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वाल्श ने भारतीय महिला हॉकी टीम को अच्छे मुकाम तक पहुंचाया : हागुड

इपोह : ऑस्ट्रेलिया के टैरी वाल्श को कोच के पद से हटाने को पीछे की ओर उठाया गया कदम बताते हुए भारतीय महिला हॉकी टीम के पूर्व मुख्य कोच नील हागुड ने कहा कि वाल्श अपने एक साल के संक्षिप्त कार्यकाल में भारतीय पुरुष टीम को बहुत अच्छे मुकाम तक ले गए थे. सोलह साल […]

इपोह : ऑस्ट्रेलिया के टैरी वाल्श को कोच के पद से हटाने को पीछे की ओर उठाया गया कदम बताते हुए भारतीय महिला हॉकी टीम के पूर्व मुख्य कोच नील हागुड ने कहा कि वाल्श अपने एक साल के संक्षिप्त कार्यकाल में भारतीय पुरुष टीम को बहुत अच्छे मुकाम तक ले गए थे. सोलह साल के इंतजार के बाद इंचियोन एशियाई खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले वाल्श को हॉकी इंडिया और भारतीय खेल प्राधिकरण से मतभेदों के कारण नौकरी छोड़नी पडी थी.

कुछ दिन बाद वाल्श ने वापसी की इच्छा जताई थी लेकिन हाकी इंडिया ने अमेरिकी हाकी के साथ उनके कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाकर उनके लिये दरवाजे बंद कर दिये. हागुड ने कहा कि वाल्श की रवानगी सही समय पर नहीं हुई चूंकि उनके मार्गदर्शन में ही भारत ने एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतकर रियो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई किया था.

उन्होंने कहा , इसका मुझसे कोई सरोकार नहीं है. भारत में होने के कारण मैं इस पर टिप्पणी नहीं करुंगा. आगे पूछने पर उन्होंने कहा , लेकिन मेरा मानना है कि टाइमिंग गलत थी क्योंकि वह हाल ही में टीम को अच्छे मुकाम पर ले गए थे. टीम ने ओलंपिक के लिये क्वालीफाई किया जो देश के लिये अच्छी बात है. अब उन्हें फोकस करने की जरुरत है.

उन्होंने कहा, भारत के पास पाल वान ऐस के रुप में बहुत अच्छा कोच है. वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कोचों में से एक है और भारतीय हाकी को आगे ले जा सकते हैं. लेकिन उन्हें समय देना होगा. हागुड मलेशियाई हाकी परिसंघ के सलाहकार के तौर पर यहां सुल्तान अजलन शाह कप टूर्नामेंट में मौजूद हैं.

वह जुलाई 2012 में भारतीय महिला हाकी टीम के कोच बने और टीम ने 2013 एशिया कप और 2014 इंचियोन एशियाड में कांस्य पदक जीता. पिछले साल एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी में उपविजेता रही और जूनियर विश्व कप में पहली बार कांस्य पदक पाया. भारत छोड़ने के कारण के बारे में पूछने पर हागुड ने कहा, इसका हॉकी से कोई सरोकार नहीं था. किसी और मसले से भी नहीं. मुझे लगता है कि हालात कठिन थे.

उन्होंने कहा, अब मैं अपने परिवार के ज्यादा पास हूं. पटियाला से मुझे घर जाने में 20 घंटे लगते थे. अब मैं घर से पांच घंटे की दूरी पर हूं. मेरा परिवार भी यहां मुझसे मिलने आ सकता है.

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