रांची : बांग्लादेश के खिलाफ 23 दिसंबर 2004 को अपना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर प्रारंभ करने वाले भारतीय टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी ने इस वर्ष अपने गृह नगर रांची में भी पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला और रांचीवासियों के लिए खुशी की बात यह रही कि उन्होंने कोई भी मैच गंवाया नहीं और पहले मैच में ही इंग्लैंड के छक्के छुड़ा दिये.
माही अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर के पहले मैच में बांग्लादेश के खिलाफ बेशक चटगांव में बिना कोई रन बनाये रन आउट हो गये थे लेकिन गृहनगर रांची में इस वर्ष 19 जनवरी को खेले गये पहले अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय मैच में उनकी कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड को सात विकेट से रौंद दिया.
रांची में झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (जेएससीए) द्वारा बनाये गये जबर्दस्त अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का उद्घाटन 18 जनवरी, 2013 को हुआ और धौनी के गृह नगर में बने इस स्टेडियम में पहली बार इंग्लैंड के साथ भारत का मुकाबला 19 जनवरी को हुआ जिसमें भारत ने इंग्लैंड को टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करवायी और उसे सिर्फ 42 ओवर, दो गेंदों में 155 रनों पर समेट दिया.
ग्यारह जनवरी को राजकोट में खेले गये श्रृंखला के पहले रोमांचक मैच में नौ रनों से शिकस्त खाने वाली भारतीय टीम ने कोची की 127 रनों की जीत की रौ को यहां भी बरकरार रखा और विराट कोहली की शानदार अजेय 77 रनों की पारी के चलते इंग्लैंड को सिर्फ 28 1 ओवर में तीन विकेट के नुकसान पर 157 रन बनाकर रौंद दिया और भारत को श्रृंखला में 2-1 की बढ़त दिला दी.
सुरेश रैना ने मैच के बाद बताया कि धौनी का गृह मैदान होने की वजह से रांचीवासी उनकी बल्लेबाजी और हेलीकाप्टर शॉट देखने को बेकरार थे लिहाजा युवराज सिंह के आउट होने के बाद सुरेश रैना की बजाय स्वयं महेन्द्र सिंह धौनी मैदान में उतरे और उन्होंने नाबाद दस रन बनाये जिसमें दो धमाकेदार चौके भी जड़ कर रांचीवासियों का दिल जीत लिया.
महेन्द्र सिंह धौनी ने इस वर्ष अपने गृहनगर में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना प्रारंभ किया और कुल दो अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय मैच और चैंपियंस लीग के तीन मैच खेले. महत्वपूर्ण यह है कि पांचों मैच धौनी ने अपनी कप्तानी में ही खेले. इंग्लैंड के खिलाफ जहां धौनी ने भारत को सात विकेट से शानदार जीत दिलायी वहीं आस्ट्रेलिया के खिलाफ 23 अक्तूबर को भारत अपनी बल्लेबाजी पूरी नहीं कर सका क्योंकि इस मैच को भारी वर्षां के चलते रद्द कर देना पड़ा.
आस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मैच के जबर्दस्त रोमांचक होने की उम्मीद थी लेकिन इंद्र देवता थे कि पहले उन्होंने आस्ट्रेलियाई पारी में आधे घंटे का व्यवधान डाला और फिर भारतीय पारी में एक बार जब उन्होंने पांचवें ओवर में अपना रुतबा दिखाया तो रुकने का नाम ही नहीं लिया.
आस्ट्रेलिया के खिलाफ सात एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों की श्रृंखला में 2-1 से पीछे चल रही भारतीय टीम को रांची में महेन्द्र सिंह धौनी के रिकार्ड को देखते हुए हर हाल में श्रृंखला को बराबर करने की दरकार थी लेकिन आस्ट्रेलिया को सिर्फ 295 रनों पर रोकने के बाद भारत 4 1 ओवरों में बिना किसी नुकसान के सिर्फ 27 रन बना सका और बारिश प्रारंभ हो गयी.
जब रोहित शर्मा नौ रन और खास तौर पर तीन चौके जमाकर खतरनाक मूड में दिख रहे शिखर धवन 14 रन बनाकर क्रीज पर डटे थे तो यह लगने लगा था कि अपने गृह मैदान पर विजयश्री हासिल करने का धौनी रिकार्ड कायम रखेंगे और आस्ट्रेलिया को अवश्य धूल चटायेंगे लेकिन ऐसा न हो सका. जब रात्रि आठ बजे के बाद बारिश रुकी और मैच रेफरी एवं अंपायरों ने मैदान का दो-तीन बार निरीक्षण किया तो मैदान और पिच गीली पायी गयी और मैच रद्द करना पड़ा.
इस वर्ष रांची के नव निर्मित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में इंडियन प्रीमियर लीग के भी दो मैच 12 और 15 मई को खेले गये लेकिन इनमें से कोई भी मैच महेन्द्र सिंह धौनी से जुड़े हुए नहीं थे.
इसके बाद रांची में सितंबर माह में चैंपियंस लीग के पांच मैच खेले गये जिनमें तीन मैच धौनी के चेन्नई सुपरकिंग्स से जुड़े थे जिनमें तीनों में ही धौनी की टीम ने जीत दर्ज कर अपने कप्तान को उनके मैदान में अजेय बनाये रखा.
चैंपियंस लीग के रांची में खेले गये पहले मैच में 22 सितंबर को ट्रिनिदाद एवं टोबैगो ने ब्रिस्बेन हीट को 25 रनों से पराजित किया जबकि उसी दिन खेले गये दूसरे मैच में धौनी के चेन्नई सुपरकिंग्स ने टाइटन्स को चार विकेट से पराजित किया.
चैंपियंस लीग का तीसरा मैच यहां धौनी के चेन्नई सुपरकिंग्स ने 26 सितंबर को सनराजर्स हैदराबाद के खिलाफ 12 रनों से जीता. जिसके बाद 28 सितंबर को हुए चौथे मैच में टाइटन्स ने सनराइजर्स हैदराबाद को आठ विकेट से रौंद दिया जबकि यहां खेले गये पांचवें और अंतिम मैच में चेन्नई सुपरकिंग्स ने ब्रिस्बेन हीट्स को भी आठ विकेट से रौंद दिया.
इस प्रकार इस वर्ष गृहनगर रांची में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने की शुरुआत करने वाले महेन्द्र सिंह धौनी ने अपना अजेय क्रम जारी रखा और अब देखना है कि 2014 में क्या उनका यह अजेय क्रम और उनके भाई नरेन्द्र सिंह धौनी का राजनीति में समाजवादी पार्टी से रांची की संसदीय सीट जीतने का सपना बरकरार रह पाता है.