संवाददाता-
पटना: राज्य में सरकारी स्कूलों को दुरूस्त करने के लिए चल रही सर्व शिक्षा अभियान में अनियमिततायें उजागर हुई हैं. सीएजी ने विधानसभा में मंगलवार को 2012-13 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि सर्व शिक्षा अभियान को प्रदेश में बिना बाटम अप एप्रोच के ही चलाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना का वित्तीय प्रबंधन दक्ष नहीं है.
सीतामढी, खगडि़या, किशनगंज और गया जिले में बच्चों की आबादी से अधिक स्कूलों में नामांकन पाये गये. छात्र-शिक्षक अनुपात को सुधारा नहीं जा सका. 2012-13 में 40 : 1 की जगह राज्य में शिक्षक छात्र अनुपात 59 :1 था. 13 प्रतिशत विद्यालय भवनहीन थे. गलत आकलन और देर से किताबों की आपूर्ति किये जाने के कारण बच्चों को समय पर किताबें नहीं मिल पायी.
राज्य में 43 प्रतिशत शिक्षक के पद रिक्त हैं. कस्तुरबा गांधी विद्यालय में बुनियादी सुविधाएं बहाल नहीं हो पायी और शिक्षकों की भी भारी कमी पायी गयी है. 2008-13 के बीच राज्य में इस योजना के तहत 19279 करोड़ रुपये की कमी पायी गयी. इसमें केंद्र सरकार ने 22 से 73 और राज्य सरकार ने 27 से 92 प्रतिशत तक अंशदान में कमी की.
2012-13 में केंद्र सरकार ने अपने हिस्से का 3613.53 करोड़ रुपये बिहार को नहीं दिये. जिसका सीधा असर राज्य के स्कूलों पर पड़ा. राज्य में 2012-13 के दौरान 9,49,900 बच्चे स्कूल से बाहर थे. प्राथमिक विद्यालय विहीन बसावटों में स्कूल नहीं खोले गये. नौ से 68 प्रतिशत विद्यालयों में शौचालय, पेयजल और लड़कियों के लिए अलग से शौचालय नहीं पाया गया.
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 71762 सरकारी स्कूलों में 996 स्कूलों का निरीक्षण किया गया. जिसमें 18 प्रतिशत में पेयजल नहीं थे. 25 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय नहीं था. 56 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय नहीं पाये गये. 62 प्रतिशत स्कूलों में चाहरदीवारी नहीं थी और 76 प्रतिशत स्कूलों में खेल मैदान नहीं थे. खेल सामग्री खरीदने एवं शिक्षक अनुदान की पांच सौ रुपये से भी शिक्षक वंचित पाये गये हैं. राज्य के 1.60 लाख शिक्षकों क ेपास शिक्षकों की अपेक्षित योग्यता नहीं पायी गयी. मार्च 2013 तक साढे तीन लाख प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शिक्षकों में करीब 56 प्रतिशत यानि 1.95 लाख शिक्षक अप्रशिक्षित थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन बच्चों ने 2008-09 में कक्षा एक में नामांकन कराया था, उनमें 36 प्रतिशत बच्चे पांचवी कक्षा तक अपनी पढाई पूरी रहीं रख पाये. 2008-09 में कक्षा एक में 4,18,2580 बच्चों का नामांकन हुआ था. इनमें पांच वर्ष बाद कक्षा पांच में 2660396 बच्चे ही ठहर पाये. रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के ठहराव दर में कमी आयी है. 151 विद्यालयों की जांच के दौरान नौ विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति शून्य पायी गयी.
सात विद्यालय पढाई की अवधि में बंद पाये गये.खगडि़या जिले में एक विद्यालय(प्रा. वि. विद्याधार) का अस्तित्व ही नहीं पाया गया. 17 प्रतिशत विद्यालयों में शौचालय नहीं पाये गये. जांच के दौरान नमूने के 37 प्रतिशत स्कूलों में एक से अधिक शौचालय तो थे लेकिन एक भी उपयोग के लायक नहीं थे. सर्व शिक्षा अभियान की मानिटरिंग के लिए 10 जिलों में जिला अनुश्रवण समिति कास गठन नहीं किया गया.रिपोर्ट के मुताबिक 996 विद्यालयों की जांच में 305 उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालयों में विज्ञान एवं गणित के शिक्षक नहीं पाये गये. 77 प्राथमिक विद्यालयों में केवल एक शिक्षक उपलब्ध थे. जबकि 77 उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालयों में नियमित प्रधानाध्यापक पदस्थापित नहीं थे.
रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 112067 बसावटों में 3993 बसावटों में प्राथमिक स्कूल नहीं हैं. इन टोलों में रह रहे 110294 बच्चों को घर के निकट स्कूल की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. 511 नये विद्यालय भवन,11533 अतिरिक्त वर्ग और 1191 प्रधानाध्यापक कक्ष के निर्माण के लिए 370 करोड़ रुपये आवंटित किये गये. इसे तीन महीने मे पूरा करना था. लेकिन 84 महीने तक कार्य शुरू नहीं हुआ और पैसे सरकार के खाते में जमा रहे. पांच जिलों के 11 विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने 2006 से 13 के बीच मिले 45.69 लाख रुपये का हिसाब किताब नहीं दिया.रिपोर्ट के अनुसार पोशाक राशि के वितरण में भी अनियमितता पायी गयी है.