पटना: देश के अन्य राज्यों के विकास की तुलना में बिहार-झारखंड की गिनती भले ही फिसड्डी राज्यों में होती हो, लेकिन आयकर वसूली की वृद्धि दर में बिहार ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है.
चालू वित्तीय वर्ष (2013-14) में बिहार और झारखंड ने आयकर की वसूली में कुल 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. इसके अलावा अग्रिम कर की वसूली में बिहार-झारखंड ने 35.25 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है. आयकर विभाग के बिहार-झारखंड सर्किल के प्रधान मुख्य आयुक्त आरके राय ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चालू वित्तीय वर्ष में 27 मार्च तक कुल 7958.3 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है.
इसमें रिफंड होनेवाली राशि को घटाने के बाद कुल वसूली 7222.6 करोड़ रुपये है. बिहार और झारखंड को इस साल आयकर के रूप में 7448 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया गया था. इसके अलावा अंतिम समय में मौजूदा लक्ष्य के विरुद्ध 200 करोड़ रुपये की और वृद्धि कर दी गयी है यानी कुल 7648 करोड़ का लक्ष्य बिहार-झारखंड को मिला है.
27 मार्च तक 7222.6 करोड़ की वसूली करने के बाद अंतिम चार दिनों में कम-से-कम 500 करोड़ की और वसूली हम करेंगे. इस तरह कुल वसूली लक्ष्य के अधिक होने की संभावना है. आरके राय ने कहा कि आयकर की वसूली की राष्ट्रीय वृद्धि दर 13.6 प्रतिशत है, जबकि हमने 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. इसमें टीडीएस का हिस्सा 61 प्रतिशत का है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बिहार में आयकर की वसूली सबसे अधिक रियल स्टेट के क्षेत्र से होती रही है, लेकिन पिछले एक साल के दौरान बिहार में नये बिल्डिंग बायलॉज को लेकर इस क्षेत्र में भारी गिरावट आयी है और मकानों और फ्लैटों की रजिस्ट्री में भारी कमी आयी है. उन्होंने कहा कि बिहार में कॉरपोरेट सेक्टर से आयकर वसूली नहीं के बराबर है, जबकि झारखंड से सीसीएल, बीसीसीएल जैसी सरकारी कोल कंपनियों से एडवांस टैक्स के रूप में 751.99 करोड़ रुपये की वसूली की गयी है.