क्रिकेट के 'भगवान' भारत रत्न सचिन तेंदुलकर का आज जन्मदिन है. सचिन आज अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस महान बल्लेबाज के नाम क्रिकेट के कई रिकॉर्ड के साथ एक सौ शतक भी है. इतने महान क्रिकेटर होने के बावजूद सचिन काफी शालीन हैं. सफलता का घमंड उन्हें कभी छू भी नहीं सका है. इसलिए आज तक क्रिकेट जगत के वे सबसे सम्मानित व्यक्तित्व हैं. जब भी कोई सचिन की बात करता, तो वे उसकी शालीनता और विनम्रता की बात करता है. न्यूज 18 ने कुछ ऐसे अनजाने तथ्य उजागर किये हैं, जो हर कोई जानना चाहेगा.
भारत से पहले पाकिस्तान के लिए खेले थे सचिन तेंदुलकर
16 वर्षीय मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने भले ही 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ अपना पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेला हो, लेकिन उन्होंने पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के लिए कदम रखा था. ये सही है. 20 जनवरी 1987 को भारत और पाकिस्तान के बीच एक प्रदर्शनी मैच के दौरान, तेंदुलकर को इमरान खान की टीम के लिए एक स्थानांतरित क्षेत्ररक्षक के रूप में भेजा गया था. इस घटना को अपनी किताब "प्लेइंग इट माई वे" में सचिन ने लिखा है.
शाहिद अफरीदी ने सचिन के बल्ले से जड़ा था सबसे तेज शतक
शाहिद अफरीदी ने मास्टर ब्लास्टर सचिन के बल्ले से सबसे तेज 100 रन बनाए थे. 4 अक्टूबर 1996 को, 16 साल और 217 दिन के अफरीदी ने श्रीलंका के खिलाफ 37 गेंदों के प्रदर्शन में सबसे तेज एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शतक बनाया. दिलचस्प बात यह है कि यह उनकी पहली वनडे पारी भी थी. टीम में क्रिकेट किट की कमी के कारण, अफरीदी को पाकिस्तानी स्पिनर सकलैन मुश्ताक के जूते और हेलमेट दिये गये थे. लेकिन यह प्रतिष्ठित बल्ला उन्हें तेज गेंदबाज वकार यूनुस ने नेट अभ्यास के दौरान दिया. अफरीदी ने गल्फ न्यूज को बताया कि मैं अभी पाकिस्तान टीम में आया था और नैरोबी में नेट्स के दौरान 'विकी भाई' ने मुझे एक बल्ला दिया और कहा, इसके साथ खेलो और देखो. यह सचिन का बल्ला है.
थर्ड अंपायर से आउट होने वाले पहले बल्लेबाज थे सचिन तेंदुलकर
लिटिल मास्टर ने अपने रास्ते में आने वाले हर रिकॉर्ड को तोड़ दिया, तेंदुलकर दक्षिण अफ्रीका में 1992 की टेस्ट श्रृंखला में तीसरे अंपायर द्वारा आउट दिये जाने वाले पहले बल्लेबाज भी बने. थर्ड अंपायर कार्ल लिबेनबर्ग थे. भारत 38/2 पर था जब तेंदुलकर क्रीज पर रवि शास्त्री के साथ बल्लेबाजी कर रहे थे. तेज गेंदबाज ब्रायन मैकमिलन एक तेज स्पैल के बीच में थे, जब उन्होंने एक अच्छी लेंथ एरिया के पास पिच की और 11 पर बल्लेबाजी करने वाले तेंदुलकर के शॉट को दिग्गज जोंटी रोड्स को पकड़ा. तेंदुलकर ने जोखिम भरा एकल प्रयास किया लेकिन शास्त्री ने उन्हें वापस भेज दिया. रोड्स ने थ्रो से स्टंप्स बिखेर दिये. स्क्वायर लेग अंपायर सिरिल मिचली तीसरे अंपायर कार्ल लिबेनबर्ग के पास गये, जिन्होंने लाल बत्ती दबा दी. सचिन 11 पर आउट हुए.
अपना पहला टेस्ट शतक शैंपेन के साथ नहीं मना सके क्योंकि सचिन कम उम्र के थे
सचिन तेंदुलकर को एक मैग्नम शैंपेन की बोतल उपहार में दी गयी थी जब उन्होंने 1990 में मैनचेस्टर में अपना पहला टेस्ट शतक बनाया था.। लेकिन वह इसे नहीं खोल सके क्योंकि ब्रिटिश नियमों के कारण 18 साल से कम उम्र के लोगों को ऐसा करने की अनुमति नहीं थी. सचिन ने 8 साल इंतजार करना चुना और 1998 में अपनी बेटी सारा के पहले जन्मदिन पर इसे पॉप किया.