लाहली : रणजी ट्राफी सत्र की ऐसी शुरुआत कभी नहीं हुई होगी जैसी कि रविवार को हरियाणा के इस छोटे से कस्बे में हुई. सचिन तेंडुलकर यहां अपना आखिरी रणजी मैच खेलने के लिए उतरे और इस अवसर पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. हालांकि मास्टर ब्लास्टर मुंबई की पहली पारी में सिर्फ पांच रन बनाकर मोहित शर्मा की गेंद पर बोल्ड हो गये. पिच पर काफी हरियाली थी और इससे तेज गेंदबाजों को खूब मदद मिल रही थी.
पहले दिन के खेल में कुल 14 विकेट गिरे. हरियाणा की टीम टॉस गंवाकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 134 रन के स्कोर पर सिमट गयी. जवाब में मुंबई ने स्टंप्स तक चार विकेट खोकर 100 रन बनाये थे. अजिंक्य रहाणो 44 और नाइट वाचमैन धवल कुलकर्णी एक रन बनाकर अविजित रहे. तेंडुलकर ने अगले महीने वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाले दो टेस्ट मैचों की सीरीज के बाद संन्यास लेने की घोषणा की है और इससे पहले उन्होंने मेजबान हरियाणा के खिलाफ आखिरी रणजी मैच खेलने का फैसला किया.
इस अवसर को यादगार बनाने के लिए मैच से पहले दोनों टीमों के खिलाड़ी पंक्तिबद्ध होकर खड़े हुए और इस स्टार बल्लेबाज ने 8000 दर्शकों की क्षमता वाले चौधरी बंसीलाल स्टेडियम में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच स्टेडियम में कदम रखा. इस रणजी मैच से पहले तेंडुलकर ही चर्चा का विषय रहे जो वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई में 14 से 18 नवंबर को अपना 200वां टेस्ट मैच खेलने के बाद संन्यास ले लेंगे. यह घरेलू स्तर पर उनका आखिरी मैच होगा. जब हरियाणी की पहली पारी समाप्त हुई तब राज्य के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया. इस अवसर पर बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष रणबीर सिंह महेंद्रा भी उपस्थित थे.
* चौके से खोला खाता
तेंडुलकर ने जोगिंदर शर्मा पर पसंदीदा स्ट्रेट ड्राइव से चौका जड़कर खाता खोला जिससे स्टेडियम में सचिन-सचिन की गूंज सुनाई देने लगी. इसके तुरंत बाद चाय का विश्रम हो गया. तेंडुलकर ने तीसरे सत्र के पहले ओवर में एक रन लिया, लेकिन इसके बाद दर्शकों को निराशा का सामना करना पड़ा. मध्यम गति के गेंदबाज मोहित शर्मा ने गेंद संभाली. उनकी पहली ही गुडलेंथ गेंद में अच्छी उछाल थी जिसे तेंडुलकर ने रक्षात्मक रूप से खेलना चाहा लेकिन वह उनके ग्लब्स से लगकर विकेटों में समा गयी.
इस अवसर पर 1991 में महान कपिल देव की अगुवाई में मुंबई को हराकर रणजी ट्रॉफी जीतने वाली हरियाणा की टीम के खिलाड़ी भी यहां एकत्रित हुए थे. पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज चेतन शर्मा भी उपस्थित थे जबकि 1991 फाइनल के अन्य खिलाड़ी अजय जडेजा वर्तमान मैच में हरियाणा टीम की अगुवाई कर रहे हैं. उन्होंने लगभग सात साल बाद प्रतिस्पद्धी क्रिकेट में वापसी की है. जडेजा भी बल्ले से कोई कमाल नहीं दिखा सके और 14 रन बनाकर आउट हुए.