लंदन : भारत के पैरालंपिक खिलाड़ी शरद कुमार का जीवन संघर्षों से भरा है. उन्होंने बताया कि जब वो दो साल के थे उस समय उन्हें पोलियो अटैक हुआ. लेकिन नकली दवाओं के कारण वो पोलियोग्रस्त हो गये. लेकिन उस हादसे को वे अपने लिए वरदान मानते हैं. उन्होंने कहा, पोलियो एक तरह से मेरे लिए शुभ साबित हुआ. मुझे संत पॉल स्कूल दार्जिलिंग भेज दिया गया.
शरद अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि उनके स्कूली जीवन में पढा़ई और खेल के बीच काफी कुछ समानता था. अगर दो घंटे पढ़ता था, तो दो घंटे खेल के लिए समय दिया जाता था. दोनों में अगर किसी एक में भी वो पीछे रह जाते तो उन्हें बोला जाता था अपना बस्ता बांधो.
उन्होंने अपनी सफलता के लिए पिता को पूरा श्रेय दिया. उन्होंने कहा, मेरे पिता ने मुझे अपने हिसाब से चलने का पूरा मौका दिया. कोई दबाव नहीं बनाया. शदन ने कहा, खेल उन्हें विकलांग होने का एहसास होने ही नहीं देता है.