नयी दिल्ली : दुनिया का हर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के तमाम रिकोर्डों के करीब पहुंचना चाहता है लेकिन इस स्टार बल्लेबाज के नाम पर सर्वाधिक बार नर्वस नाइंटीज का शिकार बनने का ऐसा रिकार्ड भी दर्ज है जिसको शायद कोई अन्य क्रिकेटर हासिल नहीं करना चाहेगा.
टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट दोनों में ही तेंदुलकर सर्वाधिक बार 90 और 99 रन के बीच आउट हुए हैं. वह टेस्ट मैचों में दस और एकदिवसीय मैचों में 18 बार (एक बार नाबाद सहित) नर्वस नाइंटीज के शिकार बने. इस तरह से शतकों का शतक पूरा करने वाले तेंदुलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अब तक 28 बार सैकड़े के करीब पहुंचने के बावजूद सैकड़ा पूरा नहीं कर पाये.
तेंदुलकर के इस रिकार्ड तक शायद ही कोई बल्लेबाज पहुंच पाये क्योंकि उनके बाद राहुल द्रविड़ (14 बार) दूसरे नंबर पर काबिज हैं. द्रविड़ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं. जो खिलाड़ी अभी खेल रहे हैं उनमें जाक कैलिस 13 बार नर्वस नाइंटीज के शिकार बने हैं.
जहां तक टेस्ट मैचों के रिकार्ड का सवाल है तो तेंदुलकर के अलावा द्रविड़ और आस्ट्रेलिया के स्टीव वा भी दस-दस बार 90 और 99 रन के बीच पवेलियन लौटे. एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हालांकि तेंदुलकर 18 बार शतक से चूक गये थे. उनके बाद ग्रीम फ्लावर, नाथन एस्टल और अरविंद डिसिल्वा का नंबर आता है जो नौ अवसरों पर शतक बनाने से वंचित रह गये थे. तेंदुलकर वनडे में एक बार 96 रन बनाकर नाबाद भी रहे थे.
तेंदुलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पाकिस्तान और इंग्लैंड के खिलाफ सर्वाधिक सात-सात बार नर्वस नाइंटीज के शिकार बने. इसके बाद श्रीलंका का नंबर आता है जिसके खिलाफ पांच अवसरों पर वह शतक बनाने से चूके. इनमें से एक अवसर पर वह नाबाद भी रहे. यदि तेंदुलकर शतक के करीब पहुंचकर नहीं चूके होते तो इस समय उनके नाम पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चार, आस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन और वेस्टइंडीज के खिलाफ दो और शतक दर्ज होते.
तेंदुलकर के लिये 2007 ऐसा साल रहा जबकि वह सात अवसरों पर शतक पूरा नहीं कर पाये थे. उस वर्ष वह सात बार नर्वस नाइंटीज के शिकार बने. इनमें छह वनडे और एक टेस्ट मैच की पारी शामिल है. एकदिवसीय मैचों में तो उस वर्ष वह तीन बार 99 रन बनाकर पवेलियन लौटे थे जो कि रिकार्ड है.
इसके अलावा तेंदुलकर वर्ष 2000 में चार तथा 1997, 2003, 2005 और 2011 में दो-दो बार कुछ रनों से शतक बनाने से चूक गये थे. मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में उनका अपनी पारियों को शतक में तब्दील करने का रिकार्ड अच्छा रहा है.
अजहरुद्दीन के कप्तान रहते हुए वह केवल तीन बार नर्वस नाइंटीज के शिकार बने जबकि सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ की कप्तानी में उनके ऐसे स्कोर की संख्या सात सात जबकि महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाले मैचों में छह है. तेंदुलकर जब स्वयं कप्तान थे तब भी वह चार अवसरों पर 90 रन के पार पहुंचने के बावजूद शतक पूरा नहीं कर पाये थे.