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राजद को पांच, जदयू को तीन व कांग्रेस को मिलेंगी दो सीटें

विधानसभा उपचुनाव पटना : जदयू व राजद के बीच विधानसभा की दस सीटों के लिए तालमेल की बातचीत कुछ आगे बढ़ी है. दोनों पार्टियां जमीनी ताकतों का आकलन कर रही हैं. सूत्रों के मुताबिक पांच सीटों पर राजद के उम्मीदवार उतारे जाने की तैयारी है. जाले, परबत्ता व मोहनिया विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में जदयू के […]

विधानसभा उपचुनाव

पटना : जदयू व राजद के बीच विधानसभा की दस सीटों के लिए तालमेल की बातचीत कुछ आगे बढ़ी है. दोनों पार्टियां जमीनी ताकतों का आकलन कर रही हैं. सूत्रों के मुताबिक पांच सीटों पर राजद के उम्मीदवार उतारे जाने की तैयारी है.

जाले, परबत्ता व मोहनिया विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में जदयू के उम्मीदवार होंगे. जबकि, नरकटियागंज और भागलपुर की सीटें कांग्रेस की झोली में जायेंगी. राजद को जो सीटें मिल सकती है, उनमें हाजीपुर, बांका, राजनगर, छपरा व मोहिद्दीनगर क्षेत्र हैं. 26 जुलाई को अधिसूचना जारी होते ही नामांकन का काम आरंभ हो जायेगा.

माना जा रहा है कि आरंभिक दौर की बातचीत में राजद और जदयू के दूसरी पंक्ति के नेता शामिल हैं.

बातचीत तय हो जाने की स्थिति में राजद प्रमुख लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अंतिम सहमति ली जायेगी. समझौते में जदयू को जाले की सीट मिल गयी, तो यहां विजय कुमार मिश्र के बेटे ऋषि मिश्र पार्टी उम्मीदवार बनाये जायेंगे. जानकारी के मुताबिक तालमेल की औपचारिक घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पटना वापस लौटने के पहले भी हो सकती है. पूर्व मुख्यमंत्री शुक्रवार की दोपहर निजी कारणों से मुंबई रवाना हुए. इधर, पटना में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद दिन भर पार्टी नेताओं से विचार विमर्श करते रहे. पार्टी नेताओं से राजद की संभावित सीट पर उम्मीदवार को लेकर चर्चा चलती रही.

राजद क म से कम छह सीटें चाहता है.उधर, संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा है कि नीतीश कुमार का कोई निजी कार्यक्रम होगा, इसलिए वे गये हैं. राजद से गंठबंधन को हम परहेज नहीं कर रहे हैं. अंदर ही अंदर बात हो जाती है. राज्यसभा उपचुनाव में नीतीश कुमार ने राजद सुप्रीमो से बात की थी. परिस्थितिवश वे पटना में नहीं हैं. राजद से गंठबंधन को लेकर हमारे अधिकृत नेता बातचीत में लगे हुए हैं.

नीतीश व लालू की नहीं चलेगी दोस्ती : चौरसिया

पटना. भाजपा विधायक रामेश्वर चौरसिया ने कहा कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की दोस्ती नहीं चलेगी. वे दोनों हारे हुए पहलवान हैं. उन्हें लगता है कि जब मिल जायेंगे तो वे जीत जायेंगे, लेकिन ऐसा नहीं होता. जनता ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया है. विधानसभा उपचुनाव में भी जनता उन्हें नकार देगी.

बिहार विधानसभा परिसर में उन्होंने कहा कि जब दो पहलवान बूढ़े हो जाते हैं, तो जवानी के दिनों में अगर वे एक-दूसरे के कितने भी कट्टर क्यों न हो, मिल जाते हैं. नीतीश और लालू कह रहे हैं कि भाजपा को रोकने के लिए आपस में मिलना जरूरी है, लेकिन कभी यह नहीं कह रहे हैं कि क्षेत्र के विकास के लिए मिलना है. ये लोग चाह रहे हैं कि किसी प्रकार सरकार बच जाये. ये लोग जात-पात के आधार पर वोट लेने की कोशिश कर रहे हैं.

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