भीषण त्रासदी पर नहीं लग पा रही रोक
छपरा (सारण) : लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मभूमि सिताबदियारा को बाढ़ व कटाव की त्रासदी से मुक्ति दिलाने की कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं. करोड़ों रुपये खर्च किये गये, फिर भी सूरत-ए-हाल में बदलाव नहीं आया है और ना ही सिताबदियारा के लोगों की पीड़ा कम हो सकी है.
जेपी के पैतृक गांव सिताबदियारा को गंगा-सरयू के भीषण बाढ़ व कटाव से बचाने की कोशिशें पिछले चार दशकों से जारी है. यूपी व बिहार में बंटे सिताबदियारा में प्रत्येक वर्ष दोनों राज्यों की सरकारें करोड़ों की राशि खर्च करती हैं, लेकिन यह कार्य तभी कराया जाता है, जब नदियों द्वारा कटाव शुरू किया जाता है.
इस वर्ष अभी केवल सरयू नदी ही कटाव कर रही है. कटाव का मुख्य कारण नदी की धारा में परिवर्तन होना है. चार दशक पहले मांझी में सरयू नदी पर जयप्रभा सेतु का निर्माण शुरू होने के बाद से ही नदी ने रौद्र रूप दिखाना शुरू किया.
पहले यहां नदी पश्चिम से पूरब की ओर बहती थी और अब उत्तर से दक्षिण की धारा मुड़ गयी है, जिससे स्थिति भयावह हो गयी है. सबसे अधिक क्षति यूपी के हिस्सेवाले सिताबदियारा को पहुंची है. यूपी में पड़नेवाले आठगांवा, छक्कू टोला, धूरी टोला के करीब सौ मकान नदी के गर्भ में समाहित हो गये हैं और लगातार हो रहे कटाव के कारण वहां के लोग अपने सामान व मवेशी के साथ पलायन करने में लगे हैं. पलायन कर रहे लोग बीटीएस बांध पर जाकर शरण ले रहे हैं.
आठगांवा छक्कू टोला तथा धूरी टोला, सिताब दियारा के सबसे पश्चिम है, जिसके सटे पूरब में लाला टोले में लोकनायक जेपी का पैतृक आवास है. लाला टोला, बिहार के हिस्सेवाले सिताब दियारे में है और यहां भी भीषण कटाव हो रहा है.
जेपी के गांव के बाढ़ कटाव से बचाने के लिए करीब 20 करोड़ रुपये पिछले वर्ष ही जल संसाधन विभाग ने खर्च किये और गाइड बांध बनाया गया. फिर भी कटाव रुकने के बजाय इस वर्ष अधिक हो रहा है. बिहार में पड़ने वाले सिताबदियारा की पश्चिमी छोर से लेकर पूरब 700 मीटर में कटाव हो रहा है और अब तक 70 मीटर चौड़ाई में कटाव हो चुका है.
जेपी के पैतृक आवास से 300 मीटर उत्तर तक नदी की धारा पहुंच चुकी है. कटाव रोकने के कार्य की गति से ज्यादा तेज कटाव की गति है. जीओ बैग से कटाव रोकने का प्रयास पूरी तरह विफल साबित हो रहा है.