलू भेजने पर रोक लगायी, जिससे इसके दाम बढ़ने लगे. बिहार सरकार ने इस मुद्दे पर बंगाल सरकार से बात क्यों नहीं की? केंद्र सरकार ने तो 80 दिनों में महंगाई रोकने के लिए कई प्रयास किये. दिल्ली में सस्ती दर पर आलू, प्याज व टमाटर उपलब्ध कराने के लिए बिक्री केंद्र खोल दिये गये. बिहार सरकार ने सस्ती सब्जी के लिए ऐसे बिक्री केंद्र या आउटलेट खोल कर जनता को महंगाई से राहत देने का काम क्यों नहीं किया? लाखों लोगों के राशन कार्ड क्यों नहीं बन पाये? जिनके राशन कार्ड बने, उन्हें चार-पांच महीनों से सस्ता अनाज क्यों नहीं दिया गया? उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार ने तो उस कांग्रेस से हाथ मिला लिया, जिसके 10 वर्षो के शासनकाल में गलत फैसलों, योजनाओं में लूट और अरबों रुपये के भ्रष्टाचार के चलते महंगाई आसमान छूने लगी. कांग्रेस से मिल कर सरकार बचानेवाले नीतीश कुमार को महंगाई पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.
नीतीश कुमार ने तो कृषि रोडमैप पर बड़ी-बड़ी बातें कीं, किंतु आलू, टमाटर व प्याज के मामले में बिहार आत्मनिर्भर नहीं हो सका. सब्जी उत्पादन, वितरण व इसके दाम को नियंत्रित रखना राज्य सरकार का काम है. नीतीश कुमार बतायें कि सस्ता अनाज सुलभ कराने, जमाखोरी रोकने और सब्जी के दाम पर नियंत्रण के लिए उनकी पार्टी की सरकार ने क्या किया?