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सचिन भारत रत्न, तो देश रत्न हैं ध्यानचंद

एक क्रिकेट का भगवान, तो एक हॉकी का जादूगर. सचिन की तूफानी बल्लेबाजी को देख विपक्षी खिलाड़ियों की रातों की नींद उड़ जाती थी, तो ध्यानचंद जब तक खेले अपने प्रतिद्वंदियों के लिए सिरदर्द बने रहे. मास्टर ब्लास्टर के बल्ले से निकला शॉट गोली की तरह सीमा रेखा की ओर कूच करता था, तो मेजर […]

एक क्रिकेट का भगवान, तो एक हॉकी का जादूगर. सचिन की तूफानी बल्लेबाजी को देख विपक्षी खिलाड़ियों की रातों की नींद उड़ जाती थी, तो ध्यानचंद जब तक खेले अपने प्रतिद्वंदियों के लिए सिरदर्द बने रहे. मास्टर ब्लास्टर के बल्ले से निकला शॉट गोली की तरह सीमा रेखा की ओर कूच करता था, तो मेजर की स्टिक से गेंद ऐसी चिपकती कि विपक्षी खिलाड़ी दांतों तले अंगुली दबा देते थे. सचिन के करोड़ों दीवाने हैं, तो मेजर के खेल को देखने के लिए हिटलर को मैदान में आना पड़ा था. पुरस्कार के मामले में भी किसी की झोली कमतर नहीं हैं.

देश का मान बढ़ाने में भी दोनों का योगदान बराबर रहा. दोनों खिलाड़ियों के सर पर किसी बड़ी हस्ती का हाथ नहीं था, जो भी हासिल किया अपनी मेहनत व काबिलीयत से. पर जब से सचिन ने भारतरत्न की इच्छा जतायी थी और सरकार की ओर से इसके नियम में संशोधन कर ध्यानचंद को भी इस पुरस्कार के लिए नामित किया गया, तो देश में बहस छिड़ गयी. अब जब सचिन को भारत रत्न मिल चुका है, तो यह विवाद और बढ़ता जा रहा है.

कोई सचिन को बड़ा बता रहा, तो कोई ध्यानचंद को. कहीं यह विवाद दोनों खिलाड़ियों के योगदान को कमतर तो नहीं कर रहा ? खेल और इन खिलाड़ियों के प्रशंसकों के बड़े वर्ग को इसकी चिंता है. हम यहां इन दोनों महान खिलाड़ियों की विशिष्ट उपलब्धियों और उनके जीवन से जुड़े कुछ वैसे विषयों को रख रहे हैं, जो इस विषय पर आपके दृष्टिकोण को एक ठोस नतीजे तक ले जाने में मददगार होगी. विधान चंद्र मिश्र की खास रिपोर्ट..

* भारत रत्न को लेकर विवाद से कहीं कम तो नहीं हो रही दोनों दिग्गजों की उपलब्धियां

* मेजर ध्यानचंद

– शुरुआत : ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त, 1905 को इलाहाबाद में हुआ था. बचपन में खिलाड़ीपन का कोई विशेष लक्षण नहीं था. साधारण शिक्षा प्राप्त करने के बाद 16 वर्ष की अवस्था में सन1922 में दिल्ली में प्रथम ब्राह्मण रेजीमेंट में सेना में एक साधारण सिपाही की हैसियत से भरती हुई. वहीं पर ध्यानचंद को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित करने का श्रेय रेजीमेंट के एक सूबेदार मेजर तिवारी को जाता है. उनकी देख-रेख में ध्यानचंद हॉकी खेलने लगे देखते-ही-देखते वह दुनिया में छा गये. तीन दिसंबर 1971 को उनका निधन हो गया.

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– कैरियर : ध्यानचंद ब्राह्मण रेजीमेंट में थे, उस समय मेजर बले तिवारी से, जो हॉकी के शौकीन थे, हॉकी का प्रथम पाठ सीखा. वर्ष 1922 से 1926 इ तक सेना की ही प्रतियोगिताओं में हॉकी खेला करते थे. दिल्ली में हुई वार्षिक प्रतियोगिता में जब इन्हें सराहा गया, तो इनका हौसला बढ़ा.13 मई, 1926 को न्यूजीलैंड में पहला मैच खेला था. न्यूजीलैंड में 21 मैच खेले, जिनमें 3 टेस्ट मैच भी थे. इन 21 मैचों में से 18 जीते, 2 मैच अनिर्णीत रहे और और एक में हारे. पूरे मैचों में इन्होंने 192 गोल बनाये. उन पर कुल 24 गोल ही हुए. 27 मई, 1932 ई. को श्रीलंका में दो मैच खेले. पहले मैच में 21-0 तथा दूसरे में 10-0 से विजयी रहे. 1935 इ में भारतीय हॉकी दल के न्यूजीलैंड के दौरे पर इनके दल ने 49 मैच खेले. जिसमें 48 मैच जीते और एक वर्षा होने के कारण स्थगित हो गया. अंतरराष्ट्रीय मैचों में उन्होंने 400 से अधिक गोल किये. अप्रैल 1949 इ को प्रथम कोटि की हॉकी से संन्यास ले लिया.

– ओलिंपिक में गोल्ड: 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक खेलों में पहली बार भारतीय टीम ने भाग लिया. भारत ने गोल्ड जीता. फाइनल में ध्यानचंद ने दो गोल किये. 1932 में लास एंजिल्स में ध्यानचंद को टीम में शामिल कर लिया गया. यहां पर ध्यानचंद ने 262 में से 101 गोल स्वयं किये. निर्णायक मैच में भारत ने अमेरिका को 24-1 से हराया था.1936 के बर्लिन ओलिंपक खेलों में ध्यानचंद को भारतीय टीम का कप्तान चुना गया. इन्होंने भारत को गोल्ड मेडल दिलवाया.

– सम्मान : 1956 में पद्मभूषण मिला. ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त,1905 को इलाहाबाद, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत में हुआ था. उनके जन्मिदन को भारत का राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया गया है. इसी दिन राष्ट्रीय पुरस्कार अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं. भारतीय ओलिंपिक संघ ने ध्यानचंद को शताब्दी का खिलाड़ी घोषित किया था

– देश-विदेश में छाये: ध्यानचंद को फुटबॉल में पेले और क्रिकेट में ब्रैडमैन के समतुल्य माना जाता है. गेंद इस कदर उनकी स्टिक से चिपकी रहती कि प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को अक्सर आशंका होती कि वह जादुई स्टिक से खेल रहे हैं. यहां तक हॉलैंड में उनकी हॉकी स्टिक में चुंबक होने की आशंका में उनकी स्टिक तोड़ कर देखी गयी. ध्यानचंद की हॉकी की कलाकारी के जितने किस्से हैं, उतने शायद ही दुनिया के किसी अन्य खिलाड़ी के बाबत सुने गये हों जर्मनी के रुडोल्फ हिटलर सरीखे जिद्दी सम्राट ने उन्हें जर्मनी के लिए खेलने की पेशकश कर दी थी. वियना में ध्यानचंद की चार हाथ में चार हॉकी स्टिक लिये एक मूर्ति लगायी और दिखाया कि ध्यानचंद कितने जबर्दस्त खिलाड़ी थे.

* फैन हैं हॉकी खिलाड़ी

भारत सहित विश्व के कई हॉकी खिलाड़ी सचिन के बड़े फैन हैं. पाक के रेहान बट व सोहेल अब्बास ने वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक जड़नेवाले सचिन तेंडुलकर के दीवाने हैं. इन पाकिस्तानी खिलाड़ी भारतीय बल्लेबाज़ से प्रेरणा लेते हैं. पाकिस्तान के पेनाल्टी कॉर्नर एक्सपर्ट सोहेल अब्बास भी सचिन का मैच टीवी पर जरूर देखते हैं. हॉकी के अलावा टेनिस, फुटबॉल सहित कई खेलों के खिलाड़ी सचिन को अपना आदर्श मानने से नहीं चुकते हैं.

* ब्रैडमैन ने किया सलाम

ध्यानचंद ने अपनी करिश्माई हॉकी से जर्मन तानाशाह हिटलर ही नहीं बल्कि महानक्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन को भी अपना क़ायल बना दिया था. यह भी संयोग है कि खेल जगत की इन दोनों महान हिस्तयों का जन्म दो दिनों के अंदर पर पड़ता है. ब्रैडमैन हॉकी के जादूगर से उम्र में तीन साल छोटे थे. अपने-अपने फन में माहिर ये दोनों खेल हिस्तयां केवल एक बार एक-दूसरे से मिले थ. 1935 में भारतीय टीम आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के दौरे पर गयी थी, तब ब्रैडमैन ने ध्यानचंद्र का मैच देखा था.

* सचिन रमेश तेंडुलकर

– शुरुआत : सचिन रमेश तेंडुलकर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को हुआ. वे क्रिकेट के इतिहास में विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में गिने जाते हैं. सचिन का जन्म एक ब्राह्मण मराठी परिवार में हुआ. भाई अजित तेंडुलकर उन्हें कोच आचरेकर के पास ले गये. उस समय उनकी उम्र 11 साल थी. उन्हीं की देखरेख में सचिन ने क्रिकेट का गुर सीखा. स्कूल क्रिकेट में मैराथन पारी खेलने के बाद 1989 में भारतीय टीम में शामिल हुए. पाकिस्तान को खिलाफ इन्होंने पहला वनडे व टेस्ट खेला.

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– कैरियर : सचिन ने टेस्ट में 51 शतक बना कर जहां सुनील गावस्कर, डॉन ब्रैडमैन और विवियन रिचर्डस जैसे क्रिकेट के पूर्व महारथियों के स्थापित कीर्तिमान तोड़ दिये, वहीं वनडे क्रि केट में 18,000 से अधिक रन बनानेवाले पहले खिलाड़ी हैं.

वह दो बार भारतीय टीम के कप्तान बने. टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट खेलनेवाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी तेंडुलकर ने 16 वर्ष की उम्र में क्रि केट जीवन की शुरुआत की. अद्भुत बल्लेबाज़ी करते हुए 20वीं सदी के अंत तक लगभग 11 वर्षों के पेशेवर खेल जीवन में उन्होंने 54.84 रन का ख़ासा ऊंचा टेस्ट बल्लेबाज़ी औसत बनाये रखा, जो ग्रेग चैपल, विवियन रिचडर्स, जावेद मियांदाद, ब्रायन लारा और सुनील गावस्कर जैसे धुरंधरों के रन औसत से कहीं अधिक है. सचिन ने वनडे में टेस्ट मैच में 15 हजार से अधिक रन बनाये हैं. वहीं अपने क्रिकेट कैरियर में यह आकड़ां 50 हजार पार है. 16 नवंबर को संन्यास लेने के पूर्व सचिन के नाम सैकड़ों रिकॉर्ड दर्ज हैं.

– विश्वकप में : भारत की ओर से विश्व कप क्रिकेट में सचिन ने सबसे अधिक रन बनाये हैं. उन्होंने सबसे अधिक पांच बार विश्व कप खेला है. 2011 में भारत को विश्व कप दिलाने में उनका अहम योगदान है.

– सम्मान : सचिन को 16 नवंबर 2013 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहते ही भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न के लिए भी चुन लिया गया. वह इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए चुने जानेवाले पहले खिलाड़ी हैं.

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