फुलवारीशरीफ: बहरे भी सुनने लगेंगे और गूंगे भी बोलने लगेंगे . अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ) इसके लिए काकलीयर इनप्लांट मशीन से ऑपरेशन कर इसे सफल बनाने में जुट गया है . इसके लिए लखनऊ के चार वर्ष व पटना के 13 वर्ष के एक – एक बच्चे का चयन किया गया है . पीजीआइ, लखनऊ की डॉ क्रांति भावना ने विशेष बातचीत में इस बात की जानकारी दी.
19 मई को होगा ऑपरेशन
19 मई को इनका ऑपरेशन एम्स में होना है . यूएस से आयी इस मशीन को लगाने में लगभग छह से सात लाख रुपये का खर्च आने की बात बतायी जा रही है . डॉ भावना ने बताया कि जो बच्चे जन्म से ही सुन या बोल नहीं सकते हैं उनके लिए यह मशीन वरदान साबित होगी. तीन से चार घंटे के ऑपरेशन में इस मशीन को कान के अंदरवाले भाग में लगाया जाता है . इसकी गारंटी लगभग 10 वर्षो की होती है . यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल है . इससे मरीज को कोई परेशानी नहीं होती है. डॉ भावना ने बताया कि लखनऊ में वह अब तक 20 मरीजों में इस मशीन को लगा चुकी हैं .
बिहार के सरकारी अस्पताल में इस तरह का यह पहला प्रयास है . इन्होंने बताया कि इसके लगाने के बाद कम -से -कम एक साल की ट्रेनिंग दी जाती है . एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि 13 वर्ष से अधिक के बच्चों में इसका रिजल्ट कुछ खास नहीं रहा है . लखनऊ के अस्पतालों में इसके लिए सरकारी तौर पर अनुदान भी दिया जाता है . इन्होंने बताया कि बिहार सरकार से भी मदद के लिए पत्रचार किया जा रहा है . अगर बिहार सरकार सब्सिडी के माध्यम से इसमें मदद करती है , तो गरीब बच्चों को इससे काफी मदद मिल सकती है .
छह डॉक्टरों की टीम आयेगी
इसके लिए छह डॅक्टरों की टीम 17 मई को एम्स पहुंच रही है. इसमें पीजीआइ, चडीगढ़ से डॉ अमति शंकर, डॉ राजेश, डॉ मोनिका व पुणो से डॉ नीलम वैद्य प्रमुख हैं . उन्होंने बताया कि काकलीयर इनप्लांट मशीन को और भी कई देशों ने बनाया है जैसे ऑस्ट्रेलिया, यूएसए व आस्ट्रिया सहित यूरोप के कई देश शामिल हैं . इसके लिए 17 , 18 व 19 मई को एम्स में कार्यशाला का भी आयोजन किया जायेगा.